भूमि पूलिंग – समझें अवधारणा और ताज़ा अपडेट
जब बात भूमि पूलिंग, एक नियोजित भूमि उपयोग विधि है जिसमें कई छोटे‑छोटे भू‑खण्डों को मिलाकर बड़े विकास प्रकल्प बनते हैं. इसे कभी‑कभी भूमि संकलन कहा जाता है, और इसका लक्ष्य शहरी विकास, स्मार्ट सिटी, औद्योगिक कॉम्प्लेक्स और किफायती आवासीय परियोजनाओं को तेज़ी से लागू करना है. इस प्रक्रिया में आवासीय योजना, रहिवासियों को पारसंपत्ति के बदले में नई सुविधाओं और मकान की व्यवस्था देना प्रमुख भूमिका निभाते हैं. सरकार की नीति, जैसे 2024‑25 की विकास योजना, भूमि‑पूलिंग को आसान बनाने के नियम बनाती है और निजी निवेशकों को आकर्षित करती है.
भूमि पूलिंग क्यों महत्त्वपूर्ण है, इसका जवाब अक्सर दो बातों में मिलता है – भूमि‑भंडार का बेहतर उपयोग और निवेश का सुरक्षित बंधन. जब कई छोटे‑छोटे ज़मीन‑धारक अपने टुकड़े मिलाते हैं, तो न केवल बड़ी सड़कों, स्कूलों और अस्पतालों की योजना बनती है, बल्कि जमीन‑की कीमतें स्थिर रहती हैं. इस मॉडल की सफलता का सीधा उदाहरण बिहार के सोनेपुर मेले 2024 के शुभारम्भ में देखा गया, जहाँ सम्राट चौधरी ने 20,000 करोड़ रुपये की विकास योजना के तहत कई ग्रामों को मिलाकर पर्यटन‑आवासीय परिसरों की रचना की. इसी तरह, विभिन्न राज्यों में भूमि‑पूलिंग से तैयार हुए औद्योगिक ज़ोन्स में विदेशी कंपनियों ने निवेश किया, जिससे नौकरियों में इजाफा हुआ.
मुख्य पहलुओं का सारांश
भूमि पूलिंग की प्रक्रिया तीन मुख्य चरणों में विभाजित होती है: प्रस्तावना, सहमति और कार्यान्वयन. पहले चरण में सरकारी निकाय या निजी डेवलपर जमीन‑धारकों को प्रस्ताव देते हैं; दूसरे में सभी प्रभावित पक्षों से सहमति लेनी पड़ती है, अक्सर थर्ड‑पार्टी सर्वेक्षण के माध्यम से. अंतिम चरण में तय‑शर्तों के अनुसार नई इमारतें और बुनियादी सुविधाएँ बनाई जाती हैं. इस क्रम में रियल एस्टेट निवेश को सुरक्षित करने के लिए स्पष्ट जमीन‑संकलन प्रलेख और धारा‑वार अनुबंध बनाए जाते हैं, जिससे विवाद की सम्भावना कम हो जाती है.
हाल के समाचारों में इस बात का उल्लेख है कि कई राज्यों ने भूमि‑पूलिंग को मुख्यधारा में लाने के लिए विशेष प्रोत्साहन पैकेज पेश किया है। उदाहरण के तौर पर, दार्जिलिंग में हाल ही में हुए भूस्खलन के बाद सरकार ने पुनर्वास हेतु बड़े‑पैमाने पर भूमि‑पूलिंग योजना बनाई, जिससे प्रभावित परिवारों को नई सुरक्षित आवासीय ब्लॉकों में शिफ्ट किया जा रहा है। इसी तरह, टाटा मोटर्स जैसी बड़ी कंपनियों ने अपने डिमर्जर प्रक्रिया में भूमि‑पूलिंग को एक रणनीतिक कदम माना है, क्योंकि इससे नई फैक्ट्री साइटों के लिए बड़े‑पैमाने पर जमीन एकत्र करना आसान हो जाता है.
यह टैग पेज उन सभी लेखों का संग्रह है जो न केवल भूमि‑पूलिंग की तकनीकी और कानूनी पहलुओं को समझाते हैं, बल्कि खेल, राजनीति और व्यापार की ताज़ा खबरों को भी कवर करते हैं। आप यहाँ क्रिकेट में हुए रोमांचक मुठभेड़ों, नई फिल्म रिलीज़, बैंकिंग छुट्टियों और निवेश सिफ़ारिशों की जानकारी पाएँगे। इन विविध लेखों को पढ़कर आप न सिर्फ भूमि‑पूलिंग के प्रत्यक्ष असर को समझ पाएँगे, बल्कि भारत में चल रहे बड़े‑पैमाने के विकास प्रोजेक्ट्स और उनके सामाजिक‑आर्थिक परिणामों के बारे में भी अपडेट रहेंगे.
अपनी जिज्ञासा को आगे बढ़ाएँ और नीचे दी गई सूची में से उन लेखों को चुनें जो आपके रुचि के सबसे करीब हों – चाहे वह शहरी विकास की नई नीति हो, या क्रिकेट में सर्पकुमार यादव का 360‑डिग्री शॉट, या फिर RBI की नवीनतम ईएमआई‑लॉक योजना. इन सबको जोड़ते हुए भूमि‑पूलिंग का महत्व और प्रभाव स्पष्ट हो जाता है, और आप बेहतर समझ सकेंगे कि कैसे इस मॉडल से देश की बुनियादी ढाँचा मजबूत हो रहा है.
24 सित॰ 2025
लखनऊ के नए गृहस्थियों के लिए 22‑23 सितंबर 2025 को सौमित्रा विहार योजना का लॉटरी ड्रॉ हुआ। उत्तर प्रदेश आवास व विकास बोर्ड ने 200‑300 वर्ग मीटर के प्लॉट्स की एलॉटमेंट की प्रक्रिया पूरी की। योजना दो फेज़ में कुल 4 000 प्लॉट्स प्रदान करेगी, जिसमें EWS और MIG वर्गों के लिए 10 %‑10 % आरक्षण है। भूमि‑पूलिंग मॉडल के तहत यह यूपी की पहली ऐसी स्कीम है, जो सभी आय वर्गों को किफ़ायती आवास देने का लक्ष्य रखती है।
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