रायबरेली और वायनाड में राहुल गांधी की मजबूत पकड़
2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रायबरेली और वायनाड दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत बना ली है। वायनाड में, राहुल गांधी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) की उम्मीदवार एनी राजा के खिलाफ 3,44,709 वोटों से आगे चल रहे हैं। यह बढ़त राहुल गांधी की राजनीतिक ताकत और उनकी जमीनी स्तर की सक्रियता को दर्शाती है। वायनाड और रायबरेली दोनों सीटों पर गांधी परिवार की पकड़ हमेशा मजबूत रही है, लेकिन इस बार राहुल गांधी का प्रदर्शन पहले से भी कहीं अधिक प्रभावशाली है।
रायबरेली में माँ का रिकॉर्ड तोड़ा
रायबरेली में, राहुल गांधी ने अपनी मां श्रीमती सोनिया गांधी के 2019 के चुनाव परिणाम को पार कर लिया है। 2019 के लोकसभा चुनावों में, सोनिया गांधी ने रायबरेली सीट से विजयी होकर 1,67,178 वोटों से जीत दर्ज की थी। इस बार राहुल गांधी ने इस आंकड़े को पार कर लिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने क्षेत्र में अपनी लोकप्रियता और प्रभाव को और मजबूत किया है। राहुल गांधी की इस जीत के साथ, रायबरेली सीट एक बार फिर से कांग्रेस के जनाधार के रूप में स्थापित हो गई है।
वायनाड में भारी मतों से आगे
वायनाड में राहुल गांधी की बढ़त और भी अधिक प्रभावशाली है। 2019 के चुनावों में, राहुल गांधी ने वायनाड से 706,367 वोटों के साथ जीत हासिल की थी और 64.67 प्रतिशत वोट शेयर प्राप्त किया था। इस बार उनकी बढ़त और भी बढ़ गई है। उनके प्रतिद्वंद्वी एनी राजा के खिलाफ 3,44,709 वोटों की बढ़त ने यह साबित कर दिया है कि केरल के लोगों का उन्हें अत्यंत भरोसा प्राप्त है। वायनाड में राहुल गांधी की लोकप्रियता का यह स्तर उनके द्वारा किए गए विकास कार्यों और सामाजिक एकता के प्रयासों का परिणाम है।
अमेठी परंपरा का अंत
राहुल गांधी ने इस बार अमेठी से चुनाव न लड़ने का फैसला किया, जो एक बड़ी राजनीतिक रणनीति मानी जा रही है। अमेठी सीट पर गांधी परिवार का लंबे समय से प्रभाव रहा है। 2019 के चुनाव में, राहुल गांधी को भाजपा की स्मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा था। इस हार के बाद, राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और जमीनी राजनीति पर ध्यान केंद्रित किया। इसके बाद उन्होंने 'भारत जोड़ो यात्रा' शुरू की, जिसमें उन्होंने कन्याकुमारी से कश्मीर तक 4,000 किलोमीटर की यात्रा पूरी की। इस यात्रा का मकसद देश को विभाजनकारी राजनीति से बचाना और एकता का संदेश फैलाना था। राहुल गाँधी ने इस यात्रा के दौरान कई जगहों पर रैलियों का संचालन किया और लोगों से सीधे संवाद किया।
राहुल गांधी के लिए सुधार का संदेश
राहुल गांधी के लिए यह चुनाव बीते वर्षों में आई चुनौतियों के बाद एक बड़ा सुधार का संकेत है। 2019 के चुनाव में अमेठी से हारने के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर जमीनी राजनीति में उतरने का निर्णय लिया था। 'भारत जोड़ो यात्रा' के माध्यम से राहुल ने जनता के साथ सीधा संपर्क किया और उनकी समस्याओं को सुनने का प्रयास किया। वायनाड और रायबरेली में राहुल गांधी की बढ़त स्पष्ट करती है कि उनके प्रयास सफल हो रहे हैं और जनता ने उन्हें एक बार फिर से समर्थन दिया है।
लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की स्थिति
2024 के लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकते हैं। राहुल गांधी की बढ़त और उनकी राजनीतिक सक्रियता ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों के लिए एक नई ऊर्जा का संचार किया है। अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में भी कांग्रेस अपनी स्थिति को मजबूत करने का प्रयास कर रही है। इस बार चुनाव में कांग्रेस का मुख्य फोकस जनता से सीधे जुड़ाव और उनके मुद्दों को प्रमुखता देना है। राहुल गांधी का प्रदर्शन निश्चित रूप से कांग्रेस के लिए एक सकारात्मक संकेत है और आने वाले समय में पार्टी को अपने लक्ष्य हासिल करने में मदद कर सकता है।
राहुल गांधी का भविष्य
राहुल गांधी के लिए यह चुनाव एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुए हैं। उनकी बढ़त और जनता का समर्थन यह संकेत दे रहा है कि उनकी राजनीतिक करियर में एक नया मोड़ आ रहा है। राहुल गांधी ने अपने चुनाव अभियान में व्यापक दृष्टिकोण अपनाया है और राष्ट्रीय एकता को प्रमुखता दी है। उनके द्वारा की गई 'भारत जोड़ो यात्रा' और जनता से सीधा संपर्क उनकी रणनीति का हिस्सा थे जो कि सफल रही। आने वाले समय में राहुल गांधी की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो सकती है और उन्हें कांग्रेस के नेतृत्व में नए अवसर मिल सकते हैं।
17 टिप्पणि
Shraddha Tomar
जून 5, 2024 AT 06:04 पूर्वाह्नराहुल गांधी की यात्रा असली बदलाव की शुरुआत है। बस टीवी पर नहीं, जमीन पर लोगों के बीच जाना पड़ता है। अमेठी छोड़कर वायनाड और रायबरेली का चुनाव एक नया संदेश है - लोग असली जुड़ाव चाहते हैं।
Priya Kanodia
जून 5, 2024 AT 07:25 पूर्वाह्नये सब बस एक धोखा है... अमेठी छोड़ने का मतलब है कि वो डर गए हैं... और वायनाड में जो बढ़त है, वो सिर्फ एनी राजा के खिलाफ है... अगर कोई और होता तो क्या होता? क्या ये सब बस एक ट्रिक है??
Darshan kumawat
जून 7, 2024 AT 03:36 पूर्वाह्नअमेठी छोड़ना? बहुत बुद्धिमानी। वो सीट तो अब बोरिंग हो गई थी। वायनाड में वो जो जीत रहे हैं, वो असली जीत है - जहाँ लोग असली बातें करते हैं, न कि सिर्फ ट्राइबल वोट।
Manjit Kaur
जून 7, 2024 AT 12:06 अपराह्नये सब बस नाम की चमक है। गांधी परिवार का नाम अभी भी काम कर रहा है। लोग नहीं जानते कि वो क्या कर रहे हैं। बस नाम सुनकर वोट दे देते हैं।
yashwanth raju
जून 9, 2024 AT 07:37 पूर्वाह्नअरे भाई, ये जो बढ़त है 3.4 लाख की, वो तो बस वायनाड के लोगों की बुद्धिमत्ता का परिणाम है। वो जानते हैं कि कौन असली काम कर रहा है। बाकी सब ट्रेंडिंग टॉपिक्स में फंसे हुए हैं।
Aman Upadhyayy
जून 10, 2024 AT 09:06 पूर्वाह्नभारत जोड़ो यात्रा बहुत अच्छी थी... लेकिन अब ये सब बस एक नए ब्रांडिंग का नाम है... लोगों को लगता है कि वो बदल गए हैं... लेकिन असल में? वो बस अपनी नीतियों को बदल नहीं पाए... बस लोगों के सामने दिखाने की कोशिश कर रहे हैं... 😔
ASHWINI KUMAR
जून 12, 2024 AT 06:18 पूर्वाह्नइतना लंबा पोस्ट... और फिर भी कुछ नहीं बताया। राहुल गांधी की जीत का मतलब क्या है? क्या वो अब नेता बन जाएंगे? क्या वो अब सरकार बनाएंगे? क्या वो कुछ कर पाएंगे? ये सब सिर्फ इमोशनल वोटिंग है।
vaibhav kapoor
जून 13, 2024 AT 12:36 अपराह्नगांधी परिवार के लिए ये सब एक धोखा है। लोग उन्हें वोट दे रहे हैं क्योंकि उनका नाम है, न कि क्योंकि वो कुछ कर रहे हैं। भारत जोड़ो यात्रा? बस एक टूरिस्ट ट्रिप थी।
Manish Barua
जून 15, 2024 AT 10:45 पूर्वाह्नमैं केरल से हूँ... वायनाड में राहुल जी का जो जुड़ाव है, वो बस एक नाम का नहीं... वो असली बातचीत का है। लोग उनसे बात करते हैं... उनकी बात सुनते हैं... ये बदलाव है।
Abhishek saw
जून 16, 2024 AT 06:38 पूर्वाह्नराहुल गांधी ने एक बड़ा कदम उठाया है। अमेठी छोड़कर वायनाड और रायबरेली में जीतने का मतलब है कि वो अब अपने आप को एक नए तरीके से दिखा रहे हैं। ये सफलता उनके दृढ़ निश्चय का परिणाम है।
TARUN BEDI
जून 16, 2024 AT 19:25 अपराह्नइतिहास के अनुसार, कोई भी राजनीतिक व्यक्ति जो अपने परिवार के नाम पर चलता है, उसकी लंबी अवधि नहीं होती। राहुल गांधी की ये जीत अस्थायी है। जब लोग उनकी नीतियों को देखेंगे, तो वो भी गिर जाएंगे। ये सिर्फ एक अलग तरह का चुनावी रोमांच है।
Shikha Malik
जून 17, 2024 AT 15:12 अपराह्नओह अरे भाई, ये सब बस एक नाटक है। अमेठी हारने के बाद वो बच निकले... अब वायनाड में जीत गए... लेकिन क्या वो कुछ बदले? नहीं... वो बस अपना नाम बदल गए... और लोग अभी भी उन्हें वोट दे रहे हैं... बस इतना ही।
Hari Wiradinata
जून 19, 2024 AT 03:28 पूर्वाह्नराहुल गांधी के प्रयास देखकर लगता है कि कांग्रेस अब वास्तविक बदलाव की ओर बढ़ रही है। जमीनी स्तर पर संवाद करना, लोगों की समस्याओं को सुनना - ये वास्तविक नेतृत्व है।
Leo Ware
जून 19, 2024 AT 15:35 अपराह्नराहुल गांधी की यात्रा ने एक नए दृष्टिकोण को जन्म दिया। नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक आदमी के रूप में जो देश की आवाज़ बन गया। ये बदलाव टेक्नोलॉजी या टीवी नहीं, दिलों से हुआ।
Ranjani Sridharan
जून 20, 2024 AT 15:25 अपराह्नराहुल गांधी अब बहुत अच्छे हो गए हैं... वो अमेठी छोड़कर वायनाड आ गए... लेकिन क्या वो सच में बदल गए? या बस लोगों को खुश करने के लिए ऐसा कर रहे हैं? मैं नहीं जानती... लेकिन मुझे लगता है वो बदल गए हैं... 🤔
Vikas Rajpurohit
जून 22, 2024 AT 08:43 पूर्वाह्नअरे यार ये सब बस एक बड़ा नाटक है! राहुल गांधी ने अमेठी छोड़ा, लेकिन वायनाड में जीत गए... लेकिन क्या वो असल में लोगों को बदल पाए? नहीं! वो बस अपने नाम की चमक से चल रहे हैं! 😤💥
Nandini Rawal
जून 24, 2024 AT 01:56 पूर्वाह्नवायनाड में जीत बहुत बड़ी बात है। लोग ने उनकी यात्रा को समझा। ये बस वोट नहीं, वो एक विश्वास है।