इंडस जल समझौता – क्या है और क्यों महत्व रखता है?

इंडस जल समझौता 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ एक बड़ा समझौता था। यह दो देशों को इंदस नदी प्रणाली के पानी को बाँटने का नियम देता है। समझौते की वजह से कई बार जल विवाद नहीं बढ़ पाए, लेकिन आज भी इसका असर बहुत गहरा है। आप सोच रहे होंगे कि 60 साल पुराना दस्तावेज़ अभी कैसे काम कर रहा है?

समझौते की पृष्ठभूमि

1947 में भारत‑पाकिस्तान का विभाजन हुआ, और दोनों देशों को इंदस नदी के कई हिस्से मिल गए। पानी का बंटवारा तय नहीं था, इसलिए झगड़े शुरू हो गये। यूएन ने दो साल तक चर्चा की और अंत में 1960 में समझौता तैयार किया। इसमें तीन मुख्य नदियों – इंदस, जेह्रम और सतलुज – को पाकिस्तान को दिया गया, जबकि भारत को पाँच छोटी नदियाँ मिलीं।

मुख्य प्रावधान और आज का असर

समझौते में पानी के इस्तेमाल की सीमा तय की गई थी। भारत को बांध बनाकर जल भंडारण करने की अनुमति है, परन्तु वह वही पानी पाकिस्तान को देना चाहिए जो पहले से निर्धारित था। इस नियम ने दोनों देशों को कृषि, पीने का पानी और उद्योगों के लिये योजना बनाने में मदद दी। आज भी जब कोई नया डैम या नहर बनती है, तो इसे समझौते के तहत जांचा जाता है कि क्या यह सीमा में आता है।

हालिया समाचारों में देखा गया है कि जल स्तर घटने से भारत ने अतिरिक्त जल उपयोग करने की बात रखी। पाकिस्तान इस पर आपत्ति जताता है और कहता है कि वह अपने हिस्से का पानी खो रहा है। इसलिए दोनों पक्ष अक्सर वार्तालाप में वापस आते हैं, ताकि समझौते को फिर से लागू किया जा सके।

एक practical tip: अगर आप किसान या जल उपयोगकर्ता हैं तो स्थानीय जल बोर्ड से पता करें कि आपके इलाके का जल अधिकार इंडस समझौते के तहत कैसे निर्धारित है। इससे भविष्य में किसी भी कानूनी जटिलता से बचा जा सकता है।

समझौते की समीक्षा भी समय‑समय पर होती रहती है। 1991, 2002 और हाल ही में 2023 में कुछ संशोधन प्रस्तावित हुए थे, लेकिन अभी तक कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ। यह दिखाता है कि अंतरराष्ट्रीय समझौतों को बदलना आसान नहीं होता, खासकर जब दो बड़े देश जुड़े हों।

संक्षेप में, इंडस जल समझौता सिर्फ एक पुराना दस्तावेज़ नहीं, बल्कि भारत‑पाकिस्तान के बीच पानी की सुरक्षा और सहयोग का आधार है। इसे समझने से आप न केवल भू‑राजनीति को बेहतर देख पाएँगे, बल्कि अपने रोजमर्रा के जल उपयोग को भी सही दिशा में ले जा सकेंगे।

Indus Water Treaty विवाद: हरदीप पुरी ने बिलावल भुट्टो के 'पानी या खून' बयान पर कड़ा पलटवार

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27 अप्रैल 2025

पाकिस्तान के बिलावल भुट्टो के भड़काऊ बयान पर केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने तीखा पलटवार किया है। इंदुस जल संधि के निलंबन के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। पुरी ने भुट्टो की मानसिक स्थिति पर भी सवाल उठा दिया और पाकिस्तान को 'अवसरवादी और पतनशील' राज्य बताया।

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