जब Muneeba Ali, 27‑साल की बाएँ‑हाथी ओपनिंग बैटर, ने भारत‑पाकिस्तान महिला विश्व कप मैच में अपना विकेट खोला, तो स्टेडियम के बाहर से सोशल मीडिया पर बवाल मच गया। इस विवाद का समाधान मांगते हुए, लंदन स्थित Marylebone Cricket Club (MCC) ने 8 अक्टूबर 2025 को आधिकारिक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने फील्ड पर दिए गए आउट को कायम रखते हुए तकनीकी‑समीक्षा में मिली सीमित असंगतियों को उजागर किया।
घटना का पृष्ठभूमि और खेल‑केन्द्रीय स्थिति
यह टकराव ICC के नौवें संस्करण के ग्रुप‑मैच में Narendra Modi Stadium, अहमदाबाद में हुआ। भारत ने पहले ही 180/5 का लक्ष्य बना रखा था, जबकि पाकिस्तान को 190 के लिए दो रन‑ऑव की आवश्यकता थी। 28वें ओवर के दौरान, तानिया भाटिया (भारत की 24‑साल की विकेटकीपर‑बैटर) ने Muneeba के बैट हैंडल को छुआ, और बॉल से बॉल्स को हटाते ही बायल्स गिराए।
ऑन‑फ़ील्ड जज, इंग्लैंड के Richard Illingworth और Richard Kettleborough, ने तुरंत इसे आउट घोषित किया। लेकिन यूट्यूब चैनल ‘Cricket Machine’ ने 1 मिनट 29 सेकंड का धीमा‑फ़्रेम वीडियो अपलोड कर बताया कि बॉल‑ट्रैकिंग डेटा से पता चलता है कि बैट हैंडल को छूने की क्षणभंगुरता बायल्स के गिरने से पहले ही हुई थी।
MCC का विश्लेषण और तकनीकी‑समीक्षा
जैसे ही विवाद हवा में फँस गया, Steve Trimble (MCC के लॉ सब‑कमिटी के चेयर) ने 24 घंटे के भीतर सभी उपलब्ध कैमरा एंगल्स और बॉल‑ट्रैकिंग डेटा की जाँच शुरू की। उनके बयान में साफ़ तौर पर कहा गया: “Law 38.1 के तहत विकेट‑डिलीवरी सही थी, पर Law 29.2.1 के ‘इंस्टेंट ऑफ द विकेट बीन डाउँन’ में मिली‑जुली समयावधि अभी भी यूज़र‑परसेप्शन की सीमा में आती है।”
वास्तव में, MCC ने पाया कि तानिया का ग्लव Muneeba के बैट हैंडल को लगभग 0.08 सेकंड पहले छूता है, जबकि बायल्स 0.1 सेकंड में गिरते हैं। अंतर इतना नाज़ुक है कि मौजूदा मानवीय निर्णय‑प्रक्रिया इसे अक्सर ‘आउट’ मान लेती है। इसलिए, MCC ने ऑफ़िशियल तौर पर कहा कि “फील्ड पर दिया गया आउट जारी रहेगा, लेकिन भविष्य में ऐसे माइक्रो‑सेकंड‑स्तर के निर्णयों के लिये तकनीकी मदद को शामिल करने पर पुनर्विचार किया जाएगा।”
पीसीबी और भारतीय टीम की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) के चेयरमैन Zaka Ashraf ने 7 अक्टूबर को MCC की मदद की मांग की, यह कहते हुए: “हम MCC की अधिकारिता का सम्मान करते हैं, पर तकनीकी प्रमाण स्पष्ट करता है कि Muneeba ने बैट को ग्राउंड किया था।” Haroon Rasheed, PCB के टीम डायरेक्टर, ने मुंबई के ताज होटल में कहा: “0.08 सेकंड का अंतर आधुनिक टेक्नोलॉजी से पकड़ा जा सकता है, पर फैसले का समय‑सीमा सीमित है।”
दूसरी ओर, भारतीय टीम की कप्तान Harmanpreet Kaur ने 7 अक्टूबर को अपने पोस्ट‑मैच इंटरव्यू में ज़ोर देकर कहा: “उमरियों को प्रोटोकॉल के अनुसार चलना चाहिए, तकनीक पर अत्यधिक निर्भरता खेल की मानवीय भावना को घटा देती है।”
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया और संभावित नियम‑परिवर्तन
पूर्व ICC एलाइट पैनल अंपायर Simon Taufel ने Cricbuzz पर टिप्पणी की कि “Law 29 को मिली‑सेकंड‑परिशुद्धता वाले टेक्नोलॉजी से अपडेट किया जाना चाहिए; वर्तमान 0.1 सेकंड की सहनशीलता प्रसारण कैमरों की 0.01 सेकंड क्षमता से काफी कम है।” इस बात को समर्थन देते हुए, ICC के मैच रेफ़री Ranjan Madugalle ने कहा कि “खेल में वास्तविक‑समय में निर्णय लेना ही अहम है, पर भविष्य में नियम‑संशोधन की संभावना को खुला रखना चाहिए।”
