नेपाल में सत्ता के नए संग्राम का आगाज़
नेपाल के सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता केपी शर्मा ओली ने 15 जुलाई, 2024 को चौथी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने उन्हें सरकार गठन के लिए आमंत्रित किया। इससे पहले सत्ता में आई गठबंधन सरकार के गिरने के बाद, देश में राजनीति उथल-पुथल और अस्थिरता का माहौल छा गया था।
केपी शर्मा ओली ने इससे पहले अक्टूबर 2015 से अगस्त 2016 और फिर फरवरी 2018 से जुलाई 2021 तक प्रधानमंत्री पद संभाला था। उनकी वापसी ने नेपाल की राजनीति में एक नई दिशा और ऊर्जा को जन्म दिया है। नेपाल कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन कर नई सरकार बनाई गई है, जो दो बड़े राजनीतिक दलों के सहयोग से बनी है।
प्रधानमंत्री की प्राथमिकताएं और चुनौतियां
ओली की सरकार के समक्ष कई चुनौतियाँ हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है नेपाल के पड़ोसी देशों भारत और चीन के साथ संबंधों को संतुलित करना। भारत और चीन, दोनों ही नेपाल के लिए महत्वपूर्ण पड़ोसी हैं और उनके साथ अच्छे संबंध बनाए रखना देश की नीति का प्रमुख हिस्सा है। ओली का राजनीतिक अनुभव उनकी इस चुनौती में सहायक हो सकता है।
नेपाल के राजनीतिक परिदृश्य में ओली की स्थिति काफी मजबूत है और उनकी पार्टी ने सत्ता में वापसी के लिए कठिन परिश्रम किया है। उनकी सरकार में दो उप प्रधानमंत्री और 19 मंत्री शामिल हैं। यह सरकार विभिन्न मुद्दों को हल करने और देश को आर्थिक और सामाजिक विकास की दिशा में आगे बढ़ाने के उद्देश्य से बनाई गई है।
नई सरकार का चुनौतीपूर्ण आगाज़
ओली के चौथी बार प्रधानमंत्री बनने का मतलब है कि उनकी सरकार को अगले महीने संसद से विश्वास मत प्राप्त करना होगा। विश्वास मत प्राप्त करना एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसे सरकार को जनाधार और संसद से समर्थन प्राप्त करने के लिए उठाना होगा।
नई सरकार की घोषणा के साथ ही देशवासियों और विभिन्न राजनीतिक दलों के मध्य उत्सुकता बढ़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि ओली की सरकार को कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने होंगे, जिनमें आर्थिक सुधार, स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार और शिक्षा क्षेत्र में सुधार शामिल हैं।
नेपाल की समस्याओं को देखते हुए, नीति निर्माताओं को आम जनता की समस्याओं को प्राथमिकता देना होगा। इसके साथ ही, ओली को अपने अनुभव और कुशलता का सहारा लेना होगा ताकि वे देश को सही दिशा में ले जा सकें।
वर्तमान राजनीतिक स्थिति
नेपाल की वर्तमान राजनीतिक स्थिति में ओली की सरकार का गठन एक महत्वपूर्ण बदलाव है। पिछली सरकार का गिरना, राजनीतिक अस्थिरता को दर्शाता है और नई सरकार को इसे स्थिरता प्रदान करनी होगी। अन्य राजनीतिक दलों के साथ सकारात्मक संवाद और सहयोग से ही यह संभव हो सकता है।
ओली ने शपथ ग्रहण के बाद, जनता से अपील की और वादा किया कि वे देश के विकास और सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार का मुख्य लक्ष्य देश की समृद्धि और जनता के सुचारु जीवन को सुरक्षित करना होगा।
नए मंत्रिमंडल की प्राथमिकताएं
ओली के नेतृत्व में गठित नया मंत्रिमंडल कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगा। सरकार द्वारा कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, और रोजगार सृजन के क्षेत्र में सुधारात्मक कदम उठाने की योजना बनाई गई है।
