अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2024: सुंदरबन में बाघों का भविष्य नहीं है उज्जवल, कहते हैं वाई वी झाला
29 जुलाई 2024

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2024 के अवसर पर वन्यजीव विशेषज्ञ वाई वी झाला ने सुंदरबन के बाघों के भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त की है। सुंदरबन, जो गंगा डेल्टा में स्थित एक मैंग्रोव जंगल है, बंगाल टाइगर के लिए जाना जाता है। बंगाल टाइगर एक उपप्रजाति है जिसे महाद्वीपीय टाइगर के नाम से भी जाना जाता है। झाला ने इस क्षेत्र में बाघों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला। यहां बाघ आवास की हानि, आवासीय क्षेत्र का विखंडन, मानव-बाघ संघर्ष, शिकार और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं।

बाघ संरक्षण की आवश्यकता

वाई वी झाला ने स्पष्ट किया कि सुंदरबन के बाघों को बचाने के लिए संरक्षण प्रयास अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। संरक्षण के बिना, इन बाघों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है। सुंदरबन का पारिस्थितिकी तंत्र अपनी अनूठी विशेषताओं के लिए जाना जाता है, लेकिन यह मानवीय गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन से बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। मासूम बाघों के इस संकट को दूर करने के लिए एक समग्र और रणनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

आवास की हानि और विखंडन

मुख्य रूप से बाघों की सुरक्षा के लिए उनके आवास की सुरक्षा अनिवार्य है। सुंदरबन में लगातार हो रही आवास की हानि और इसका विखंडन बाघों के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। नए निर्माण और वनों की कटाई के कारण बाघों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप, बाघों को छोटे क्षेत्रों में सीमित कर दिया गया है, जिससे उनका शिकार भी अधिक हो रहा है।

मानव-बाघ संघर्ष

मानव-बाघ संघर्ष

सुंदरबन में मानव-बाघ संघर्ष भी एक बड़ी चुनौती है। जब बाघों का निवास स्थान संकीर्ण हो जाता है, तो वे अपने प्राकृतिक आवास से बाहर आ जाते हैं और मानव बस्तियों की ओर चलने लगते हैं। यह संघर्ष एक तरफ बाघों की हत्या और दूसरी तरफ मानव जीवन की हानि का कारण बनता है।

जलवायु परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन बाघों के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। सुंदरबन का मैंग्रोव क्षेत्र जलवायु परिवर्तन से अत्यधिक संवेदनशील है। समुद्र के स्तर में वृद्धि और चक्रवातों की बढ़ती संख्या यहां के पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। यह स्थिति बाघों के लिए भी एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन उनकी अस्तित्व की परिस्थितियों को बदल रहा है।

शिकार की समस्या

शिकार की समस्या

शिकार भी सुंदरबन में बाघों के लिए एक प्रमुख समस्या है। अवैध शिकार के कारण बाघों की संख्या में कमी आ रही है। असामाजिक तत्व उनके शरीर के अंगों का व्यापार करते हैं, जिसका सीधा प्रभाव बाघों की घटती हुई जनसंख्या पर पड़ रहा है।

बाघों की स्थिति

वर्तमान समय में, वैश्विक स्तर पर बाघों की संख्या लगभग 5,574 के करीब है। भारत, नेपाल, भूटान, रूस और चीन में बाघों की संख्या स्थिर या बढ़ रही है। किन्तु, सुंदरबन में स्थिति चिंताजनक है। यह क्षेत्र अपने मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों जैसे मत्स्यपालन और पर्यटन से उत्पन्न समस्याएँ बाघों के लिए विशेष चुनौतियाँ उत्पन्न कर रही हैं।

अंत में, यह आवश्यकता है कि समस्त अंतरराष्ट्रीय हितधारक मिलकर इन समस्याओं का समाधान ढूंढें और बाघों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाएँ। यदि हमने अभी सख्त कदम नहीं उठाए तो सुंदरबन के बाघों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।