शरद पूर्णिमा 2024: ध्रुव योग के साथ चाँद से अमृत वर्षा, विशेष मुहूर्त और अनोखी मान्यताएँ
7 अक्तूबर 2025

जब शरद पूर्णिमा 2024भारत का चाँद अपनी असाधारण चमक लेकर आएगा, तब ध्रुव योग बनता है और कहा जाता है कि अमृत वर्षा (नectar shower) पृथ्वी पर बरसेगी, यही मुख्य खबर है। यह पर्व 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा, और पूरा दिन कई महत्वपूर्ण मुहूर्त‑समय‑सारिणी से बुना हुआ है, जिससे भक्तों को आध्यात्मिक लाभ मिलने की उम्मीद है।

शरद पूर्णिमा का ऐतिहासिक एवं वैदिक पृष्ठभूमि

शरद ऋतु के अंत में पड़ने वाला यह पूर्णिमा तिथि, वैदिक पंचांग के अनुसार शुक्ल पक्ष की शततम तिथि है। प्राचीन ग्रन्थों में इसे ‘कोजागरी पूर्णिमा’, ‘रस पूर्णिमा’ और ‘कौमी दीवाली’ के नामों से भी जाना जाता है। इतिहासकारों का मानना है कि इस दिन दीवाली की रोशनी को चंद्रमा की रोशनी से पूरक करने की परम्परा 3000 साल पहले से चल रही है। डॉ. विवेक शर्मा, पंचांग विशेषज्ञ, कहते हैं, “शरद पूर्णिमा को रात्रि के सबसे उज्ज्वल दिन के रूप में माना जाता है, इसलिए इसे विशेष पूजा‑पाठ के लिये चुना गया है।”

2024 की शरद पूर्णिमा के खगोलीय तथ्य

विज्ञान की नजर से देखें तो 16 अक्टूबर, 2024 को चाँद पृथ्वी के सबसे निकट रहेगा—जिसे ‘परिग्रहण’ कहा जाता है, हालांकि इस वर्ष कोई पूर्ण ग्रहण नहीं है। चाँद की उत्पत्ति 5 मिनट 04 सेकंड के भीतर सूर्यास्त के बाद 5:04 PM से 5:06 PM के बीच होगी। इसके साथ ही सूर्यास्त 5:50 PM और उषाकाल 6:23 AM निर्धारित है। इस समय चंद्रमा के 16 कलाओं (phases) का पूर्ण समावेश होता है, जिससे उसे ‘अधम’ माना जाता है।

ध्रुव योग और अमृत वर्षा: क्या कहते हैं ज्योतिषी

ध्रुव योग, जो केवल शरद पूर्णिमा के दिन बनता है, वैदिक ज्योतिष में अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग को ध्रुव योग कहा जाता है और इसका प्रभाव ‘ब्रह्मा‑मुहूर्त’ से लेकर ‘निशिता मुहूर्त’ तक विस्तारित हो सकता है। ज्योतिषी पृथ्वी के चारों दिशाओं में ऊर्जा का संतुलन दर्शाते हुए कहते हैं कि इस योग के दौरान किए गए दान, पवित्र स्नान और द्यौतिपूजन से ‘अमृत वर्षा’ के रूप में आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं। कई विद्वानों का कहना है कि इससे व्यक्ति के जीवन में आर्थिक‑सामाजिक बाधाओं का निवारण होता है।

पूजा‑पाठ और मुहूर्त: समय‑सारिणी

पूजा‑पाठ और मुहूर्त: समय‑सारिणी

शरद पूर्णिमा के किन‑किन समय में खास महत्व है, यह नीचे दी गई तालिका में स्पष्ट किया गया है:

  • ब्रह्मा मुहूर्त: 04:42 AM से 05:33 AM
  • विजय मुहूर्त: 02:01 PM से 02:48 PM
  • गोधूली मुहूर्त: 05:51 PM से 06:16 PM
  • निशिता मुहूर्त: 11:42 PM (16 Oct) से 12:33 AM (17 Oct)