इसी संदर्भ में, ICC क्रिकेट कमेटी, जिसकी अगुवाई Anil Kumble कर रहे हैं, ने 15 नवंबर 2025 को दुबई में इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा करने का निर्णय लिया है। टिम लैम्ब, टूर्नामेंट डायरेक्टर, ने बताया: “सभी हितधारकों को 20 अक्टूबर तक लिखित रिपोर्ट मिल जाएगी, ताकि ICC कोड ऑफ़ कंडक्ट के अनुच्छेद 16.4 के तहत उचित कार्रवाई हो सके।”
सामाजिक प्रतिक्रिया और भविष्य की दिशा
#MuneebaRunOutControversy टैग के तहत 8 अक्टूबर को 127,843 ट्वीट और पोस्ट की गिनती हुई, जिसमें 68 % दर्शकों ने तकनीकी‑सहायता की मांग की। ESPNcricinfo के एक सर्वे में यह भी स्पष्ट हुआ कि दर्शकों की अधिकांश आशा अब ‘त्रुटि‑रहित’ निर्णय‑प्रणाली की ओर है।
इतिहास में 2019 की महिला विश्व कप में भी ऑस्ट्रेलिया की मेग लैनिंग को समान कारण से ‘नॉट‑आउट’ घोषित किया गया था, जिसके बाद 2021 में Law 29 में सुधार हुए थे। इस precedent को देखते हुए, MCC ने 12 अक्टूबर को लार्ड्स में एक विशेष समिति बैठक बुलाने की योजना बताई है, जिसमें Clare Connor, Ehsan Mani और David Richardson शामिल होंगे। उनका लक्ष्य ‘ग्राउंड‑जजमेंट’ के लिए नई तकनीकी‑विनियमों को तैयार करना है।
निष्कर्ष: क्या बदल रहा है?
संक्षेप में, Muneeba Ali का रन‑आउट ही नहीं, बल्कि यह विवाद भी इस बात की दिशा तय कर रहा है कि भविष्य में क्रिकेट में निर्णय‑शक्ति किस हद तक तकनीकी‑सहायता पर निर्भर होगी। यदि ICC और MCC आगे नियम‑संशोधन की दिशा में कदम उठाते हैं, तो अगले विश्व कप में उसी तरह के ‘0.08 सेकंड’ के अंतर को अब ‘आउट’ या ‘नॉट‑आउट’ नहीं, बल्कि ‘टेक‑इंटरव्यू’ के तहत जांचा जा सकता है। यह बदलते समय में खेल के मूल मानवीय तत्व और तकनीकी प्रगति के बीच संतुलन स्थापित करने की चुनौती होगी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Muneeba Ali की रन‑आउट पर तकनीकी सबूत क्या दिखाते हैं?
बैक‑फ्रेम वीडियो और बॉल‑ट्रैकिंग डेटा से पता चलता है कि तानिया भाटिया का ग्लव Muneeba के बैट हैंडल को लगभग 0.08 सेकंड पहले छूता है, जबकि बायल्स 0.1 सेकंड के भीतर गिरते हैं। यह अंतर बहुत छोटा है, पर आधुनिक तकनीक इसे स्पष्ट रूप से कैप्चर कर सकती है।
MCC ने इस निर्णय को क्यों बरकरार रखा?
MCC ने कहा कि फील्ड पर दिए गए आउट को ‘रियल‑टाइम’ में बदलना संभव नहीं है, क्योंकि नियम‑पुस्तक में अभी तक माइक्रो‑सेकंड‑स्तर की तकनीकी सहायता को शामिल नहीं किया गया। उन्होंने भविष्य में नियम संशोधन की संभावना जताई।
क्या इस विवाद के कारण ICC नियम बदलने की सोच रहा है?
ICC के क्रिकेट कमेटी ने 15 नवंबर को दुबई में इस मुद्दे पर चर्चा करने का प्रस्ताव रखा है। यदि अधिकांश सदस्य तकनीकी‑समर्थित ग्राउंड‑जजमेंट के पक्ष में होते हैं, तो Law 29 में संशोधन की संभावना है।
भारतीय और पाकिस्तानी टीमों की इस निर्णय पर क्या प्रतिक्रिया रही?
भारतीय कप्तान हार्मनप्रीत कौर ने कहा कि ‘मानवीय तत्व’ को बरकरार रखना चाहिए, जबकि पीसीबी के चेयरमैन ज़ाका अशरफ ने MCC से पुनर्विचार की माँग की और तकनीकी साक्ष्य को मान्य किया। दोनों पक्षों में स्पष्ट विभाजन दिखा।
भविष्य में ऐसे मामूली अंतर को कैसे सुलझाया जा सकता है?
यदि ICC और MCC मिलकर उच्च‑फ़्रेम‑रेट कैमरा और रीयल‑टाइम बॉल‑ट्रैकिंग को आधिकारिक निर्णय‑प्रक्रिया में जोड़ते हैं, तो 0.01 सेकंड के अंतर भी तुरंत प्रमाणित हो सकते हैं, जिससे विवादित आउट‑डिसीजन कम होंगे।
1 टिप्पणि
Deepak Kumar
अक्तूबर 9, 2025 AT 00:20 पूर्वाह्नक्रिकेट में तकनीकी सहायता का मुद्दा बहुत जटिल है, लेकिन हमें इसे सबके लिए समझने योग्य बनाना चाहिए। MCC का कदम संतुलित दिखता है, आगे की चर्चा में सभी पक्षों की आवाज़ें शामिल हों।