जब शरद पूर्णिमा 2024भारत का चाँद अपनी असाधारण चमक लेकर आएगा, तब ध्रुव योग बनता है और कहा जाता है कि अमृत वर्षा (नectar shower) पृथ्वी पर बरसेगी, यही मुख्य खबर है। यह पर्व 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा, और पूरा दिन कई महत्वपूर्ण मुहूर्त‑समय‑सारिणी से बुना हुआ है, जिससे भक्तों को आध्यात्मिक लाभ मिलने की उम्मीद है।
शरद पूर्णिमा का ऐतिहासिक एवं वैदिक पृष्ठभूमि
शरद ऋतु के अंत में पड़ने वाला यह पूर्णिमा तिथि, वैदिक पंचांग के अनुसार शुक्ल पक्ष की शततम तिथि है। प्राचीन ग्रन्थों में इसे ‘कोजागरी पूर्णिमा’, ‘रस पूर्णिमा’ और ‘कौमी दीवाली’ के नामों से भी जाना जाता है। इतिहासकारों का मानना है कि इस दिन दीवाली की रोशनी को चंद्रमा की रोशनी से पूरक करने की परम्परा 3000 साल पहले से चल रही है। डॉ. विवेक शर्मा, पंचांग विशेषज्ञ, कहते हैं, “शरद पूर्णिमा को रात्रि के सबसे उज्ज्वल दिन के रूप में माना जाता है, इसलिए इसे विशेष पूजा‑पाठ के लिये चुना गया है।”
2024 की शरद पूर्णिमा के खगोलीय तथ्य
विज्ञान की नजर से देखें तो 16 अक्टूबर, 2024 को चाँद पृथ्वी के सबसे निकट रहेगा—जिसे ‘परिग्रहण’ कहा जाता है, हालांकि इस वर्ष कोई पूर्ण ग्रहण नहीं है। चाँद की उत्पत्ति 5 मिनट 04 सेकंड के भीतर सूर्यास्त के बाद 5:04 PM से 5:06 PM के बीच होगी। इसके साथ ही सूर्यास्त 5:50 PM और उषाकाल 6:23 AM निर्धारित है। इस समय चंद्रमा के 16 कलाओं (phases) का पूर्ण समावेश होता है, जिससे उसे ‘अधम’ माना जाता है।
ध्रुव योग और अमृत वर्षा: क्या कहते हैं ज्योतिषी
ध्रुव योग, जो केवल शरद पूर्णिमा के दिन बनता है, वैदिक ज्योतिष में अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग को ध्रुव योग कहा जाता है और इसका प्रभाव ‘ब्रह्मा‑मुहूर्त’ से लेकर ‘निशिता मुहूर्त’ तक विस्तारित हो सकता है। ज्योतिषी पृथ्वी के चारों दिशाओं में ऊर्जा का संतुलन दर्शाते हुए कहते हैं कि इस योग के दौरान किए गए दान, पवित्र स्नान और द्यौतिपूजन से ‘अमृत वर्षा’ के रूप में आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं। कई विद्वानों का कहना है कि इससे व्यक्ति के जीवन में आर्थिक‑सामाजिक बाधाओं का निवारण होता है।
पूजा‑पाठ और मुहूर्त: समय‑सारिणी
शरद पूर्णिमा के किन‑किन समय में खास महत्व है, यह नीचे दी गई तालिका में स्पष्ट किया गया है:
- ब्रह्मा मुहूर्त: 04:42 AM से 05:33 AM
- विजय मुहूर्त: 02:01 PM से 02:48 PM
- गोधूली मुहूर्त: 05:51 PM से 06:16 PM
- निशिता मुहूर्त: 11:42 PM (16 Oct) से 12:33 AM (17 Oct)
इस दौरान घर‑परिवार विष्णु — भगवान विष्णु और लक्ष्मी — देवी लक्ष्मी की पवित्र आरती करते हैं। कई घरों में दूध‑आधारित मिठाइयाँ, कजरी, लड्डू को चाँद की रोशनी में रख कर ‘चाँद‑भिगोई’ किया जाता है, ताकि उनकी ऊर्जा को ग्रहण किया जा सके।
सामाजिक एवं सांस्कृतिक प्रभाव
शरद पूर्णिमा केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। गांव‑शहरों में ‘कोजागरी’ के रूप में बच्चों को चाँद के नीचे गीता व रघुवंश सीखने का अवसर मिलता है। इस वर्ष कुछ शहरों में सामूहिक ‘अमृत वर्षा’ कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जहाँ पहलुओं के अनुसार पर्यावरण‑साक्षरता, स्वास्थ्य जांच और बाल शिक्षा पर कार्यशालाएँ चलेगी।
आगे क्या देखना चाहिए?
