आरबीआई एमपीसी ने रेपो रेट को 6.5% पर रखा स्थिर
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने लगातार नौवीं बार रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखा है। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब खाद्य महंगाई को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं। इकोनॉमिक टाइम्स के एक पोल में शामिल 12 उत्तरदाताओं के बीच सहमति थी कि रेपो रेट को स्थिर रखा जाएगा, और यह अनुमान सही साबित हुआ।
खाद्य महंगाई पर आरबीआई की नज़र
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई को 4% के लक्ष्य पर स्थायी रूप से लाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि महंगाई पर नियंत्रण रखना आर्थिक स्थिरता के लिए आवश्यक है। एमपीसी ने वर्तमान वित्तीय वर्ष (वित्त वर्ष 2025) के लिए महंगाई की भविष्यवाणी को 4.5% पर स्थिर रखा है।
वित्तीय वर्ष 2025 की महंगाई दर अनुमान
एमपीसी के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही, तीसरी तिमाही, और चौथी तिमाही में महंगाई दर क्रमशः 4.4%, 4.7%, और 4.3% रहेगी। आरबीआई के अनुसार, खाद्य महंगाई को देखते हुए ये अनुमान लगाए गए हैं, जो विश्लेषकों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक है।
वित्तीय वर्ष 2025 के जीडीपी ग्रोथ अनुमान
एमपीसी ने वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान 7.2% पर स्थिर रखा है, लेकिन पहली तिमाही के लिए इसे 7.1% कर दिया गया है। विकास के इन अनुमानों का प्रमुख कारण घरेलू महत्वपूर्ण घटनाएं हैं, जैसे कि भारत की खेती भूमि पर हाल की बारिश।
अन्य महत्वपूर्ण दरें
एमपीसी ने स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) दर को 6.25% और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) दर को 6.75% पर अपरिवर्तित रखा है।
एमपीसी के फैसले के समर्थक
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस बात पर जोर दिया कि आरबीआई भविष्य में होने वाले किसी भी प्रभाव को रोकने के लिए सतर्क रहेगा ताकि मौद्रिक नीति की विश्वसनीयता बनी रहे। एमपीसी के इस निर्णय का समर्थन समिति में 4:2 के बहुमत से हुआ।
स्थिरता बनाम बदलाव
आरबीआई के इस निर्णय के पीछे घरेलू प्रमुख कारण रहें, जिनमें हाल की बारिश और खेती संबंधित प्रगति शामिल हैं। इसका अमेरिका के फेडरल रिज़र्व के संभावित ब्याज दर कटौती से कोई सीधा संबंध नहीं है। आरबीआई का लक्ष्य आर्थिक वृद्धि को बनाए रखते हुए मूल्य स्थिरता को सुनिश्चित करना है।
इस प्रकार, आरबीआई ने अपने स्थिरता और महंगाई के नियंत्रित रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। यह निर्णय भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक स्थिर और संतुलित दिशा को इंगित करता है, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के प्रयासों को बल मिलेगा।