अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस – क्यों है यह खास?

हर साल 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। इस दिन सरकार, NGOs और आम लोग मिलकर बाघों की सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाते हैं। बाघ सिर्फ भारत का नहीं, पूरे संसार का प्रतीक है, इसलिए इसे बचाना हम सभी की जिम्मेदारी है।

आप अक्सर टीवी या सोशल मीडिया पर बाघों से जुड़ी खबरें देखते होंगे – चाहे वो नया प्रोजेक्ट हो या किसी पार्क में हुई घटना। इस टैग पेज पर उन सब ख़बरों का एक छोटा संग्रह मिलेगा, जिससे आप अपडेटेड रह सकेंगे।

बाघ दिवस का इतिहास और उद्देश्य

1999 में भारत ने पहला बाघ दिवस मनाया था, तब से हर साल इसे बड़े पैमाने पर आयोजित किया जा रहा है। इसका मुख्य लक्ष्य लोगों को बाघों की dwindling population के बारे में जानकारी देना और उन्हें संरक्षण में शामिल करना है। सरकार द्वारा लॉन्च किए गए ‘टाइगर ट्रांसफॉर्म’ जैसे अभियान इस दिशा में मदद करते हैं।

इतिहास बताता है कि अगर हम जल्दी कार्रवाई नहीं करेंगे तो बाघों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। इसलिए हर साल 29 जुलाई को विशेष कार्यक्रम, डॉक्युमेंट्री और स्कूल गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं।

भारत में बाघ संरक्षण के कदम

भारत ने 2023 में बाघों की जनसंख्या को फिर से 3000 तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। इस उद्देश्य से कई राष्ट्रीय पार्क और वन्यजीव अभयारण्य को विस्तारित किया गया। उदाहरण के तौर पर, मध्य प्रदेश के पेंच जिले में नई ट्रैकिंग तकनीक लागू हुई, जिससे बाघों की सुरक्षा आसान हो गई।

इसके अलावा, स्थानीय लोगों को बाघों के साथ सहअस्तित्व सीखने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जब ग्रामीण लोग समझते हैं कि बाघ उनके खेत या गांव में नुकसान नहीं लाते, तो वे भी मदद करने लगते हैं।

यदि आप अपने शहर में किसी बाग़ीचे या वन्यजीव केंद्र का दौरा करना चाहते हैं, तो बाघ दिवस पर अक्सर विशेष टूर और फोटो‑सत्र आयोजित होते हैं। यह न केवल मनोरंजन देता है बल्कि बाघों की स्थिति के बारे में वास्तविक जानकारी भी देता है।

इस टैग पेज पर आप देखेंगे कि कैसे विभिन्न समाचार स्रोत बाघ दिवस से जुड़ी घटनाओं को कवर करते हैं – चाहे वह नई फिल्म ‘The Bengal Files’ का ट्रेलर हो या कोई स्थानीय बँक छूट्टी की खबर जो पर्यावरणीय पहल के साथ जुड़ी हो। सबका लक्ष्य एक ही है: बाघों को बचाना और उनके रहने की जगह सुरक्षित रखना।

आप भी इस अभियान में शामिल हो सकते हैं – छोटे‑छोटे कदम जैसे प्लास्टिक कम करना, वन्यजीव अभयारण्य में दान देना या सोशल मीडिया पर बाघ संरक्षण के पोस्ट शेयर करके। हर छोटी कार्रवाई बड़ी बदलाव की नींव रखती है।

आइए, इस अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस को यादगार बनाएं और अपने आस‑पास के लोगों को भी जागरूक करें। जब तक हम सब मिलकर कदम नहीं बढ़ाएंगे, तब तक बाघों का भविष्य सुरक्षित नहीं हो पाएगा।

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2024: सुंदरबन में बाघों का भविष्य नहीं है उज्जवल, कहते हैं वाई वी झाला

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2024: सुंदरबन में बाघों का भविष्य नहीं है उज्जवल, कहते हैं वाई वी झाला

29 जुल॰ 2024

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2024 पर वन्यजीव विशेषज्ञ वाई वी झाला ने चिंता जताई कि सुंदरबन में बाघों का भविष्य उज्जवल नहीं है। सुंदरबन में बाघों की कई चुनौतियों से जूझना पड़ता है, जैसे आवास की हानि, मानव-बाघ संघर्ष, शिकार, और जलवायु परिवर्तन। झाला ने बाघों के संरक्षण के प्रयासों पर ज़ोर दिया। विश्व में बाघों की संख्या 5,574 के करीब है, लेकिन सुंदरबन विशेष चुनौतियों का सामना कर रहा है।

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