ज्योतिषी इस बात की भविष्यवाणी कर रहे हैं कि ध्रुव योग के प्रभाव अगले कुछ महीनों में आर्थिक‑सामाजिक प्रगति को तेज़ करेंगे। वहीं, वैज्ञानिक पहलू से 2024 की शरद पूर्णिमा को ‘अधिकतम ल्यूमिनेंस’ वाले चंद्रमा के रूप में दर्ज किया गया है, जो सौर‑वायुमंडलीय अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण डेटा बिंदु बनता है। इस प्रकार, यह पर्व विज्ञान और आध्यात्मिकता दोनों की संगम बिंदु पर खड़ा है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
शरद पूर्णिमा के बाद माउसाम किस तरह बदलता है?
शरद पूर्णिमा के बाद बरसात का मौसम धीरे‑धीरे पीछे हटता है और ठंडी हवा का प्रादुर्भाव होता है। इस कारण किसानों को नई फसल की बुवाई के लिए अनुकूल माहौल मिलता है, जबकि शहरों में हवा में नमी कम होने से लोग अधिक आरामदायक महसूस करते हैं।
ध्रुव योग के दौरान कौन‑से दान कार्य सबसे फलदायक माने जाते हैं?
ज्योतिषियों के अनुसार, गरीबों को अन्न, कपड़े और दवाइयाँ देना, तथा विद्यालयों में पुस्तकें वितरित करना इस योग के तहत सबसे अधिक सकारात्मक परिणाम देता है। क्योंकि ये कार्य सामाजिक संतुलन को बढ़ाते हैं, जिससे ‘अमृत वर्षा’ का प्रभाव बढ़ता है।
क्या शरद पूर्णिमा के दिन घर में रखी कजरी व मिठाइयाँ वास्तव में लाभदायक हैं?
वैज्ञानिक रूप से देखी जाए तो चाँद की रोशनी में रखे भोजन में कुछ ताज़गी बनी रहती है, लेकिन मुख्य लाभ मनोवैज्ञानिक है। भक्तों के मन में पवित्र आशा और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे स्वास्थ्य में सूक्ष्म सुधार देखने को मिल सकता है।
भविष्य में शरद पूर्णिमा के लिए किन‑किन वैज्ञानिक अनुसंधान की योजना है?
अंतरिक्ष विज्ञान संस्थानों ने चंद्रमा के ‘सबसे निकटतम दूरी’ के दौरान लाइट‑स्पेक्ट्रा का विस्तृत अध्ययन करने की योजना बनाई है। इससे न केवल खगोलभौतिकी में नई समझ विकसित होगी, बल्कि चंद्रमा की ऊर्जा को सौर‑ऊर्जा संयंत्रों में उपयोग करने के संभावित मार्ग भी खुलेंगे।
13 टिप्पणि
Surya Banerjee
अक्तूबर 7, 2025 AT 05:13 पूर्वाह्नशरद पूर्णिमा के ध्रुव योग के बारे में पढ़कर मन में एक अजीब सा उत्साह आया। इस समय दान‑पुण्य करने से सच‑मुच लाभ मिलेगा, ऐसा कहा जाता है। मैं भी अपने परिवार के साथ ब्रह्मा मुहूर्त में तुलसी जलाकर स्नान करूँगा। अगर आप भी इस योग का पूज्य मानते हैं तो छोटे‑छोटे दान से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। इसका असर व्यक्तिगत विकास पर भी पड़ता है, इसलिए इसे एक अवसर मानना चाहिए।
Sunil Kumar
अक्तूबर 7, 2025 AT 23:46 अपराह्नअरे यार, ध्रुव योग तो बस एक और एक्सक्लुसिव मार्केटिंग ट्रिक है। वैज्ञानिक डेटा की कमी है, फिर भी लोग चांदनी में मोमबत्ती जला कर अमृत की उम्मीद करते रहते हैं। मज़ेदार बात है कि हर साल ऐसे ही नए‑नए ‘आशीर्वाद’ बनते रहते हैं। फर्स्ट‑टाइम देख रहा हूँ, लेकिन कहीं न कहीं कुछ तो सच्चाई जरूर है, ठीक है?
