शीटाल देवी ने विश्व पैर-आर्करी चैंपियनशिप 2025 में स्वर्ण पदक जीता, इतिहास रचा
29 सितंबर 2025

जब शीटाल देवी, पैर-तीरंदाज़ के रूप में भारत की प्रतिनिधि ने 2025 के विश्व पैर-आर्करी चैंपियनशिपबर्लिन में महिला व्यक्तिगत कॉम्पाउंड इवेंट में स्वर्ण पदक जिंक कर इतिहास रचा, तो देश भर में उत्सव की लहर दौड़ गई। यह जीत 10 जनवरी 2007 को किंस्तवाड़, जम्मू‑कश्मीर में जन्मी इस 18‑साल की एथलीट ने, जो फोकोमेलिया नामक दुर्लभ विकृति के कारण हाथों के बिना खेलती हैं, को और भी ऊँचा मुकाम देती है।

इतिहासिक पृष्ठभूमि और शुरुआती संघर्ष

शीटाल की कहानी 2019 की एक छोटी सी स्थानीय युवा प्रतियोगिता से शुरू हुई, जहाँ भारतीय सेना की राष्ट्रिया राइफल्स ने उनका चयन किया। तब से सेना ने न सिर्फ उनके प्रशिक्षण में मदद की, बल्कि शैक्षणिक सहायता और चिकित्सा सुविधाएँ भी प्रदान कीं। इस समर्थन के बिना शायद वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस तरह नहीं चमक पातीं।

फोकोमेलिया के कारण हाथों के अभाव के बावजूद, शीटाल ने विशेष रूप से अनुकूलित बैनर और कुशनों की मदद से अपने लक्ष्य को सटीकता से मारना सीखा। 2021 में उन्होंने एशियाई पैर-तीरंदाज़ी चैंपियनशिप में पहला अंतर्राष्ट्रीय पदक जीतकर अपना नाम बनाया।

नवीनतम जीत का विस्तृत विवरण

बर्लिन में हुए इस विश्व चैंपियनशिप में 32 देशों की 176 एथलीटें भाग ले रही थीं। शीटाल ने क्वालिफायर्स में लगातार 9.2 अंक का औसत हासिल किया, जो प्रतिस्पर्धा में दूसरा सबसे अधिक था। फ़ाइनल में उन्होंने भारत के साथी राघव सिंह (mixed team) के साथ पहले भी ब्रॉन्ज जीतने के बाद, इस बार अकेले ही सच्चा गोल्ड लेकर अपने रिकॉर्ड को दोगुना कर दिया।

फाइनल शॉट का वर्णन कुछ इस प्रकार है: "मेरी तीर को लक्ष्य की ओर ले जाने का रास्ता हमेशा सीधा नहीं रहा, पर मैं हर बार ध्वनि सुनती हूँ" – यह शीटाल ने प्रतियोगिता के बाद एक इंटरव्यू में कहा। उनका इस इवेंट में गोल्ड 156 अंक के साथ समाप्त हुआ, जबकि दूसरा स्थान पर रहने वाले तुर्की की एथलीट ने 152 अंक प्राप्त किए।

संबंधित एजेंसियों और प्रमुख व्यक्तियों की प्रतिक्रियाएँ

भारतीय ओलंपिक समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवींद्र कुमार ने कहा, "शीटाल की जीत न केवल भारत की पैर खेलों में प्रगति दिखाती है, बल्कि यह सभी सीमित क्षमताओं वाले युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।"

स्पोर्ट्स विश्लेषक डॉ. सुनील वर्मा ने नोट किया, "परम्परागत रूप से भारत में पैर-तीरंदाज़ी को बहुत कम समर्थन मिला है, परन्तु पिछले पाँच वर्षों में निवेश में 250% की वृद्धि हुई है, और शीटाल का उदय इस बदलाव का प्रत्यक्ष प्रमाण है।"

समाज और खेल पर व्यापक प्रभाव

समाज और खेल पर व्यापक प्रभाव

यह जीत विभिन्न स्तरों पर कई प्रश्न उठाती है। सबसे पहला, शारीरिक विकलांगता वाले एथलीटों के लिए उपकरणों की उपलब्धता कैसे बढ़ाई जा सकती है? दूसरा, स्कूलों में पैर-आर्करी जैसे खेलों को शामिल करने की आवश्यकता पर भी चर्चा तेज हो रही है।

पत्रकारों ने नोट किया कि इस जीत के बाद अखिल भारतीय पैर-खेल संघ ने अगले दो वर्षों में 15 नई प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है। यह योजना विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में फोकस करेगी, जहाँ अक्सर टैलेंट अनदेखा रह जाता है।

आगे की संभावनाएँ और आगामी लक्ष्य

शीटाल ने आगे 2026 में बर्लिन में होने वाले विश्व पैर-तीरंदाज़ी सुपर सीरीज़ में भाग लेने की घोषणा की है। उनके कोच ने कहा, "हम अब सिर्फ स्वर्ण नहीं, बल्कि दोहराने योग्य पहचान बनाना चाहते हैं, जिससे भारत पारिवारिक खेल में अग्रणी बन सके।"

इसके अलावा, भारतीय सरकार ने 2025 के बजट में पैर-खेलों के लिए अतिरिक्त 150 करोड़ रुपये आवंटित करने की योजना बताई है, जिसमें विशेष रूप से तकनीकी सहयोग और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में भागीदारी को बढ़ावा दिया जाएगा।

Frequently Asked Questions

शीटाल देवी की इस जीत से भारत के पैर-खेलों को क्या लाभ होगा?

उनकी स्वर्ण पदक जीत से न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ेगी, बल्कि सरकार और निजी संस्थाएँ पैर-खेलों में निवेश करने के लिए प्रेरित होंगी। इससे नई प्रशिक्षण सुविधाएँ, बेहतर उपकरण और स्कॉलरशिप की संभावना बनती है।

क्या शीटाल ने पहले कोई अंतरराष्ट्रीय पदक जीता है?

हाँ, 2024 के पेरिस पैरालिंपिक में उन्होंने मिश्रित टीम कॉम्पाउंड इवेंट में ब्रॉन्ज पदक जीता था, जिससे वह 17 वर्ष की आयु में भारत की सबसे युवा पैरालिम्पिक पदक विजेता बनीं।

शीटाल की सफलता में भारतीय सेना की क्या भूमिका रही?

राष्ट्रिया राइफल्स ने 2019 में उनकी प्रतिभा को पहचाना, प्रशिक्षण, चिकित्सा सहायता और शैक्षणिक समर्थन दिया, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुँच सकीं। यह सहयोग उनके करियर का एक निर्णायक मोड़ था।

फोकोमेलिया जैसी स्थिति में तीरंदाज़ी कैसे संभव है?

फ़ॉकोमेलिया से प्रभावित एथलीटों के लिए कस्टम‑मेड बैनर, विशेष ग्रिप और सहायक उपकरण विकसित किए गए हैं। शीटाल ने इन तकनीकों का इस्तेमाल करके शारीरिक बाधा को पूरी तरह से पार कर लक्ष्य को हिट किया।

अगले साल शीटाल किन प्रतियोगिताओं में भाग लेंगी?

उनकी अगली प्राथमिक लक्ष्य 2026 में बर्लिन में आयोजित विश्व पैर-तीरंदाज़ी सुपर सीरीज़ है, जहाँ वह व्यक्तिगत और टीम दोनों इवेंट्स में प्रतिस्पर्धा करने की योजना बना रही हैं।