लक्ष्य कीमत क्या है और क्यों जरूरी है?

जब आप शेयर मार्केट में कदम रखते हैं, तो सबसे पहला सवाल अक्सर यही आता है – इस कंपनी का टार्गेट प्राइस कितना होना चाहिए? लक्ष्य कीमत यानी वह अनुमानित मूल्य जो विश्लेषक बताते हैं कि स्टॉक भविष्य में किस स्तर तक जा सकता है। यह संख्या सिर्फ एक नंबर नहीं, बल्कि कई फैक्टर्स को मिलाकर निकाली जाती है – कंपनी की कमाई, उद्योग की स्थिति, आर्थिक माहौल और कभी‑कभी बाजार का मूड भी इसमें शामिल होता है।

अगर आप इस टैग पेज पर आ गए हैं, तो आपके सामने कई लेखों में अलग‑अलग टार्गेट दिखेंगे। हर एक लेखक या फर्म अपने हिसाब से लक्ष्य कीमत तय करती है, इसलिए थोड़ा फर्क हो सकता है। लेकिन मूल बात यही रहती है – लक्ष्य कीमत आपको यह समझने में मदद करती है कि कोई स्टॉक अभी सस्ता है या महंगा, और कब खरीदना‑बेचना बेहतर रहेगा।

शेयर टार्गेट कैसे बनता है?

टार्गेट प्राइस बनाने के लिए एनालिस्ट दो मुख्य तरीके अपनाते हैं – फंडामेंटल और टेक्निकल. फंडामेंटल में कंपनी की आय, कमाई प्रति शेयर (EPS), डिविडेंड और भविष्य के विकास योजनाओं को देखा जाता है। अगर ये सब पॉजिटिव दिखते हैं, तो टार्गेट आमतौर पर ऊँचा रखा जाता है।

टेक्निकल विश्लेषण में पिछले कीमतों की ग्राफ़, सपोर्ट‑रेज़िस्टेंस लेवल और मूविंग एवरिज़ देखे जाते हैं। जब एक स्टॉक का प्राइस किसी रेजिस्टेंस लाइन को तोड़ता है, तो एनालिस्ट अक्सर नई लक्ष्य कीमत सेट कर देते हैं – जैसे 10% या 20% ऊपर.

बहुत सारी फर्में इन दोनों पद्धतियों को मिलाकर अपना टार्गेट निकालती हैं। इसलिए जब आप किसी लेख में "लक्ष्य कीमत ₹1,250" पढ़ते हैं, तो समझिए कि ये आंकड़ा कई डेटा पॉइंट्स पर आधारित है, न कि बस कोई अनुमान.

टार्गेट को कैसे इस्तेमाल करें?

पहले तो यह देखिये कि आपका निवेश लक्ष्य क्या है – अल्पकालिक मुनाफा या दीर्घकालिक वृद्धि? अगर आप छोटे‑मोटे ट्रेडर हैं, तो टार्गेट प्राइस के आधार पर एंट्री और एक्ज़िट पॉइंट तय कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि कोई स्टॉक अभी ₹900 पर है और एनालिस्ट ने लक्ष्य कीमत ₹1,200 रखी है, तो आप सोच सकते हैं कि 20‑30% ऊपर जाने से पहले खरीदना फायदेमंद हो सकता है.

दूसरी तरफ अगर आप लम्बे समय तक रखकर रिटर्न चाहते हैं, तो टार्गेट को एक बेंचमार्क मानिए। जब स्टॉक इस लक्ष्य के करीब या उससे नीचे पहुँचता है, तो इसका मतलब यह नहीं कि आपको तुरंत बेच देना चाहिए – बल्कि कंपनी की वास्तविक स्थिति देखें. कभी‑कभी टार्गेट अपडेट हो जाता है क्योंकि मार्केट की परिस्थितियां बदल जाती हैं.

ध्यान रखें कि कोई भी टार्गेट 100% सटीक नहीं होता। हर निवेश में जोखिम रहता है, इसलिए सिर्फ लक्ष्य कीमत पर भरोसा न करें, बल्कि अपना रिसर्च और फंडामेंटल्स को भी देखिए. अगर आप शेयरों के बारे में नया हैं, तो छोटे‑छोटे इन्वेस्टमेंट से शुरू करके धीरे‑धीरे समझ बढ़ाएँ.

अंत में यही कहूँगा – लक्ष्य कीमत एक दिशा देता है, पर रास्ता तय करना आपका काम है. जब तक आप खुद की रिस्क मैनेजमेंट और निवेश योजना बनाते रहेंगे, टार्गेट सिर्फ एक सहायक उपकरण रहेगा, न कि अंतिम निर्णय।

Axis Bank के शेयरों में 7% की गिरावट, कई ब्रोकरेज ने लक्ष्य कीमत घटाई

Axis Bank के शेयरों में 7% की गिरावट, कई ब्रोकरेज ने लक्ष्य कीमत घटाई

26 जुल॰ 2024

Axis Bank के शेयर NSE पर 7% गिरकर ₹1,150.50 पर आ गए। जून तिमाही के नतीजे निवेशकों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरने के कारण यह गिरावट आई। बैंक का सकल एनपीए बढ़ने पर ब्रोकरेज ने लक्ष्य कीमत घटाई। कुछ ब्रोकरेज ने 'न्यूट्रल' रेटिंग दी जबकि कुछ ने 'बाय' कॉल को बरकरार रखा, लेकिन लक्ष्य कीमत में कटौती की।

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