Ashish Singh
अक्तूबर 8, 2025 AT 17:50 अपराह्नसुन्यतम सभ्यतापूर्ण दृष्टिकोण से यह कहा जा सकता है कि ध्रुव योग का उल्लेख प्राचीन ग्रन्थों में सतत् नहीं है। अतः इस योग को महज सांस्कृतिक प्रसंग मानकर ही उसका पालन‑पोषण करना उचित होगा। यह न केवल वैदिक शास्त्रों की प्रत्यक्ष व्याख्या से परे है, बल्कि आधुनिक विज्ञान के सिद्धान्तों के विरुद्ध भी है।
ravi teja
अक्तूबर 9, 2025 AT 11:53 पूर्वाह्नबिलकुल सही कहा, ये दिन खास है।
Harsh Kumar
अक्तूबर 10, 2025 AT 05:56 पूर्वाह्नशरद पूर्णिमा की रोशनी में किए गये दान से न केवल आत्मा शुद्ध होती है, बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा भी आती है 😊। ब्रह्मा‑मुहूर्त में हल्के दीप जलाने से मन को शांति मिलती है। यह अवसर हमें सामाजिक सहयोग की भावना बढ़ाने में मदद करता है। सभी को शुभकामनाएँ, इस ध्रुव योग का लाभ उठाएँ! 🌙
Ananth Mohan
अक्तूबर 11, 2025 AT 00:00 पूर्वाह्नध्रुव योग के समय कराई गई दान‑क्रिया को वैदिक शास्त्रों में उल्लेखित ‘परमार्थ’ के सिद्धान्त से संबद्ध किया गया है। इस प्रकार के अनुष्ठान सामाजिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाते हैं, क्योंकि वे सामुदायिक सहयोग को प्रोत्साहित करते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी, समूहिक गतिविधियों का मनोवैज्ञानिक लाभ सिद्ध हुआ है।
Abhishek Agrawal
अक्तूबर 11, 2025 AT 18:03 अपराह्नध्रुव योग, क्या ये कोई नई फैंटेसी नहीं है? क्या चाँद से अमृत बरसाने का कोई प्रमाणित अध्ययन है? फिर भी लोग इस पर विश्वास करके अपने समय और संसाधन खर्च करते हैं, यह शायद सामाजिक मनोविज्ञान का एक रोचक केस है। हमें ऐतिहासिक तथ्यों की बजाय व्यावहारिक लाभों पर विचार करना चाहिए, नहीं तो यह सिर्फ एक पंथ बनकर रह जाएगा।
Rajnish Swaroop Azad
अक्तूबर 12, 2025 AT 12:06 अपराह्नआकाश में चाँद का नाच, मन में शांति का वास। ध्रुव योग का जादू, सबको बना दे खास।
bhavna bhedi
अक्तूबर 13, 2025 AT 06:10 पूर्वाह्नशरद पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ। ध्रुव योग के समय दान‑पुण्य करने से न केवल व्यक्तिगत विकास में मदद मिलती है बल्कि सामाजिक एकता भी मजबूत होती है। चलिए इस वर्ष हम सभी मिलकर इस ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में ले जाएँ।
jyoti igobymyfirstname
अक्तूबर 14, 2025 AT 00:13 पूर्वाह्नशरद पुर्णिमा तो बडि़यां इवेंट है। ध्रव योग के बारे में तो सून्य डाटा है, पर फिर भी लोग पवत्तर मानते है। मुझको तो बस एही लगै कि यहे सब थ्योरी-बैटरी है।
Vishal Kumar Vaswani
