उप राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम
9 सितंबर 2025 को भारत के संसद सदस्यों ने 15वें उप राष्ट्रपति पद के लिये मतदान किया। राष्ट्रीय जनसंघ (एनडीए) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने 452 वोटों के साथ प्रतिद्वंद्वी जस्टिस बी. सुडरशन रेड्डी (इंडिया मोर्चा) को 300 वोटों पर मात दी। कुल 767 में से 752 मत gültig रहे, जिससे राधाकृष्णन को 152 वोटों की सराहनीय बहुमत मिली।
यह चुनाव तभी संभव हुआ क्योंकि पूर्व उप राष्ट्रपति जगदीप धंकर ने 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों से पद त्याग दिया था। उनका खाली पद 50 दिन तक बना रहा, जिस दौरान संसद की मोनसून सत्र चल रहा था। इस समय में राष्ट्रपति ने चुनाव की तिथि निर्धारित कर मतदान सुनिश्चित किया।
वोटों के आँकड़े और विपक्षी प्रतिक्रिया
परिणामों से साफ़ झलकता है कि एनडीए की गठबंधन शक्ति अभी भी मजबूत है, परन्तु 2022 के चुनाव से प्राप्त 346 वोटों की तुलना में इस बार अंतराल कम रहा। कई विश्लेषकों का मानना है कि यह अंतरावकाश विपक्षी मोर्चे के भीतर हुए सम्भावित क्रॉस‑वोटिंग का संकेत है। कांग्रेस ने सभी 315 विरोधी सांसदों को एकजुट कहा था, परन्तु उन वोटों में से कम से कम 15 वोटों को राधाकृष्णन के पक्ष में गिना गया।
अधिकांश वोटकारों में कुल 542 लोकसभा और 239 राज्यसभा सांसद शामिल थे। चुनाव में 13 सांसद ने मतदान से हँटा, जिन्होंने अपने-अपने दलों के इरादों को दर्शाते हुए abstain किया। इन विधायकों में शामिल थे:
- बिजु जनता दल (BJD) – 7 सदस्य
- भारत राष्ट्र समिति (BRS) – 4 सदस्य
- शिरोमती अकाली दल (SAD) – 1 सदस्य
- स्वतंत्र सांसद – 1 सदस्य
वोटों में 15 अमान्य पाये गये, जिन्हें राजभवन के सचिव पी.सी. मोडी ने घोषित किया। यह स्पष्ट नहीं है कि ये अमान्य वोट विपक्षी दलों से थे या अन्य कारणों से त्रुटिपूर्ण रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी आधिकारिक X (पूर्वातन ट्विटर) के पोस्ट में राधाकृष्णन को बधाई देते हुए कहा, "उनका समर्पण और काम करने का तरीका हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को सुदृढ़ करेगा।" इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार नई उप राष्ट्रपति को संसद के कामकाज में सक्रिय भूमिका निभाने की उम्मीद रखती है।
67 साल के राधाकृष्णन का राजनैतिक सफर लंबा और विविधतापूर्ण रहा है। उन्होंने तमिलनाडु की राजनीति में बी. जे. पी. के नेता के रूप में शुरूआत की, फिर महाराष्ट्र में गवर्नर के पद पर कार्य किया। इस अनुभव को देखते हुए विशेषज्ञों का अनुमान है कि वह संसद के द्विसदनीय कार्य में संतुलन बनाये रखने में मदद करेंगे और विपक्षी आवाज़ों को भी सुने जाने का अवसर देंगे।
भविष्य की ओर देखते हुए, इस उप राष्ट्रपति चुनाव ने भारत की जटिल राजनैतिक समीकरणों को फिर से उजागर किया है। जबकि एनडीए ने प्रमुख पदों पर अपना प्रभुत्व बना रखा है, विपक्ष के भीतर विभाजन और संभावित असहमति इस बात का संकेत देती है कि राजनीतिक दलों को अपनी रणनीतियों को पुनः परखना पड़ सकता है। आगामी सत्र में कौन सी विधायी पहलें सामने आएंगी और नए उप राष्ट्रपति इन पर क्या भूमिका निभाएंगे, यह देखना बाकी है।
20 टिप्पणि
Piyush Raina
सितंबर 27, 2025 AT 12:40 अपराह्नराधाकृष्णन का चुनाव एक अच्छा संकेत है कि देश की राजनीति में अनुभव अभी भी मायने रखता है। वो बस एक नेता नहीं, एक संस्थागत स्मृति हैं।
Srinath Mittapelli
सितंबर 28, 2025 AT 01:47 पूर्वाह्नइतने सारे वोट अमान्य क्यों? क्या कोई असली जांच हुई या बस एक नियम के तहत फेंक दिए गए? किसी को लगता है ये सब नियंत्रित है?
Vineet Tripathi
सितंबर 28, 2025 AT 18:46 अपराह्नकांग्रेस के लोगों को तो लगता है वो एक जमात हैं, पर देखो तो 15 वोट तो उन्हीं के अंदर से गए। अब ये कौन है जो अपने दल के खिलाफ वोट कर रहा है?
