विवादित दृश्यों के बिना 'हमारे बारह' फिल्म को मिली हरी झंडी
बॉम्बे हाई कोर्ट ने आखिरकार फिल्म 'हमारे बारह' की रिलीज को अनुमति दे दी है, लेकिन इसके लिए फिल्म निर्माताओं को कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करने पड़े। इन बदलावों में इस्लाम और मुस्लिम समुदाय की नकारात्मक छवि प्रस्तुत करने वाले दृश्यों, विशेषकर कुरान की गलत व्याख्या वाले सीन्स को हटाने की शर्त शामिल थी।
अदालती मामला कैसे शुरू हुआ?
यह मामला तब शुरू हुआ जब फिल्म 'हमारे बारह' के खिलाफ एक याचिका के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि फिल्म में इस्लाम और मुस्लिमों की गलत छवि पेश की गई है और कुरान की आयतों का तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है। इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी और मामले की सुनवाई का निर्देश दिया।
बॉम्बे हाई कोर्ट का निर्णय
मामले की सुनवाई बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस बीपी कोलाबावाला और जस्टिस फिरदौश पुणेवाला की बेंच ने की। अदालत ने फिल्म निर्माताओं को निर्देश दिया कि एक विशेष संवाद और कुरान की एक आयत को फिल्म से हटाया जाए। इसके अलावा, अदालत ने 12-सेकंड के दो डिस्क्लेमर्स जोड़ने के लिए कहा, जिससे दर्शकों को यह स्पष्ट किया जा सके कि फिल्म का उद्देश्य किसी संप्रदाय या धर्म की आस्था को ठेस पहुँचाना नहीं है।
फिल्म सेटिफिकेशन और नई रिलीज डेट
सेंसर बोर्ड, जिसे केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) के नाम से जाना जाता है, अब फिल्म को फिर से प्रमाणित करेगा। फिल्म निर्माता अदालत के इन आदेशों का पालन करते हुए अब 21 जून 2024 को फिल्म को रिलीज करने की योजना बना रहे हैं। इससे पहले, 'हमारे बारह' 7 जून 2024 को रिलीज होने वाली थी।
विवादों के बावजूद फिल्म की आशा
इस पूरे विवाद के बावजूद, फिल्म निर्माता और निर्देशक 'हमारे बारह' की सफलता को लेकर प्रबल विश्वास में हैं। उनका कहना है कि अब जबकि फिल्म को अदालती अनुमति मिल चुकी है और उसके विवादित हिस्से हटा दिए गए हैं, फिल्म को दर्शकों का अच्छा रिस्पॉन्स मिलने की उम्मीद है।
ध्यानाकर्षण और अमेन्डमेंट के लिए चुकाई गई राशि
अपने कानूनी खर्चों के लिए फिल्म निर्माताओं ने याचिकाकर्ता द्वारा चुने गए किसी चैरिटी को 5 लाख रुपये देने का वचन दिया है। इस कदम से फिल्म निर्माताओं ने एक सकारात्मक संदेश दिया है कि अगर कोई विवाद होता है तो उससे सही तरीके से निपटना चाहिए।
फिल्म की विषयवस्तु और उसकी महत्ता
'हमारे बारह' फिल्म की कहानी समाज में प्रस्तुत विभिन्न ध्रुवीकरण और मुद्दों पर आधारित है। फिल्म में दिखाए गए दृश्य और कथानक ने इसे एक संवेदनशील मुद्दा बना दिया है। यही वजह है कि इस पर विवाद उत्पन्न हुआ। हालांकि, फिल्म निर्माता इस आशा में हैं कि अब जब विवादित हिस्सों को हटा दिया गया है, तो यह फिल्म दर्शकों को एक मजबूत और सार्थक संदेश पहुँचा पाएगी।
भविष्य की योजनाएं और फिल्म निर्माता की प्रतिक्रिया
फिल्म निर्माता ने कहा कि वे भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए फिल्म की सामग्री पर विशेष ध्यान देंगे। वे यही सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस न पहुँचे। इसके साथ ही उन्होंने दर्शकों से फिल्म को देखने और उसका समर्थन करने की अपील की।