इस दौरान घर‑परिवार विष्णु — भगवान विष्णु और लक्ष्मी — देवी लक्ष्मी की पवित्र आरती करते हैं। कई घरों में दूध‑आधारित मिठाइयाँ, कजरी, लड्डू को चाँद की रोशनी में रख कर ‘चाँद‑भिगोई’ किया जाता है, ताकि उनकी ऊर्जा को ग्रहण किया जा सके।

सामाजिक एवं सांस्कृतिक प्रभाव

शरद पूर्णिमा केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। गांव‑शहरों में ‘कोजागरी’ के रूप में बच्चों को चाँद के नीचे गीता व रघुवंश सीखने का अवसर मिलता है। इस वर्ष कुछ शहरों में सामूहिक ‘अमृत वर्षा’ कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जहाँ पहलुओं के अनुसार पर्यावरण‑साक्षरता, स्वास्थ्य जांच और बाल शिक्षा पर कार्यशालाएँ चलेगी।

आगे क्या देखना चाहिए?

आगे क्या देखना चाहिए?

ज्योतिषी इस बात की भविष्यवाणी कर रहे हैं कि ध्रुव योग के प्रभाव अगले कुछ महीनों में आर्थिक‑सामाजिक प्रगति को तेज़ करेंगे। वहीं, वैज्ञानिक पहलू से 2024 की शरद पूर्णिमा को ‘अधिकतम ल्यूमिनेंस’ वाले चंद्रमा के रूप में दर्ज किया गया है, जो सौर‑वायुमंडलीय अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण डेटा बिंदु बनता है। इस प्रकार, यह पर्व विज्ञान और आध्यात्मिकता दोनों की संगम बिंदु पर खड़ा है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

शरद पूर्णिमा के बाद माउसाम किस तरह बदलता है?

शरद पूर्णिमा के बाद बरसात का मौसम धीरे‑धीरे पीछे हटता है और ठंडी हवा का प्रादुर्भाव होता है। इस कारण किसानों को नई फसल की बुवाई के लिए अनुकूल माहौल मिलता है, जबकि शहरों में हवा में नमी कम होने से लोग अधिक आरामदायक महसूस करते हैं।

ध्रुव योग के दौरान कौन‑से दान कार्य सबसे फलदायक माने जाते हैं?

ज्योतिषियों के अनुसार, गरीबों को अन्न, कपड़े और दवाइयाँ देना, तथा विद्यालयों में पुस्तकें वितरित करना इस योग के तहत सबसे अधिक सकारात्मक परिणाम देता है। क्योंकि ये कार्य सामाजिक संतुलन को बढ़ाते हैं, जिससे ‘अमृत वर्षा’ का प्रभाव बढ़ता है।

क्या शरद पूर्णिमा के दिन घर में रखी कजरी व मिठाइयाँ वास्तव में लाभदायक हैं?

वैज्ञानिक रूप से देखी जाए तो चाँद की रोशनी में रखे भोजन में कुछ ताज़गी बनी रहती है, लेकिन मुख्य लाभ मनोवैज्ञानिक है। भक्तों के मन में पवित्र आशा और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे स्वास्थ्य में सूक्ष्म सुधार देखने को मिल सकता है।

भविष्य में शरद पूर्णिमा के लिए किन‑किन वैज्ञानिक अनुसंधान की योजना है?

अंतरिक्ष विज्ञान संस्थानों ने चंद्रमा के ‘सबसे निकटतम दूरी’ के दौरान लाइट‑स्पेक्ट्रा का विस्तृत अध्ययन करने की योजना बनाई है। इससे न केवल खगोलभौतिकी में नई समझ विकसित होगी, बल्कि चंद्रमा की ऊर्जा को सौर‑ऊर्जा संयंत्रों में उपयोग करने के संभावित मार्ग भी खुलेंगे।