महात्मा गांधी ने कहा था कि 'भारत का भविष्य गांवों में बसता है', इसी प्रकार, ओली की सरकार का भी मानना है कि देश के विकास के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार और विकास आवश्यक है। इसके लिए सरकार ने कई योजनाओं की घोषणा की है, जिनमें से कुछ पहले ही लागू कर दी गई हैं।
द्विपक्षीय संबंधों में संतुलन
नेपाल का भौगोलिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। चीन और भारत के बीच स्थित होने के कारण, नेपाल का हर निर्णय इन दोनों बड़े देशों पर प्रभाव डाल सकता है। ओली की सरकार की प्राथमिकता होगी कि दोनों देशों के साथ समन्वय और संतुलन बनाकर चले।
पिछली सरकारों के दौरान नेपाल ने कई बार चीन और भारत के साथ संबंधों में उतार-चढ़ाव देखा है। ओली की सरकार का यह प्रयास होगा कि नेपाल दोनों देशों के साथ अपने संबंधों को सुदृढ़ बनाए और नई संभावनाएं तलाशे।
जनता की अपेक्षाएं और समस्याएँ
आखिरकार, सरकार का प्रमुख उद्देश्य देश की जनता के जीवन को बेहतर बनाना होता है। नेपाल की जनता को ओली की सरकार से उम्मीदें हैं कि वे उनके जीवन को सुगम बनाएंगे। स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, और कृषि के क्षेत्र में सुधारात्मक कदम उठाने की अपेक्षा की जा रही है। ओली ने भी जनता को विश्वास दिलाया है कि उनकी सरकार उनके हितों की रक्षा करेगी और उनके जीवनस्तर में सुधार लाएगी।
ओली की सरकार को विशेष ध्यान देते हुए सुशासन का पालन करना होगा ताकि जनता का विश्वास बनाए रखा जा सके। इसी प्रकार, पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के सिद्धांतों पर कायम रहकर सरकार को काम करना होगा।
ओली की सरकार ने जनता और उनके प्रतिनिधियों से सहयोग की अपील की है, ताकि नई सरकार को सफल बनाने में सभी का योगदान हो सके।
8 टिप्पणि
vaibhav kapoor
जुलाई 16, 2024 AT 03:17 पूर्वाह्नओली फिर आ गए? अब भारत के साथ रिश्ते खराब हो जाएंगे, चीन के पैसे लेकर फिर नेपाल की संसद को बेच देंगे।
Manish Barua
जुलाई 17, 2024 AT 20:07 अपराह्नअरे भाई, ओली को फिर से देखकर लगा जैसे अपने गाँव के चाचा ने फिर से गाड़ी चलानी शुरू कर दी है। बस थोड़ा धीरे चलाएं, नहीं तो गाँव के बच्चे गिर जाएंगे।
ASHWINI KUMAR
जुलाई 18, 2024 AT 07:06 पूर्वाह्नये सब तो बस नाटक है। हर बार वही लोग आते हैं, वही वादे करते हैं, वही नीतियाँ बनाते हैं, और फिर गायब हो जाते हैं। ग्रामीण विकास? शिक्षा सुधार? ये शब्द तो अब सिर्फ प्रेस रिलीज़ में ही दिखते हैं। असल में, जब तक भारत और चीन के बीच बैठकें चलती रहेंगी, नेपाल के गरीबों के लिए कुछ नहीं होगा। मैंने 2018 में भी यही कहा था, और फिर क्या हुआ? बस एक नया मंत्री बन गया, एक नया ब्लूप्रिंट बन गया, और बाकी सब कुछ फाइल में दब गया।
आज फिर वही गाना बज रहा है। ओली का अनुभव? हाँ, अनुभव है - अनुभव यह कि कैसे बैठकों में बैठकर बिना कुछ किए दिन बिताए जाएँ। उनकी सरकार में 19 मंत्री? अरे भाई, इतने मंत्री तो एक छोटे देश में बसने के लिए भी ज्यादा हैं। एक मंत्री तो एक बार देख लो, दूसरा बैठक में खो जाता है।
और फिर वो वादा - जनता के हित। जनता के हित तो तब होते हैं जब बिजली चले, पानी आए, स्कूलों में शिक्षक आएं, और डॉक्टर अस्पताल में आएं। न कि जब दो देशों के बीच एक नया समझौता हो।
मैंने देखा है कि जब ओली पहले आए थे, तो नेपाल के बाजार में भारतीय चीज़ें बढ़ गईं, चीनी रोड्स बन गए, और लोगों को लगा कि अब जीवन बदल गया। लेकिन जब उनका तीसरा कार्यकाल खत्म हुआ, तो लोगों के पास न तो बिजली थी और न ही नौकरी।
अब वो फिर आ गए हैं। और मैं सोच रहा हूँ - क्या ये बार भी वही होगा? क्या ये बार भी बिना कुछ किए चल जाएगा? क्या हम फिर से उनके वादों पर भरोसा करेंगे? नहीं। अब तो हमें वादों के बजाय एक्शन चाहिए।
