राहुल द्रविड़: भारतीय क्रिकेट की शाश्वत किला
जब आप भारत के क्रिकेट इतिहास में "स्थिरता" शब्द सुनते हैं तो दिमाग में तुरंत एक चेहरा आता है – राहुल द्रविड़। 1973 में जन्मे द्रविड़ ने सिर्फ बल्लेबाज़ी ही नहीं, बल्कि टीम को भरोसा और अनुशासन भी दिया। उनका खेल‑स्तर इतना साफ़ था कि कप्तान बनकर वह "जिन्हें गिराना मुश्किल" वाले मैच जीतते रहे।
बेटिंग स्टाइल और सबसे यादगार पारी
द्रविड़ को अक्सर "डिफेंसिव मास्टर ब्लॉज़र" कहा जाता था, पर यह सिर्फ एक लेबल नहीं है। उनका एंगल‑सहज कवर ड्राइव और सटीक फाइन लेग स्ट्रोक कई बार भारत के बड़े स्कोर की नींव रहे हैं। 2001 में कोलकाता में उन्होंने 180 रन बनाकर भारतीय टीम को दुबई में गिरते हुए बचाया, वही 2004 में वैंकूवर में 233* ने उन्हें टेस्ट इतिहास का सबसे भरोसेमंद खिलाड़ी बना दिया। ये पारी सिर्फ आँकड़े नहीं; वे टीम की आत्मविश्वास को फिर से जगा देतीं थीं।
ऑडिसी और टी20 में भी द्रविड़ की भूमिका कम नहीं थी, लेकिन उनका असली योगदान बैटिंग से आगे था – वह युवा खिलाड़ियों को सिखाते थे कि कैसे दबाव में शांत रहना है। कई आज के स्टार्स मानते हैं कि उनका मार्गदर्शन ही उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफल बनाता।
कप्तान की भूमिका और नेतृत्व का असर
2005 से 2007 तक द्रविड़ ने भारत को टेस्ट कप्तानी संभाली। उनके तहत टीम ने साइड‑टेस्ट, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड जैसे कठिन दौर में भी कई जीतें दर्ज कीं। उनका सबसे बड़ा गुण था "सीखना और सीखाना" – वह हर मीटिंग में डेटा दिखाते, विरोधियों की रणनीति बताते और खिलाड़ियों को अपनी भूमिका समझाते। इससे टीम का आत्मविश्वास बढ़ा और एकजुटता बनी रही।
कप्तान रहने के बाद भी द्रविड़ ने कोचिंग एरिया में कदम रखा। वह भारत अंडर‑19, भारत A और अभी तक राष्ट्रीय टीम के बॅकलॉडिंग स्टाफ का हिस्सा रहे हैं। उनके प्रशिक्षण सत्रों में "परफ़ेक्ट टेम्पो" पर ज़ोर दिया जाता है – यानी खेल की रफ्तार को समझते हुए शारीरिक फिटनेस भी बनाये रखना।
आज जब आप द्रविड़ के नाम सुनते हैं, तो सिर्फ एक महान बैटर नहीं बल्कि एक ऐसा इंसान याद आता है जो टीम में अनुशासन और आत्मविश्वास लाता है। उनका "दवाला" टैग अब केवल उनके लंबे बालों को ही नहीं, बल्कि उनकी स्थिरता और धैर्य को भी दर्शाता है। यदि आप क्रिकेट का नया फैन हैं या पुराने दीवान, तो द्रविड़ की कहानी से सीखना हमेशा लाभकारी रहेगा।
30 जून 2024
टी20 विश्व कप के फाइनल से पहले राहुल द्रविड़ के 'डू इट फॉर द्रविड़' कैंपेन पर दिए गए बयान पर अश्विन ने प्रतिक्रिया दी है। अश्विन ने कहा कि टीम खेल में किसी एक व्यक्ति को केंद्रित करना सबसे बुरा होता है। भारत और दक्षिण अफ्रीका दोनों ही टीमें इस टूर्नामेंट में अब तक अजेय रही हैं।
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