सीपी राधाकृष्णन – भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के जनक

जब बात सीपी राधाकृष्णन, भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के पिता और इसरो के संस्थापक सदस्यों में से एक, भी अब तो चंद्र शंकरनारायणराव राधाकृष्णन के नाम से जानी जाती है की हो, तो पहले ये समझना जरूरी है कि उन्होंने विज्ञान के किस क्षेत्र में सबसे बड़ा बदलाव लाया। उनका मुख्य फोकस अंतरिक्ष विज्ञान, वह क्षेत्र जो पृथ्वी की कक्षा में पिंडों को समझने, बनाने और नियंत्रित करने से जुड़ा है था। इस क्षेत्र में उन्होंने इसरो, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, जो रॉकेट, सैटेलाइट और ग्राउंड सिस्टम विकसित करता है को एक वास्तविक शक्ति में बदल दिया। उनका मानना था कि अगर भारत खुद के रॉकेट रॉकेट प्रौद्योगिकी, ऐसे इंजन और संरचना जो अंतरिक्ष में पेलोड ले जा सकें विकसित कर ले, तो अंतरिक्ष में आत्मनिर्भरता हासिल कर सकता है। इस सोच ने आज भारत को 'एरियन' जैसे रॉकेट वर्ग में अग्रणी बना दिया। इसके अलावा, उन्होंने सैटेलाइट लॉन्च तकनीक को भी लोकप्रिय किया, जिससे भारत की दूरसंचार, नेविगेशन और मौसम विज्ञान सेवाएँ काफी सुधरीं।

सीपी राधाकृष्णन के विचार और उनके परिप्रेक्ष्य

राधाकृष्णन का मानना था कि विज्ञान को समाज के साथ जोड़ना चाहिए, इसलिए वह अक्सर कहते थे "विज्ञान का लक्ष्य मानव जीवन में सुधार लाना है"। उन्होंने सैटेलाइट लॉन्च, उच्च ऊँचाई में पेलोड स्थापित करने की प्रक्रिया, जिसमें जियोस्टेशनरी व भू-स्थिर्य दोनों मोड शामिल हैं को राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास के दोहरे मकसद से जोड़ दिया। उनका तर्क था कि एक मजबूत सैटेलाइट नेटवर्क से देश को कृषि मॉनिटरिंग, आपदा प्रबंधन और संचार में तेजी मिलती है। इसरो के शुरुआती प्रोजेक्ट्स – जैसे रोहिणी, उपग्रह निर्माण में उनकी पीढ़ी की भूमिका स्पष्ट है। वे लगातार युवा वैज्ञानिकों को प्रयोगशालाओं में हाथों‑हाथ काम करने के लिए प्रेरित करते रहे, जिससे भारत ने कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते। उनका नेतृत्व शैली सहयोगी थी; उन्होंने विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी विभागों और निजी उद्योगों को एक मंच पर लाई, जिससे रॉकेट प्रोटोटाइप से लेकर पूर्ण‑पैमाने के लॉन्च तक का चक्र सुव्यवस्थित हो सका।

आज जब हम इसरो के चंद्रयान‑3, मार्स ऑर्बिटर या ऍरिस प्रोजेक्ट देखते हैं, तो स्पष्ट है कि सीपी राधाकृष्णन के सिद्धांत अभी भी पनपे हुए हैं। इस टैग पेज में आप ऐसे लेख पाएँगे जो उनके जीवन के अलग‑अलग पहलुओं, अंतरिक्ष विज्ञान में उनके योगदान और वर्तमान परियोजनाओं के बीच की कड़ी को समझाते हैं। आप पढ़ेंगे कि कैसे रॉकेट प्रौद्योगिकी ने राष्ट्रीय रक्षा को सुदृढ़ किया, सैटेलाइट लॉन्च ने दूरसंचार को नयी ऊँचाइयों पर पहुंचाया, और इसरो की रणनीति ने वैश्विक विज्ञान में भारत की अहम भूमिका स्थापित की। इन सबके बीच राधाकृष्णन की विरासत आपका मार्गदर्शन करेगी, चाहे आप छात्र हों, शोधकर्ता या सामान्य पाठक। अब नीचे दी गई सूची में उन लेखों को देखें जो इस विशाल कहानी के विभिन्न रंग दिखाते हैं।

सीपी राधाकृष्णन ने जीती 15वें उप राष्ट्रपति पद की दौड़, एनडीए ने मिला निर्णायक समर्थन

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26 सित॰ 2025

9 सितंबर 2025 को आयोजित उप राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के दावेदार सीपी राधाकृष्णन ने 452 वोटों से जीत हासिल की। कुल 767 मतदान में विपक्षी उम्मीदवार जस्टिस बी. सुडरशन रेड्डी को 300 वोट मिले। चुनाव में 98.2% टर्नआउट दर दर्ज हुई, जबकि कुछ दलों के सांसदों ने मतदान से हट कर दिखाया अपना तटस्थ रवैया। विरोधी गठबंधन में संभावित क्रॉस‑वोटिंग के संकेत भी मिले। प्रधानमंत्री मोदी ने नई नियुक्ति को बधाई देते हुए भविष्य में संविधानिक मूल्यों की मजबूत रक्षा की आशा जताई।

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