सीपी राधाकृष्णन ने जीती 15वें उप राष्ट्रपति पद की दौड़, एनडीए ने मिला निर्णायक समर्थन
26 सितंबर 2025

उप राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम

9 सितंबर 2025 को भारत के संसद सदस्यों ने 15वें उप राष्ट्रपति पद के लिये मतदान किया। राष्ट्रीय जनसंघ (एनडीए) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने 452 वोटों के साथ प्रतिद्वंद्वी जस्टिस बी. सुडरशन रेड्डी (इंडिया मोर्चा) को 300 वोटों पर मात दी। कुल 767 में से 752 मत gültig रहे, जिससे राधाकृष्णन को 152 वोटों की सराहनीय बहुमत मिली।

यह चुनाव तभी संभव हुआ क्योंकि पूर्व उप राष्ट्रपति जगदीप धंकर ने 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों से पद त्याग दिया था। उनका खाली पद 50 दिन तक बना रहा, जिस दौरान संसद की मोनसून सत्र चल रहा था। इस समय में राष्ट्रपति ने चुनाव की तिथि निर्धारित कर मतदान सुनिश्चित किया।

वोटों के आँकड़े और विपक्षी प्रतिक्रिया

परिणामों से साफ़ झलकता है कि एनडीए की गठबंधन शक्ति अभी भी मजबूत है, परन्तु 2022 के चुनाव से प्राप्त 346 वोटों की तुलना में इस बार अंतराल कम रहा। कई विश्लेषकों का मानना है कि यह अंतरावकाश विपक्षी मोर्चे के भीतर हुए सम्भावित क्रॉस‑वोटिंग का संकेत है। कांग्रेस ने सभी 315 विरोधी सांसदों को एकजुट कहा था, परन्तु उन वोटों में से कम से कम 15 वोटों को राधाकृष्णन के पक्ष में गिना गया।

अधिकांश वोटकारों में कुल 542 लोकसभा और 239 राज्यसभा सांसद शामिल थे। चुनाव में 13 सांसद ने मतदान से हँटा, जिन्होंने अपने-अपने दलों के इरादों को दर्शाते हुए abstain किया। इन विधायकों में शामिल थे:

  • बिजु जनता दल (BJD) – 7 सदस्य
  • भारत राष्ट्र समिति (BRS) – 4 सदस्य
  • शिरोमती अकाली दल (SAD) – 1 सदस्य
  • स्वतंत्र सांसद – 1 सदस्य

वोटों में 15 अमान्य पाये गये, जिन्हें राजभवन के सचिव पी.सी. मोडी ने घोषित किया। यह स्पष्ट नहीं है कि ये अमान्य वोट विपक्षी दलों से थे या अन्य कारणों से त्रुटिपूर्ण रहे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी आधिकारिक X (पूर्वातन ट्विटर) के पोस्ट में राधाकृष्णन को बधाई देते हुए कहा, "उनका समर्पण और काम करने का तरीका हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को सुदृढ़ करेगा।" इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार नई उप राष्ट्रपति को संसद के कामकाज में सक्रिय भूमिका निभाने की उम्मीद रखती है।

67 साल के राधाकृष्णन का राजनैतिक सफर लंबा और विविधतापूर्ण रहा है। उन्होंने तमिलनाडु की राजनीति में बी. जे. पी. के नेता के रूप में शुरूआत की, फिर महाराष्ट्र में गवर्नर के पद पर कार्य किया। इस अनुभव को देखते हुए विशेषज्ञों का अनुमान है कि वह संसद के द्विसदनीय कार्य में संतुलन बनाये रखने में मदद करेंगे और विपक्षी आवाज़ों को भी सुने जाने का अवसर देंगे।

भविष्य की ओर देखते हुए, इस उप राष्ट्रपति चुनाव ने भारत की जटिल राजनैतिक समीकरणों को फिर से उजागर किया है। जबकि एनडीए ने प्रमुख पदों पर अपना प्रभुत्व बना रखा है, विपक्ष के भीतर विभाजन और संभावित असहमति इस बात का संकेत देती है कि राजनीतिक दलों को अपनी रणनीतियों को पुनः परखना पड़ सकता है। आगामी सत्र में कौन सी विधायी पहलें सामने आएंगी और नए उप राष्ट्रपति इन पर क्या भूमिका निभाएंगे, यह देखना बाकी है।