ताजिकिस्तान में हिजाब पर प्रतिबंध का विधेयक पारित
ताजिकिस्तान की संसद ने हाल ही में एक विवादास्पद बिल को मंजूरी दी है, जिसमें हिजाब, अर्थात मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले पारंपरिक हेडस्कार्फ को सार्वजनिक स्थानों और शैक्षणिक संस्थानों में पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया है। यह फैसला इसलिए और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ताजिकिस्तान की जनसंख्या का 98% हिस्सा मुस्लिम है।
धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयास
इस विधेयक को पास करने का मुख्य उद्देश्य इस्लामी प्रथाओं पर नियंत्रण करना और देश में धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है। पिछले कुछ वर्षों से ताजिकिस्तान की सरकार इस दिशा में कई कदम उठा रही है। इनमें नए मस्जिदों के निर्माण पर प्रतिबंध और धार्मिक शिक्षा में नियंत्रित सामग्री शामिल है।
इस्लामिक उग्रवाद की बढ़ती समस्या
सरकार का मानना है कि इस्लामी उग्रवाद के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए इस प्रकार के प्रतिबंध आवश्यक हैं। इस्लामी दलों और संगठनों के साथ-साथ धार्मिक शिक्षकों पर भी निगरानी को तीव्र किया गया है। सरकार का यह कदम इस दिशा में एक और प्रयास माना जा रहा है।
समाज में विरोध और आलोचना
हालांकि, इस प्रतिबंध ने समाज में विरोध और आलोचना को जन्म दिया है। धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करार देते हुए आलोचकों का कहना है कि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं पर हमला है। उनके अनुसार यह कदम आगे चलकर धार्मिक प्रथाओं पर और भी कठोर प्रतिबंध लगा सकता है।
ताजिकिस्तान के भविष्य पर सवाल
भविष्य में ये प्रतिबंध ताजिकिस्तान के समाज और उसकी धार्मिक संरचना पर क्या प्रभाव डालेंगे, इसे लेकर संदेह बना हुआ है। जबकि एक ओर सरकार धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देने और इस्लामिक उग्रवाद को रोकने के प्रयास कर रही है, दूसरी ओर समाज का बड़ा हिस्सा इसे अपनी स्वतंत्रता पर हमला मान रहा है।
सरकार का पक्ष
सरकार ने इस प्रतिबंध के सकारात्मक पहलूओं को भी उजागर किया है। उनका कहना है कि इस फैसले से महिलाओं की समाज में बढ़ोतरी और देश की आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को बल मिलेगा। इसके अलावा, शिक्षा और सार्वजनिक स्थानों पर यूनिफॉर्मिटी और सेकुलर वातावरण बनाए रखने में मदद मिलेगी।
निष्कर्ष
अंततः यह देखना दिलचस्प होगा कि ताजिकिस्तान किस प्रकार इस प्रतिबंध को लागू करता है और इसके व्यापक प्रभाव क्या होंगे। जनता की प्रतिक्रिया और भविष्य की नीतियों पर आधारित इस विवादास्पद कदम का परिणाम अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना के लिहाज से काफी अहम होगा।
17 टिप्पणि
Shriya Prasad
जून 22, 2024 AT 07:31 पूर्वाह्नये तो बस एक चादर है, इसके खिलाफ इतना बवाल क्यों?
Anupam Sood
जून 23, 2024 AT 04:43 पूर्वाह्नइस देश में हर चीज़ पर रोक लग जाती है... पहले स्कूल में लंगोटी, अब हिजाब... अगला क्या? गाय के दूध पीने पर लाइसेंस चाहिए? 😂
Nishu Sharma
जून 23, 2024 AT 14:03 अपराह्नअगर ये हिजाब बैन कर दिया तो अब क्या बचेगा? अगले चरण में नमाज़ पढ़ने पर भी लाइसेंस चाहिए होगा... ये सब तो सिर्फ एक नियंत्रण की कोशिश है... महिलाएं अपने धर्म के साथ अपनी पहचान बनाती हैं, इसे नहीं तोड़ना चाहिए... ये सरकारी नीति तो बस एक नए तरह का आधुनिकीकरण का नाम है जो असल में नफरत को बढ़ाता है
Shraddha Tomar
जून 25, 2024 AT 01:06 पूर्वाह्नसेक्युलरिज़म तो अच्छा है पर जब तक लोगों को उनकी आत्मा के साथ रहने दिया जाए तभी असली सेक्युलरिज़म है... बस एक कपड़ा नहीं बल्कि एक भावना है इसके पीछे... इसे दबाने की कोशिश न करें 😌
Priya Kanodia
जून 26, 2024 AT 04:18 पूर्वाह्नये सब एक नया योजना है... अमेरिका और यूरोप के साथ गुप्त समझौते के बाद... ये हिजाब बैन तो बस शुरुआत है... अगले 5 साल में मस्जिदें बंद हो जाएंगी... इसलिए अभी से तैयार रहो... 🕵️♀️
Darshan kumawat
जून 28, 2024 AT 04:09 पूर्वाह्नये तो बस एक चादर है। अगर ये बैन हुआ तो फिर ब्राज़ीलियन ब्रा भी बैन कर दें।
Manjit Kaur
जून 28, 2024 AT 10:16 पूर्वाह्नइस्लाम उग्रवाद का नाम लेकर बेकार की चीज़ों पर रोक लगाना आसान है... लेकिन गरीबी और बेरोजगारी पर क्या कर रहे हो?
