नेल्सन मंडेला: दक्षिण अफ्रीका के आज़ादी के प्रतीक
जब आप ‘मंदेला’ नाम सुनते हैं तो ज़िन्दगी, न्याय और साहस तुरंत दिमाग में आ जाता है। ये व्यक्ति सिर्फ एक नेता नहीं थे, बल्कि लाखों लोगों की उम्मीद का स्रोत रहे। उनके संघर्ष को समझना आसान नहीं, पर हम कोशिश करेंगे कि हर कोई इसे अपनी भाषा में महसूस कर सके।
जैविक शुरुआत और शुरुआती प्रेरणा
नेल्सन रोलिहेला मंडेला १८ जुलाई १९१८ को दक्षिण अफ्रीका के मोसेलो गाँव में पैदा हुए। उनका बचपन गरीबी और भेदभाव से घिरा था, पर उन्होंने पढ़ाई को अपने भविष्य का हथियार बना लिया। टास्मैन विश्वविद्यालय में कानून की डिग्री हासिल करने के बाद, मंडेला ने ‘अफ्रीकन नॅशनल कॉंग्रेस’ (ANC) में शामिल होकर रंगभेदी लोगों के अधिकारों के लिये लड़ना शुरू किया।
उनके शुरुआती कदम अक्सर छोटे विरोध प्रदर्शन और पत्रिका लेखन तक सीमित थे, लेकिन जल्द ही उन्होंने समझा कि सिविल अधिकारों की जीत केवल शांति से नहीं होगी। १९५२ का ‘डिफ़ेन्सी कैंपेन’ और १९६० की ‘शार्पवॉट रेवोल्यूशन’ ने उन्हें राष्ट्रीय मंच पर खड़ा किया।
जेल, संघर्ष और फिर भी आशा
1962 में मंडेला को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया गया। २७ साल की कैद (रॉबेन आइलैंड, पॉलिसटेट और पोर्ट एलिज़ाबेथ) ने उनके शरीर पर घाव छोड़े, लेकिन विचारों को नहीं। उन्होंने जेल के भीतर भी शिक्षा कार्यक्रम चलाए, किताबें पढ़ीं और युवा कार्यकर्ता तैयार किए। उनका यह भरोसा था कि ‘मुक्ति’ सिर्फ भौतिक नहीं, बल्कि मानसिक भी होगी।
1990 में राष्ट्रपति फ्रेडरिक डेरहाग ने मंडेला को रिहा किया। इस कदम का असर पूरे विश्व में महसूस हुआ – एक दायित्वपूर्ण नेता के रूप में वह अब लोकतांत्रिक प्रक्रिया की अगली कड़ी बन गये। 1994 में, पहला बहुजातीय चुनाव जीत कर वे दक्षिण अफ्रीका के पहले काले राष्ट्रपति बने।
राष्ट्रपति पद पर रहते हुए मंडेला ने ‘रेकंसिलिएशन कमिशन’ स्थापित किया। इसका काम था पिछले दशकों के भेदभाव और हिंसा का दस्तावेज़ बनाना, जिससे पीड़ितों को आवाज मिल सके। उन्होंने आर्थिक असमानता को घटाने के लिये शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश की योजना बनाई, जबकि देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाया।
2013 में उनका निधन हो गया, पर उनकी विरासत आज भी जीवंत है। ‘मंदेला इफ़ेक्ट’ शब्द से ही पता चलता है कि उनका नाम कैसे प्रेरणा का स्रोत बना रहता है – चाहे वह स्कूल के बच्चों को पढ़ाना हो या किसी कंपनी की नेतृत्व शैली को सुधारना।
अगर आप दक्षिण अफ्रीका की राजनीति, सामाजिक बदलाव या मानवाधिकारों में रुचि रखते हैं, तो नेल्सन मंडेला की कहानी आपके लिए एक सीख है कि दृढ़ संकल्प और नैतिक साहस से बड़ा कोई परिवर्तन नहीं हो सकता। दैनिक अभिव्यक्ती पर हम अक्सर ऐसी कहानियों को लाते हैं ताकि आप हर दिन नई प्रेरणा पा सकें।
18 जुल॰ 2024
नेल्सन मंडेला अंतरराष्ट्रीय दिवस प्रति वर्ष 18 जुलाई को मनाया जाता है, ताकि दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के जीवन और विरासत को सम्मानित किया जा सके। उन्होंने जीवनभर सभी जातीय और धार्मिक पृष्ठभूमि के लोगों को सशक्त बनाने और न्याय और स्थायी शांति के लिए संवाद और एकता को बढ़ावा देने के लिए संघर्ष किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2009 में इस दिन को नेल्सन मंडेला अंतरराष्ट्रीय दिवस घोषित किया।
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