रेपो रेट क्या है? आसान भाषा में पूरी जानकारी
अगर आप बैंक की दरों या लोन के बारे में सोचते हैं तो "रेपो रेट" नाम सुनना ज़रूरी हो जाता है। यह शब्द थोड़ा तकनीकी लगता है, लेकिन असल में इसका काम बहुत सरल है – RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक) द्वारा बैंकों को दी जाने वाली अल्पकालिक उधारी की ब्याज दर। जब RBI बैंकों से पैसा लेता या देता है, तो वही रेपो रेट तय करता है।
रेपो रेट कैसे काम करता है?
रिज़र्व बैंक के पास दो मुख्य उपकरण होते हैं – रेपो (Reverse Repo) और ओपन मार्केट ऑपरेशन। जब RBI को महंगाई कम करनी होती है, तो वह रेपो रेट बढ़ाता है। इससे बैंकों को पैसे उधार लेने में अधिक लागत आती है और वे अपनी लोन दरें भी ऊपर उठाते हैं। दूसरी ओर अगर आर्थिक गति धीमी हो रही हो तो RBI रेट घटा देता है, जिससे बैंकों के लिए पैसे सस्ते हो जाते हैं और लोन की दरें नीचे गिरती हैं।
रेपो रेट का आपके रोज़मर्रा के फैसलों पर असर
आपको लगता होगा कि रेपो रेट सिर्फ बड़े बैंकरों के लिए है, लेकिन इसका असर सीधे आपके बचत खाते, फिक्स्ड डिपॉजिट और होम लोन तक पहुँचता है। जब RBI रेट बढ़ाता है तो:
- बैंक की लोन दरें – जैसे गृह ऋण या कार लोन – सामान्यतः ऊँची हो जाती हैं।
- सावधानी से बचत और फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाली ब्याज दर थोड़ी बढ़ सकती है, लेकिन यह हमेशा नहीं होता क्योंकि बैंक अपनी मार्जिन को भी देखता है।
- क्रेडिट कार्ड की इंटरेस्ट रेट्स भी ऊपर जा सकते हैं, जिससे आपके महंगे बिलों का बोझ बढ़ सकता है।
दूसरी तरफ यदि RBI रेट कम करता है तो लोन लेने में आसानी होती है और कई लोगों को घर या गाड़ी खरीदने के लिए प्रोत्साहन मिलता है। लेकिन इस समय बचत पर मिलने वाला ब्याज कम हो जाता है, इसलिए निवेश के विकल्पों की दोबारा समीक्षा करनी पड़ती है।
अभी तक का सबसे नया अपडेट यह है कि RBI ने अप्रैल 2025 में रेपो रेट को 6.50% से घटाकर 6.25% कर दिया। इसका मुख्य कारण आर्थिक गति को तेज़ करना और छोटे व्यवसायों के लिए क्रेडिट सस्ता बनाना था। इस बदलाव के बाद कई बैंकों ने अपने होम लोन की दरें 0.2-0.3 प्रतिशत पॉइंट तक नीचे लाई हैं, जिससे पहली बार घर खरीदने वाले लोगों को काफी राहत मिली है।
क्या आप सोच रहे हैं कि इस रेट बदलने से आपके मौजूदा लोन पर क्या असर पड़ेगा? अगर आपका लोन फिक्स्ड दर पर है तो अभी के लिए कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा, क्योंकि फ़िक्स्ड दरें पहले ही तय हो चुकी होती हैं। लेकिन यदि आपका लोन फ्लोटिंग (परिवर्तनीय) दर वाला है तो आप अगले रीव्यू में नई कम रेट का फायदा उठा सकते हैं। अपने बैंकर से पूछें कि अगली बार कब रेपो रेट के आधार पर आपकी EMI बदल सकती है।
बचत की बात करें तो इस समय फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज दर में मामूली गिरावट देखी जा रही है – 6 महीने के फ़ीड में 7% से घटकर लगभग 6.5% हो गई है। यदि आप लंबी अवधि के निवेश (2 साल या उससे अधिक) की सोच रहे हैं तो अभी भी यह रेट कई म्यूचुअल फंड और गोल्ड सिविंग प्लान्स से बेहतर है। लेकिन अगर आपके पास अल्पकालिक जरूरतें हैं, तो हाई-इंटरेस्ट बचत अकाउंट या डेली डिपॉजिट को देखना समझदारी होगी।
अंत में एक छोटा टिप – रेपो रेट के बदलाव पर नजर रखें और अपने वित्तीय योजना को साल में दो बार रीव्यू करें। यह आपको लोन की लागत कम करने, बचत बढ़ाने या निवेश पोर्टफ़ोलियो को बेहतर बनाने में मदद करेगा। यदि आप किसी विशेष बैंक के बारे में जानकारी चाहते हैं तो उस बैंके की आधिकारिक वेबसाइट या कस्टमर सपोर्ट से रेपो रेट पर आधारित नई दरों का विवरण ले सकते हैं। इस तरह आप हमेशा अपडेटेड रहेंगे और अपने पैसे का सही उपयोग कर पाएँगे।
8 अग॰ 2024
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने लगातार नौवीं बार रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखा है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने जोर देकर कहा कि महंगाई को 4% के लक्ष्य पर लाना प्राथमिकता है। एमपीसी ने वित्त वर्ष 2025 के लिए महंगाई और जीडीपी ग्रोथ की भविष्यवाणियों को भी अपरिवर्तित रखा है।
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