जासूसि कानून क्या है? सरल शब्दों में समझिए

जब देश की सुरक्षा की बात आती है तो जासूसि (एस्पायनाज) पर सख़्त कानूनी रोक होती है। भारत में इसको ‘जासूसी एक्ट, 1962’ के नाम से जाना जाता है। यह कानून उन लोगों को लक्षित करता है जो बिना अनुमति के देश की रक्षा, विदेश नीति या सैन्य मामलों की जानकारी दूसरों को देते हैं।

कानून का उद्देश्य दुश्मन‑देशों को हमारे राज़ नहीं देना और अंदरूनी सुरक्षा बनाए रखना है। अगर आप सोच रहे हैं कि यह सिर्फ सरकारी अधिकारियों तक ही सीमित है – नहीं, आम नागरिक भी अगर ऐसी जानकारी अनजाने में फैलाते हैं तो उन्हें दण्ड मिल सकता है.

मुख्य प्रावधान और दंड

जासूसी एक्ट में दो मुख्य भाग होते हैं: ‘जासूसी’ (स्पाइंग) और ‘सहयोगी कार्य’। जासूसि का मतलब है जानकारी इकट्ठा करना, जबकि सहयोगी कार्य में उस जानकारी को विदेशियों या उनके एजेंटों तक पहुँचाना शामिल है.

दण्ड बहुत गंभीर हो सकता है – जेल की सजा 10 साल तक, साथ ही जुर्माने की भी मांग होती है। अगर कोई ‘देश के प्रति घातक’ काम करता है तो आजीवन कैद या फांसी तक का फैसला भी मिल सकता है. इस कानून में कोर्ट को यह तय करने का अधिकार है कि दुष्प्रभाव कितना बड़ा था और सजा उसी हिसाब से तय होगी.

ध्यान रखें, ‘जानकारी देना’ शब्द बहुत व्यापक है – मोबाइल पर कोई फ़ोटो शेयर करना, सोशल मीडिया पर रणनीति की चर्चा या विदेशियों के साथ निजी बातों में शामिल होना भी जांच का कारण बन सकता है. इसलिए हमेशा सोचे‑समझे कदम उठाएँ.

हालिया केस और उनका प्रभाव

2025 में हरियाणा से यूट्यूब व्लॉगर ज्योति मल्होत्रा को पाकिस्तान के लिये जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया कि वह डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर संवेदनशील जानकारी साझा कर रही थी. इस केस ने सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को चेतावनी दी कि ऑनलाइन पोस्ट्स भी जांच का हिस्सा बन सकते हैं.

एक और उदाहरण है ‘बेंगलुरु में एड शीरन के लाइव प्रदर्शन’ को रोकना। यहाँ पुलिस ने कहा कि सार्वजनिक जगह पर बड़े‑शोर से सुरक्षा खतरे में पड़ सकता है, इसलिए उन्होंने हस्तक्षेप किया. यह केस बताता है कि जासूसी सिर्फ विदेशियों तक सीमित नहीं, बल्कि देश की सार्वजनिक व्यवस्था भी इसमें शामिल हो सकती है.

इन मामलों से हमें सीख मिलती है कि अगर आपको कोई संवेदनशील जानकारी मिलती है तो उसे तुरंत संबंधित विभाग को रिपोर्ट करें। खुद को बचाने का सबसे आसान तरीका है – किसी भी अनजाने व्यक्ति या प्लेटफ़ॉर्म पर ऐसी बात न रखें जो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी हो.

यदि आप सरकारी नौकरी कर रहे हैं, पत्रकार हैं या अक्सर विदेशियों से मिलते‑जुलते हैं तो जासूसी कानून की पूरी जानकारी रखना जरूरी है. छोटे‑छोटे कदम जैसे: ईमेल एन्क्रिप्शन का उपयोग, पासवर्ड सुरक्षित रखना और सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत राय को सरकारी मामलों से अलग रखना – ये सब मदद कर सकते हैं.

आख़िरकार जासूसि कानून हमारे देश की सुरक्षा के लिए बनाया गया है. इसे समझकर आप न सिर्फ खुद को कानूनी जोखिम से बचा सकते हैं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी निभाते हैं. अगर कोई संदेह हो तो तुरंत कानूनी सलाह लें; जल्दी कार्रवाई ही समस्या को बड़े रूप में बढ़ने से रोकती है.

जूलियन असांज, WikiLeaks संस्थापक, ने जासूसी क़ानून के उल्लंघन के आरोपों को स्वीकार करने का किया निर्णय

जूलियन असांज, WikiLeaks संस्थापक, ने जासूसी क़ानून के उल्लंघन के आरोपों को स्वीकार करने का किया निर्णय

25 जून 2024

WikiLeaks के संस्थापक जूलियन असांज ने जासूसी कानून के उल्लंघन के आरोपों को स्वीकार करने का निर्णय लिया है। उन्हे मैरियाना द्वीपसमूह में एक अमेरिकी अदालत में पेश होने की उम्मीद है। जूलियन को पांच साल की जेल की सजा की सिफारिश की गई है। जिससे वह अब और अतिरिक्त समय नहीं बिताएंगे क्योंकि उन्हें ब्रिटेन में पहले ही पांच साल की सजा काटनी पड़ी है।

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