जब सत्यजीत रे की 1970 की क्लासिक अरण्येर दिन रात्रि को बारीकी से पुनर्स्थापित किया गया, तो विश्व भर के सिनेमाई प्रेमियों ने अपनी सीटें खड़े कर दीं। यह अनोखा डेब्यू 19 मई 2025 को फ्रांस के कँनस में आयोजित 78वें कैन्स फिल्म फ़ेस्टिवल के क्लासिक्स सेक्शन में हुआ, जहाँ श्रवणीय “स्टैंडिंग ओवेशन” ने माहौल को बिखेर दिया।
परीक्षण के बाद, इस पुनर्स्थापना के पीछे की टीम ने इस अवसर को गॉरवमेंट नहीं, बल्कि अपने दिलों से बनाया। प्रमुख अतिथि वेस एंडरसन, जो द फ़िल्म फाउंडेशन के बोर्ड सदस्य भी हैं, और मूल फिल्म की सितारें शर्मिला टैगोर व सिमी गैरेवाल ने लाल कार्पेट पर कदम रखे। उनका स्वागत थिएरी फ्रेमॉक्स, कँनस फ़ेस्टिवल के निदेशक, ने प्रमुख सीढ़ी पर किया।
पुनर्स्थापन की पृष्ठभूमि व यात्रा
यह प्रोजेक्ट 2019 में शुरू हुआ, जब वेस एंडरसन ने द फ़िल्म फाउंडेशन के वर्ल्ड सिनेमा प्रोजेक्ट में शामिल होकर फिल्म को बचाने का प्रस्ताव रखा। इसमें गोल्डन ग्लोब फाउंडेशन ने लगभग $250,000 की फंडिंग दी, जो कि ऐसी क्लासिक के लिए औसत बजट के करीब है।
तकनीकी काम एल'इमेजिने रिट्रोवाटा लेबोरेटरी (बोलेन्या, इटली) में फ़िल्म हेरिटेज फाउंडेशन के शिवेंद्र सिंह डंगरपुर और द फ़िल्म फाउंडेशन के वर्ल्ड सिनेमा प्रोजेक्ट की प्रतिनिधि मार्गरेट बोड्डे के सहयोग से किया गया। इस प्रक्रिया में 35,000 फ़्रेम की सफ़ाई, कलर ग्रेडिंग, और साउंड रिमैस्टरिंग शामिल थी।
कँनस में विश्व प्रीमियर और प्रतिक्रिया
19 मई की शाम को, जब स्क्रीन पर पुनः जीवंत 'अरण्येर दिन रात्रि' चलना शुरू हुआ, तो हॉल में उपस्थित हर दर्शक ने तुरंत तालियों की बौछार शुरू कर दी। यहाँ तक कि दो बार के बाद ही दर्शकों ने ख़ड़ी हो कर एप्लॉडिस दिया—एक ऐसा दृश्य जो केवल महान क्लासिक ही कर पाते हैं।
इस समारोह में उपस्थित अन्य सितारे जैसे एलेजैंड्रो इन्ारिटु (ऑस्कर विजेता निर्देशक) और डेरियस कॉंडजी (प्रतिष्ठित सिनेमैटोग्राफर) ने भी हाथ ताली के साथ प्रशंसा व्यक्त की। एंडरसन ने स्क्रीनिंग से पहले कहा, "सत्यजीत रे की हर रचना एक ज्वेल है, इसे संजो कर रखना हमारा कर्तव्य है।"

मुख्य हस्तियों के बयान और विचार
शर्मिला टैगोर ने अपने भावनात्मक जुड़ाव को बताया: "हमारी युवा उम्र की कहानी अब नई पीढ़ी को दिखाने का मौका मिला है। यह फिल्म हमारे समय की आत्मा को फिर से जीती है।"
सिमी गैरेवाल ने कहा, "निर्माता वेस एंडरसन ने जो सम्मान दिखाया, वह शब्दों से परे है—यह फिल्म को विश्व मंच पर फिर से स्थापित कर रहा है।" दूसरी ओर, शिवेंद्र सिंह डंगरपुर ने बताया कि इस परियोजना ने भारतीय फिल्म संरक्षण के लिये एक नया मानक स्थापित किया है।
आगे की योजनाएँ और वितरण
पुनर्स्थापित फ़िल्म को जेनस फ़िल्म्स और द क्रिटेरियन कलेक्शन द्वारा 2025 की चौथी तिमाही में ब्लू-रे, डीवीडी और डिजिटल स्ट्रीमिंग पर रिलीज़ किया जाएगा। इससे विश्वभर के सिनेमा प्रेमियों को इस सच्ची कलाकृति तक पहुँच मिलेगी, चाहे वो न्यूयॉर्क के फ्रीडम मॉल में हो या मुंबई के लव पॉइंट सिनेमा में।
फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन ने बताया कि वह अगले दो वर्षों में सात और भारतीय क्लासिक फिल्में इसी तरह बहु-राष्ट्रीय सहयोग के साथ पुनर्स्थापित करने की योजना बना रहा है।

क्लासिक फ़िल्म संरक्षण का सामाजिक महत्व
सच्ची बात यह है कि फिल्म केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक दस्तावेज़ है। 'अरण्येर दिन रात्रि' के इस पुनर्स्थापन ने दर्शाया कि अगर सही वित्तीय और तकनीकी सहयोग मिले, तो कोई भी पुरानी फ़िल्म नई जिंदगी पा सकती है। द फ़िल्म फाउंडेशन के संस्थापक मार्टिन स्कॉर्सेसी ने 1990 में इस लक्ष्य को स्थापित किया था—और अब वेस एंडरसन जैसे युवा निर्देशक इसे आगे ले जा रहे हैं।
इतना ही नहीं, इस फिल्म की सफलता ने भारतीय सिनेमा को वैश्विक मंच पर फिर से स्थापित किया है, जिससे भविष्य में और अधिक भारतीय क्लासिक के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन मिलने की संभावना बढ़ी है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या 'अरण्येर दिन रात्रि' का मूल संस्करण अब भी उपलब्ध है?
हाँ, मूल फ़िल्म अभी भी कई आर्चिव्स में संरक्षित है, लेकिन पुनर्स्थापित संस्करण अधिक स्पष्टता और साउंड क्वालिटी के साथ वैश्विक दर्शकों के लिये रिलीज़ किया जाएगा।
किसने इस पुनर्स्थापन के लिए फंडिंग की?
पूरी प्रक्रिया को गोल्डन ग्लोब फाउंडेशन ने लगभग 2.5 लाख डॉलर की धनराशि प्रदान की। अन्य सहयोगियों में द फ़िल्म फाउंडेशन, वर्ल्ड सिनेमा प्रोजेक्ट और फ़िल्म हेरिटेज फाउंडेशन शामिल हैं।
क्या इस फिल्म को भारतीय बाजार में भी रिलीज़ किया जाएगा?
हां, जेनस फ़िल्म्स और द क्रिटेरियन कलेक्शन ने भारत में विशेष स्क्रीनिंग और डिजिटल रिलीज़ की योजना बनाई है, जिससे भारतीय दर्शकों को भी इस क्लासिक का नया रूप देखने को मिलेगा।
कैंस फ़ेस्टिवल में इस फिल्म की चयन प्रक्रिया कैसी थी?
कैंस क्लासिक्स सेक्शन में केवल पुनर्स्थापित और ऐतिहासिक महत्व वाली फिल्में ही चयनित होती हैं। द फ़िल्म फाउंडेशन और वर्ल्ड सिनेमा प्रोजेक्ट ने अपने विविध पोर्टफोलियो में इस फिल्म को प्रमुख स्थान दिया, जिससे यह एकमात्र भारतीय चयन बन गया।
भविष्य में किन भारतीय क्लासिक फिल्मों को पुनर्स्थापित करने की योजना है?
फ़िल्म हेरिटेज फाउंडेशन ने अगले दो साल में सात और क्लासिक, जैसे कि रवींद्र मोहन का 'पद्मावती' और सुवासिनी दत्त का 'हिरोईन' को पुनर्स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। सहयोगी संस्थाएँ इस दिशा में आर्थिक और तकनीकी मदद जारी रखेंगी।
1 टिप्पणि
Vaibhav Singh
अक्तूबर 11, 2025 AT 01:26 पूर्वाह्नसिर्फ एक और "पैसे के लिए" रीस्टोरेशन जैसा लगा, दिलचस्प नहीं है।