Maharaj Netflix फिल्म समीक्षा: आमिर खान के बेटे जुनैद खान की डेब्यू फिल्म से जुड़ी विवाद, कोर्ट केस, रिलीज की तारीख और अभिनय
22 जून 2024

नेटफ्लिक्स पर महाराज फिल्म समीक्षा

एमर्जिंग प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर लॉन्च हुई महाराज फिल्म, सौरभ शाह की किताब 'महाराज' पर आधारित है। यह फिल्म 1862 के महाराज लिबेल केस की कहानी बयां करती है। सिद्धार्थ पी. मल्होत्रा द्वारा निर्देशित और स्नेहा देसाई और विपुल मेहता द्वारा लिखित इस फिल्म में, हमें 19वीं सदी के बॉम्बे शहर का जीवन और उसकी चुनौतियों का एक झलक देखनी मिलती है।

महाराज फिल्म की कहानी की जड़ में महाराज जदुनाथ ब्रिजरतंजी (जदीप अहलावत) हैं, जो एक प्रभावशाली धार्मिक नेता हैं। कर्संदास मुलजी (जुनैद खान), जो एक पत्रकार और सुधारक के रूप में हैं, ने महाराज पर भक्तों का यौन शोषण करने का आरोप लगाया है। इस आरोप के चलते, महाराज पर लिबेल केस दर्ज होता है। इस केस के परिणाम स्वरूप, मुलजी के पक्ष में फ़ैसला आता है, जो दर्शकों को सत्य और न्याय की कहानी बतलाता है।

अदालती विवाद और फिल्म का रिलीज

महाराज फिल्म की शुरुआत से ही कई विवाद जुड़ गए। फिल्म की रिलीज की तारीख 14 जून तय की गई थी, लेकिन गुजरात हाई कोर्ट ने शैलेश पटवारी की याचिका के बाद, फिल्म पर स्टे आर्डर जारी किया। हालांकि, बाद में कोर्ट ने यह आदेश हटा दिया और फिल्म को दिन के संदर्शन मिला। इस अदालती लड़ाई ने फिल्म को और भी चर्चा का विषय बना दिया।

अभिनय और प्रदर्शन

जदीप अहलावत ने महाराज जदुनाथ के किरदार में अपने जोरदार और आत्मीय अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया। बिना ज्यादा संवादों के भी, उन्होंने अपने किरदार की गहराई को बखूबी दर्शाया। शरवरी वाघ ने मुलजी की सहायक का किरदार निभाया है, और अपने उमंग भरे प्रदर्शन के जरिए फिल्म में ऊर्जा का संचार किया। जुनैद खान ने अपने डेब्यू फिल्म में मुलजी का किरदार निभाया, लेकिन कुछ हिस्सों में वे किरदार की पुरानी-धुन वाली भावना को पकड़ नहीं पाए।

फिल्म का सेट और प्रोडक्शन

फिल्म का सेट और प्रोडक्शन डिज़ाइन भी चर्चा का विषय बने। फिल्म के दृश्य और सेट को उक्त समय के हिसाब से प्रामाणिक नहीं माना गया। 19वीं सदी की बंबई के प्रदर्शित दृश्य और वातावरण में कुछ कमी महसूस हुई। फिल्म में वास्तविकता का अभाव महसूसा गया, जिससे दर्शकों को पुराने बॉम्बे की सच्ची अनुभूति नहीं हो पाई।

महाराज फिल्म ने एक ऐतिहासिक दृश्यांतर को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है, जिसमें दर्शक उस युग की कठिनाइयों और संघर्षों को समझ सकते हैं। फिल्म के विवाद, कोर्ट केस और प्रदर्शन ने इसे विशेष बनाते हुए दर्शकों के बीच चर्चा का विषय बना दिया है।