yashwanth raju
जून 29, 2024 AT 20:30 अपराह्नअच्छा हुआ... अब लोगों को अपने दिमाग से सोचना सीखना होगा... न कि एक कपड़े से... 😏
Aman Upadhyayy
जून 30, 2024 AT 00:35 पूर्वाह्नये सरकार तो अपने लोगों को बुद्धिमान बनाने के बजाय उनकी पहचान छीनने की कोशिश कर रही है... जब तक एक आदमी अपने धर्म के साथ शांति से रह सके तब तक कोई भी आधुनिक देश नहीं बन सकता... इस बैन का मतलब है कि तुम अपने आप को नहीं जानते... इसलिए हम तुम्हें बताएंगे कि तुम क्या पहनोगे... 😔
ASHWINI KUMAR
जून 30, 2024 AT 10:51 पूर्वाह्नइस तरह के कानून तो सिर्फ उन लोगों के लिए बनाए जाते हैं जो अपनी आज़ादी के बारे में सोचते हैं... अगर तुम नहीं पहनना चाहते तो न पहनो... लेकिन दूसरों को मजबूर करना गलत है... ये तो एक डिक्टेटरशिप है
vaibhav kapoor
जून 30, 2024 AT 22:42 अपराह्नहिजाब बैन करना बिल्कुल सही है... ये देश हमारा है, न कि अरबों का... हमें अपनी पहचान बनानी है, न कि अजनबियों की आदतें अपनानी है
Manish Barua
जुलाई 1, 2024 AT 08:57 पूर्वाह्नमैं तो समझता हूँ कि ये सरकार आधुनिकता की ओर बढ़ रही है... लेकिन आदतें तो ज़बरदस्ती नहीं बदलतीं... एक चादर के लिए इतना बहस क्यों? लोग अपने घर में तो पहन सकते हैं... बाहर नहीं पहनना चाहें तो छोड़ दें
Abhishek saw
जुलाई 1, 2024 AT 15:50 अपराह्नसरकार का यह कदम सही है। शिक्षा के माहौल में एकरूपता ज़रूरी है। धार्मिक पहचान घर पर रहनी चाहिए।
TARUN BEDI
जुलाई 2, 2024 AT 09:27 पूर्वाह्नयह विधेयक एक अत्यंत महत्वपूर्ण उदाहरण है जिसमें राष्ट्रीय एकता के लिए व्यक्तिगत धार्मिक अभिव्यक्ति के बीच संतुलन बनाया जा रहा है... यदि हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता के आधार पर समाज को विभाजित करते रहे तो भविष्य में हमारे पास केवल विभाजित समुदाय ही बचेंगे... यह एक ऐसा निर्णय है जिसे ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए
Shikha Malik
जुलाई 3, 2024 AT 18:39 अपराह्नमुझे लगता है ये बैन बहुत अच्छा है... लेकिन अगर ये लड़कियाँ इसे पहनने के लिए मजबूर हैं तो ये तो बहुत दर्दनाक है... और अगर ये सरकार इसे बंद कर देती है तो शायद उन्हें एक बेहतर जीवन मिल जाए... 😔
Hari Wiradinata
जुलाई 3, 2024 AT 20:33 अपराह्नहमें अपने समाज को एक समान बनाना चाहिए। अगर कोई लड़की हिजाब पहनना चाहती है तो वह घर पर रहे। सार्वजनिक जगहों पर इसकी आवश्यकता नहीं है।
Shriya Prasad
जुलाई 5, 2024 AT 06:28 पूर्वाह्नक्या तुमने कभी देखा है कि एक लड़की जब हिजाब पहनकर स्कूल जाती है तो उसकी आँखों में कितना आत्मविश्वास होता है? ये चादर उसकी आत्मा की रक्षा करती है।