फिल्म 'हमारे बारह' को अब 21 जून 2024 को सिनेमाघरों में देखा जाएगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह फिल्म दर्शकों पर क्या प्रभाव डालती है और उसकी सफलता किस हद तक जाती है।
15 टिप्पणि
Manjit Kaur
जून 20, 2024 AT 14:35 अपराह्नफिल्म हटाए गए सीन्स के बिना अब कुछ नहीं बचा। बस एक औसत सामाजिक संदेश वाली फिल्म बन गई।
yashwanth raju
जून 22, 2024 AT 12:27 अपराह्नअरे भाई, ये तो बहुत अच्छी बात है। अगर फिल्म ने धर्म की आस्था को ठेस पहुंचाई होती तो ये बदलाव जरूरी था। अब देखते हैं कि लोग क्या कहते हैं।
Aman Upadhyayy
जून 23, 2024 AT 01:50 पूर्वाह्नये सब बहुत बड़ा मामला बना दिया गया... फिल्म तो बस एक कहानी है, अगर इसमें कुछ गलत लगा तो उसे हटा दो, लेकिन इतना धमाल क्यों? अब तो हर फिल्म के लिए अदालत जाना पड़ेगा 😒
ASHWINI KUMAR
जून 24, 2024 AT 19:33 अपराह्नइस तरह की फिल्मों को रिलीज करने के लिए अदालत का हस्तक्षेप करना बिल्कुल गलत है। फिल्म बनाने वाले कलाकार हैं, न कि धर्म के रक्षक। ये तो सेंसरशिप का नया रूप है।
vaibhav kapoor
जून 25, 2024 AT 05:38 पूर्वाह्नइस्लाम के खिलाफ कुछ नहीं कहा गया। बस गलत व्याख्या हटाई गई। ये देश की एकता के लिए अच्छा है।
Manish Barua
जून 26, 2024 AT 11:17 पूर्वाह्नमुझे लगता है अब फिल्म ज्यादा सच्ची लगेगी। बिना उत्तेजना के भी बहुत कुछ कहा जा सकता है। देखते हैं कैसे बनती है ये कहानी।
Abhishek saw
जून 27, 2024 AT 02:27 पूर्वाह्नफिल्म निर्माताओं ने सही फैसला किया। किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचाना ही विकासशील समाज की नींव है।
TARUN BEDI
जून 27, 2024 AT 09:27 पूर्वाह्नइस निर्णय के पीछे एक गहरा दार्शनिक सिद्धांत छिपा है - कला की स्वतंत्रता और सामाजिक जिम्मेदारी के बीच संतुलन। अदालत ने यही संतुलन बनाया है। यह न्याय का एक उच्च आदर्श है।
Shikha Malik
जून 29, 2024 AT 01:21 पूर्वाह्नओह तो अब फिल्म बिना झटके के बन गई? अब तो ये एक शांत नींद वाली फिल्म बन गई है। कोई विवाद नहीं, कोई चर्चा नहीं... बस एक फिल्म जिसे कोई याद नहीं करेगा 😅
Hari Wiradinata
जून 29, 2024 AT 22:39 अपराह्नअच्छा हुआ कि विवादित भाग हटाए गए। अब फिल्म का मुख्य संदेश साफ़ तौर पर समझ में आएगा।
Leo Ware
जून 30, 2024 AT 10:05 पूर्वाह्नकला कभी निष्पक्ष नहीं होती। लेकिन अगर वह समाज को जोड़े तो वह सफल है। ये फिल्म ऐसी ही होगी।
Ranjani Sridharan
जुलाई 2, 2024 AT 01:07 पूर्वाह्नलोगों को फिल्म देखने दो... लेकिन अगर इसमें थोड़ा भी कुरान का जिक्र हो तो फिर से बवाल हो जाएगा... ये देश ही ऐसा है 😞
Vikas Rajpurohit
जुलाई 2, 2024 AT 15:45 अपराह्नये सब बहुत बड़ा झूठ है! फिल्म ने तो बस एक सच बोला था और अब उसे दबा दिया गया! 😡🔥 अगर ये चल गया तो अगली बार कोई भी विषय पर बात नहीं कर पाएगा!
Nandini Rawal
जुलाई 4, 2024 AT 14:17 अपराह्नअब देखना होगा कि लोग इसे कैसे लेते हैं। अच्छी फिल्म होगी तो लोग खुद बता देंगे।
Balaji T
जुलाई 4, 2024 AT 14:50 अपराह्नमुझे लगता है कि यह निर्णय न्यायपालिका के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ है। इसने कला की स्वतंत्रता और सामाजिक जिम्मेदारी के बीच एक निर्णायक संतुलन स्थापित किया है। यह एक ऐसा आदर्श है जिसे अन्य लोकतंत्रों को अपनाना चाहिए। फिल्म निर्माताओं की विनम्रता और उनके द्वारा चैरिटी के लिए दिए गए 5 लाख रुपये के निर्णय ने इस बात की पुष्टि की है कि सामाजिक जिम्मेदारी न केवल एक शब्द है, बल्कि एक अभ्यास है।