सेंटिल बालाजी की जमानत का मामला
भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंटिल बालाजी की जमानत पर बहस छिड़ गई है। सेंटिल बालाजी को 2023 में नकद के बदले नौकरी घोटाले के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने 471 दिन जेल में बिताए और आखिरकार 26 सितंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत दी गई।
तमिलिसाई सौंदरराजन की आलोचना
भारतीय जनता पार्टी की नेता तमिलिसाई सौंदरराजन ने डीएमके पर निशाना साधते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति की जमानत को सम्मानपूर्वक मनाना हास्यास्पद है। उन्होंने कहा, 'यह कैसे संभव है कि एक व्यक्ति, जिसे भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, उसे नायक के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।' सौंदरराजन ने इस मुद्दे पर जनता से सीधा सवाल किया कि क्या किसी अपराधी का महिमामंडन करना सही है।
सेंटिल बालाजी का करियर और गिरफ्तारी
सेंटिल बालाजी का राजनीतिक करियर महत्वपूर्ण रहा है। वह पहले एआईएडीएमके सरकार में परिवहन मंत्री थे और बाद में एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके सरकार में विद्युत और निषेध एवं उत्पाद शुल्क मंत्री बने। लेकिन उनकी राजनीतिक यात्रा में एक बड़ा धक्का 2023 में आया, जब उन्हें घोटाले के आरोपों में गिरफ्तार किया गया।
डीएमके का पक्ष
डीएमके ने हमेशा से कहा कि यह मामला राजनीतिक रूप से प्रेरित है। पार्टी के मुताबिक, सेंटिल बालाजी को निशाना बनाने का मुख्य उद्देश्य डीएमके को कमजोर करना था। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बालाजी की जमानत का स्वागत करते हुए इसे राजनीतिक प्रतिशोध पर जीत बताया और आपातकाल से तुलना की। उन्होंने कहा कि यह न्याय और सच्चाई की जीत है।
करूर में जश्न
सेंटिल बालाजी के अनुयायियों ने करूर में उनकी जमानत का जश्न मनाया। इस अवसर पर पटाखे फोड़े गए और मिठाइयाँ बांटी गईं। वहां के निवासी और समर्थक इस खबरी से बहुत खुश थे। उनके मुताबिक, यह उनके नेता की सच्चाई की जीत का प्रतीक है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई
यह मामला एक बार फिर से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को लेकर सवाल खड़े करता है। क्या ऐसे मामलों में न्याय की जीत संभव है? क्या राजनीतिक प्रतिशोध और भ्रष्टाचार के आरोपों को अलग करना संभव है? ये सवाल जनता के मन में गहरे धंसे रहते हैं।
न्याय प्रणाली का महत्व
इस मामले ने न्याय प्रणाली की अहमियत को और भी बढ़ा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सेंटिल बालाजी को जमानत देकर न्याय की उम्मीदों को बनाए रखा है। इससे एक नई मिसाल कायम हुई है कि न्याय प्रणाली दबाव के बावजूद निष्पक्षता से काम कर सकती है।