अगर ओली असली बदलाव चाहते हैं, तो उन्हें अपने मंत्रियों को बैठकों से बाहर निकालकर गाँवों में भेजना चाहिए। वहाँ देखें कि बच्चे क्या पढ़ रहे हैं, बुजुर्ग कैसे बीमार हैं, और किसान किस तरह जी रहा है। न कि नई दिल्ली या बीजिंग में बैठकर।
मैं नहीं चाहता कि अगले पाँच साल में फिर एक नया आर्टिकल लिखा जाए - ‘ओली के बाद भी नेपाल वही है’।
Abhishek saw
जुलाई 19, 2024 AT 09:49 पूर्वाह्नओली की वापसी एक अच्छा संकेत है। अनुभव और स्थिरता की जरूरत है। उनकी सरकार को समर्थन देना चाहिए।
TARUN BEDI
जुलाई 20, 2024 AT 11:42 पूर्वाह्नक्या आप जानते हैं कि नेपाल का भूगोल एक ऐसा बिंदु है जहाँ दो विशाल सभ्यताओं का संघर्ष और समन्वय एक साथ घूमता है? ओली का चौथा कार्यकाल केवल एक राजनीतिक घटना नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक आवश्यकता है। जब भारत और चीन दोनों अपनी वैश्विक शक्ति को दुनिया के कोनों में फैला रहे हैं, तो नेपाल एक अनूठा अवसर प्राप्त कर रहा है - एक ऐसा अवसर जिसे बहुत कम देश प्राप्त कर पाते हैं।
लेकिन आप लोग इसे सिर्फ एक ‘नई सरकार’ के रूप में देख रहे हैं। आप इसे एक राष्ट्रीय निर्णय नहीं मान रहे हैं। ओली के पास न केवल राजनीतिक अनुभव है, बल्कि एक दर्शनिक दृष्टिकोण भी है। उन्होंने कभी नहीं कहा कि ‘मैं नेपाल का नेता हूँ’ - वे कहते हैं, ‘मैं नेपाल का दर्पण हूँ’।
और फिर वो ग्रामीण विकास का बहाना? गांधी ने कहा था, लेकिन आप भूल गए कि गांधी ने गाँवों को बचाने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें अपनी आत्मा का आधार बनाने के लिए कहा था। ओली की सरकार का लक्ष्य गाँवों को बचाना नहीं, बल्कि उन्हें एक नए युग की ओर ले जाना है।
आप लोग यह नहीं समझते कि जब एक देश अपने भौगोलिक अवस्थिति के कारण दो विशाल शक्तियों के बीच फंस जाता है, तो उसका एकमात्र रास्ता है - बुद्धिमत्ता। ओली की बुद्धिमत्ता ही उस देश को बचा सकती है जो अपने आप को एक ‘पड़ोसी’ के रूप में नहीं, बल्कि एक ‘मध्यस्थ’ के रूप में देखता है।
इसलिए, जब आप कहते हैं कि ‘बिजली नहीं आई’, तो आप वास्तविकता को अनदेखा कर रहे हैं। बिजली का अभाव एक तकनीकी समस्या नहीं, बल्कि एक दार्शनिक समस्या है - एक देश की आत्मा का अभाव। ओली के पास वह आत्मा है।
अगर आप इसे समझ नहीं पा रहे हैं, तो आप नहीं, बल्कि आपकी सोच असफल है।
Shikha Malik
जुलाई 20, 2024 AT 17:19 अपराह्नओली की वापसी? अरे यार, ये तो जैसे तुम्हारे घर में वो चाचा आ गया जिसने तुम्हारी बहन का शादी का ब्योरा बर्बाद कर दिया था और अब फिर घर का खाना खा रहा है। बस बात ये है कि अब वो अपने बेटे को भी नौकरी दिलवा रहा है।
मैंने उनकी पिछली सरकार को देखा था - एक तरफ भारत को बिना बताए चीन के साथ डील कर रहे, दूसरी तरफ अपने मंत्रियों को घर बैठे बैठे टीवी पर बोलते देखा। अब फिर वही चल रहा है।
लेकिन अब तो मैं तो बस देख रही हूँ कि ओली के बेटे का नाम अभी तक किसी मंत्री के बेटे के नाम के बाद नहीं आया। शायद अब तो उन्होंने बेटे को भी राजनीति में डाल दिया है।
Leo Ware
जुलाई 21, 2024 AT 17:16 अपराह्नओली के लिए नेपाल का भविष्य एक नदी की तरह है - दो तटों के बीच बहती है, लेकिन खुद को बहाने का अधिकार रखती है।
Ranjani Sridharan
जुलाई 21, 2024 AT 22:05 अपराह्नओली के बारे में सब कुछ बहुत ज्यादा बोल रहे हो लेकिन क्या कभी सोचा कि उनकी बीवी कैसी है? वो भी क्या बहुत ही बुद्धिमान होगी? क्या उनकी बेटी ने उनकी राजनीति को देखकर अपना जीवन बनाया है? ये सब तो बहुत जरूरी है ना?