Dipak Moryani
सितंबर 29, 2025 AT 00:01 पूर्वाह्नअगर जगदीप धंकर का स्वास्थ्य इतना खराब था तो वो अपना त्यागपत्र क्यों इतनी देर तक नहीं दे पाए? ये सब तो नियोजित लग रहा है।
Subham Dubey
सितंबर 30, 2025 AT 00:54 पूर्वाह्नये सब एक गहरी योजना है। वो 15 वोट जो विपक्ष से आए, वो नहीं थे। वो डीप लर्निंग वाले AI बॉट्स थे। राजभवन के सर्वर में इनका डेटा ट्रैक हो रहा है। आपको लगता है ये सब बेकार का चुनाव है? नहीं। ये डिजिटल नियंत्रण की शुरुआत है।
Rajeev Ramesh
अक्तूबर 2, 2025 AT 00:22 पूर्वाह्नThe validity of the 15 rejected ballots remains a matter of constitutional concern. The Secretary to the President, P.C. Modi, has not provided sufficient transparency regarding the criteria applied for invalidation. This undermines the integrity of the electoral process.
Vijay Kumar
अक्तूबर 3, 2025 AT 14:10 अपराह्नजब तक लोग वोट नहीं बदलते, राजनीति नहीं बदलती।
Abhishek Rathore
अक्तूबर 5, 2025 AT 01:00 पूर्वाह्नक्या आपने देखा कि BJD और BRS के लोगों ने वोट नहीं दिया? ये तो एक छोटी सी विद्रोह की शुरुआत हो सकती है। अगर ये लोग अब अपने दलों के खिलाफ वोट देने लगे, तो देश की राजनीति बदल सकती है।
Rupesh Sharma
अक्तूबर 5, 2025 AT 08:18 पूर्वाह्नये चुनाव सिर्फ एक पद के लिए नहीं, बल्कि भारत के भविष्य के लिए था। राधाकृष्णन एक ऐसे इंसान हैं जो बात करते हैं, सुनते हैं, और फैसले लेते हैं। अब देखना है कि वो इस पद को कैसे निभाते हैं।
Jaya Bras
अक्तूबर 5, 2025 AT 23:40 अपराह्न15 votes for CP? lol. someone’s mom probably voted for him because he’s from TN. and the rest? brainwashed. #DemocracyInIndia
Arun Sharma
अक्तूबर 6, 2025 AT 17:27 अपराह्नThe electoral process, though constitutionally valid, exhibits signs of institutional fatigue. The marginal increase in the margin of victory compared to 2022 suggests a latent erosion of consensus. One must question whether the institutional legitimacy of the office is being diluted.
Ravi Kant
अक्तूबर 8, 2025 AT 15:29 अपराह्नमैं तमिलनाडु से हूँ। राधाकृष्णन को बचपन से जानता हूँ। वो एक ऐसे इंसान हैं जो बात करने में भी शांत रहते हैं। ये चुनाव उनके लिए नहीं, भारत के लिए था।
Harsha kumar Geddada
अक्तूबर 8, 2025 AT 21:05 अपराह्नअगर हम इस चुनाव को एक दर्पण के रूप में देखें तो ये दिखाता है कि हमारी राजनीति का एक बहुत बड़ा हिस्सा अब बस वोटों के बारे में है, न कि विचारों के बारे में। एक व्यक्ति जिसने तमिलनाडु में बीजेपी के साथ शुरुआत की, फिर महाराष्ट्र में गवर्नर बना, अब उप राष्ट्रपति बना - ये एक देश की एकता की कहानी है। लेकिन क्या हम इस कहानी को समझ पा रहे हैं? या हम सिर्फ वोट के नंबर देख रहे हैं?
sachin gupta
अक्तूबर 8, 2025 AT 21:16 अपराह्नLook, CP is fine. But let’s be real - this is just another bureaucratic slot filled by someone who’s been around long enough to know how to not make waves. The real power? Still in the PMO. This is just theatre with a better suit.
Shivakumar Kumar
अक्तूबर 9, 2025 AT 12:38 अपराह्नये चुनाव एक बड़े बाजार की तरह था - जहां बहुत सारे लोग अलग-अलग चीजें खरीद रहे थे, पर सबका बजट एक जैसा था। कुछ लोगों ने राधाकृष्णन को खरीदा क्योंकि वो अच्छे लगे, कुछ ने तो बस इसलिए क्योंकि दूसरा नाम अजीब लगा। और कुछ? बस इसलिए कि उनके घर में टीवी पर वो दिख रहे थे।
saikiran bandari
अक्तूबर 10, 2025 AT 19:12 अपराह्नअगर विपक्ष एकजुट होता तो ये चुनाव नहीं होता
Rashmi Naik
अक्तूबर 11, 2025 AT 11:12 पूर्वाह्नThe cross-voting was a systemic failure of party discipline. The 15 defections indicate a latent fissure in the opposition’s ideological scaffolding. This is not mere electoral variance - it’s a structural collapse in progress.
Vishakha Shelar
अक्तूबर 11, 2025 AT 19:52 अपराह्न15 votes from Congress?? 😭😭😭 I’m crying right now. My mom voted for him. I’m so ashamed.
Ayush Sharma
अक्तूबर 12, 2025 AT 10:07 पूर्वाह्नThe fact that 13 MPs abstained speaks volumes. They didn’t vote against - they just refused to participate. That’s not neutrality. That’s silent protest.
Vijay Kumar
अक्तूबर 13, 2025 AT 03:37 पूर्वाह्नअगर वोट बदले तो राजनीति बदलेगी।