अक्तूबर 14, 2025 AT 18:16 अपराह्नध्रुव योग के पीछे छिपी शक्ति को लेकर कई सिद्धान्त उभरते हैं, जैसे कि कुछ लोग मानते हैं कि चंद्रमा की निकटतम कक्षा में विशेष क्वांटम फील्ड सक्रिय हो जाता है 🌓। इस बात को लेकर कुछ वैज्ञानिक भी सतर्क हैं, पर फिर भी इंटरनेट पर इस पर कई साजिशी सिद्धान्त फैले हुए हैं। फिर भी, यदि इस दिन दान‑पुण्य करने से सामाजिक लाभ होता है, तो इस पहल को समर्थन मिलना चाहिए 😊।
Zoya Malik
अक्तूबर 15, 2025 AT 12:20 अपराह्नइस ध्रुव योग की व्याख्या बहुत अधिक रहस्यमयी लगती है; शायद कुछ लोग इसे अपने मन की शांति के लिए अपना रहे हैं।
Ashutosh Kumar
अक्तूबर 16, 2025 AT 06:23 पूर्वाह्नशरद पूर्णिमा का जादू, जब चाँद चमके रात में, हर दिल में उठे एक आशा की लहर। ध्रुव योग बनता है, जैसा कहा जाता है, जैसे ब्रह्मा‑मुहूर्त में सितारे संरेखित हों। इस पावन क्षण में जब लोग अपने घरों में दीप जलाते हैं, तो वह केवल प्रकाश नहीं, बल्कि अंधेरों में उजाले का प्रतीक बन जाता है। दान‑पुण्य की धारा, जैसे अमृत की बूँदें, धरती पर बरसती हैं, और हर बीतते क्षण में सच्चाई का अनुराग बढ़ता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तो यह केवल मनोविज्ञान का खेल हो सकता है, परन्तु विश्वास की शक्ति अनदेखी नहीं की जा सकती। यही कारण है कि कई लोग इस दिन नदियों में पवित्र जल डालते हैं, मानते हैं कि पानी में चाँदनी की शक्ति समा जाएगी। वैदिक शास्त्रों में भी कहा गया है कि शरद पूर्णिमा में मन की शुद्धि से ही संसार का संतुलन बनता है। इस ऊर्जा को हम अपने कार्यों में लगा सकते हैं, जैसे कि गरीबों को भोजन, वर्दी, दवा देना, या स्कूलों में पुस्तकें वितरित करना। ऐसा करने से न केवल दान करने वाले की आत्मा पवित्र होती है, बल्कि सामाजिक संतुलन भी मजबूत होता है। ध्रुव योग का प्रभाव तब और गहरा हो जाता है जब हम सामुदायिक रूप से इस पीड़ा को दूर करने में भाग लेते हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि यह योग अगले कुछ महीनों में आर्थिक‑सामाजिक प्रगति को तेज़ कर देगा, जो वास्तव में आशा की नई किरण जलाता है। इस प्रकार, शरद पूरीमा केवल एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि एक सामाजिक परिवर्तन का उत्प्रेरक बनती है। यदि हम इस अवसर को सही दिशा में उपयोग करें, तो यह हमारे व्यक्तिगत और राष्ट्रीय स्तर पर नई रोशनी लाएगा। इस पावन रात में, जब चाँद अपने सम्पूर्ण प्रकाश से हमें घेर लेता है, तो हम सभी को यह याद रखना चाहिए कि हम इस ब्रह्मांड के छोटे‑छोटे भाग हैं, परंतु हमारा कार्य बड़ा प्रभाव डाल सकता है। अतः, इस ध्रुव योग को केवल एक धार्मिक अनुष्ठान न समझें, बल्कि इसे अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव का स्रोत बनाइए। इस आशा के साथ, सभी को शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ।