कांग्रेस सांसद वसंत चव्हाण का निधन
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नांदेड़ से सांसद वसंत चव्हाण का हैदराबाद के KIMS अस्पताल में सोमवार को निधन हो गया। चव्हाण काफी समय से बीमार थे और उनका इलाज चल रहा था। रविवार देर रात उनकी स्थिति अचानक बिगड़ गई और सोमवार सुबह 4 बजे के करीब उन्होंने अंतिम सांस ली।
जीवन का संघर्ष और राजनीति में योगदान
वसंत चव्हाण का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उनका राजनीतिक सफर ग्राम पंचायत सदस्य के तौर पर शुरू हुआ और आगे चलकर उन्होंने जिला परिषद सदस्य, महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य और नांदेड़ के नाइगांव विधानसभा सीट से विधायक के रूप में सेवा की।
चव्हाण का राजनीतिक सफर बहुत संघर्षपूर्ण रहा, क्योंकि उन्हें अपने क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद, उन्होंने अपनी निष्ठा और सेवा से लोगों का दिल जीत लिया। 2021 से 2023 तक उन्होंने नांदेड़ जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।
लोकसभा चुनाव में महत्वपूर्ण जीत
हाल में हुए लोकसभा चुनाव में, चव्हाण ने भाजपा के प्रत्याशी प्रतापराव पाटिल चिकलीकर को हराकर नांदेड़ सीट से महत्वपूर्ण जीत हासिल की। यह जीत इसलिए भी खास थी क्योंकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण ने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया था। ऐसी परिस्थिति में भी वसंत चव्हाण ने पार्टी की स्थिति को मजबूत बनाए रखा और जीत दर्ज की।
कांग्रेस पार्टी में योगदान
वसंत चव्हाण का कांग्रेस पार्टी में योगदान अविस्मरणीय रहेगा। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा और समर्पण बनाए रखा। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि चव्हाण का पार्टी से जुड़ाव और सेवा हमेशा याद रखी जाएगी।
विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और एआईसीसी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी उनके निधन पर संवेदनाएं प्रकट की हैं। तीनों नेताओं ने उनके परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त की हैं और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को सराहा है।
आखिरी विदाई
वसंत चव्हाण का अंतिम संस्कार उनके गृह नगर नांदेड़ में किया जाएगा। उनके निधन से न केवल कांग्रेस पार्टी, बल्कि उनके समर्थकों और पूरे नांदेड़ क्षेत्र में शोक की लहर है। उनकी समाधि के दौरान पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और उनके करीबी लोग उपस्थित रहेंगे।
वसंत चव्हाण की मृत्यु से हुई क्षति अपूर्णीय है। उनकी सेवाओं और संघर्षों की कहानियाँ हमेशा लोगों को प्रेरित करती रहेंगी और उनके योगदान को कांग्रेस पार्टी और नांदेड़ के लोग हमेशा याद रखेंगे।
9 टिप्पणि
Vishakha Shelar
अगस्त 28, 2024 AT 17:42 अपराह्नये जानकर दिल टूट गया 😢 वसंत भैया तो हमारे लिए एक परिवार के सदस्य जैसे थे... अब कौन सुनेगा हमारी बातें?
Ayush Sharma
अगस्त 30, 2024 AT 12:11 अपराह्नइस प्रकार के नेताओं का नुकसान देश के लिए बहुत बड़ा है। उनकी सेवाओं का सम्मान करना हम सबकी जिम्मेदारी है।
charan j
सितंबर 1, 2024 AT 07:41 पूर्वाह्नफिर से एक बूढ़ा नेता मर गया बस क्या हुआ
Nathan Allano
सितंबर 1, 2024 AT 21:45 अपराह्नवसंत चव्हाण जी की जिंदगी एक असली किसान के बेटे की जिंदगी थी... जिसने अपने गांव के लिए लड़ा, बैंक का अध्यक्ष बना, फिर लोकसभा जीती... और फिर भी अपनी जमीन के साथ जुड़े रहे... इस तरह के लोग आज बहुत कम हैं... उनकी याद हमेशा रहेगी... और हां, उनके परिवार के लिए बहुत बहुत शोक व्यक्त करता हूँ... दिल से...
Guru s20
सितंबर 3, 2024 AT 04:18 पूर्वाह्नमैं नांदेड़ से हूँ... उन्होंने हमारे गांव के लिए पानी की नहर भी बनवाई थी... लोग अभी भी उनके नाम से बात करते हैं... एक असली लीडर...
Raj Kamal
सितंबर 3, 2024 AT 21:07 अपराह्नमुझे लगता है कि उनकी राजनीतिक यात्रा के दौरान उन्होंने कई बार अपने स्वार्थ को छोड़ दिया था और अपने लोगों के हित में काम किया था... और ये बात आज के राजनीतिक वातावरण में बहुत कम देखने को मिलती है... और फिर भी उन्होंने अपनी पार्टी के साथ बने रहने का फैसला किया जबकि बहुत से लोग चले गए थे... ये बहुत ही दुर्लभ है... और इस तरह के लोगों के नुकसान से हम सबको बहुत बड़ा नुकसान हुआ है...
Rahul Raipurkar
सितंबर 5, 2024 AT 17:06 अपराह्नकांग्रेस के नेता का निधन... एक और राजनीतिक घटना जो चलती रहेगी... लेकिन इसका वास्तविक असर क्या है? एक व्यक्ति की मृत्यु से प्रणाली बदलती नहीं... बस नए नाम आ जाते हैं...
PK Bhardwaj
सितंबर 6, 2024 AT 23:16 अपराह्नउनकी जीवन यात्रा एक ग्रामीण नेतृत्व आदर्श का उदाहरण है-स्थानीय स्तर से शुरू करके राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचना, सहकारी बैंकिंग के क्षेत्र में भी योगदान, और चुनावी लड़ाई में आंतरिक विभाजन के बावजूद विजय... ये एक स्ट्रैटेजिक लीडरशिप मॉडल है जिसे अन्य दलों को अपनाना चाहिए...
Soumita Banerjee
सितंबर 8, 2024 AT 13:25 अपराह्नहम्म... एक और पारंपरिक राजनीतिक चरित्र का अंत। जिसका स्थान अब नए जनरेशन के लोग लेंगे... शायद।