JW मैरियट कोलकाता का विशेष 'प्लैनेट पलेट ब्रंच'
5 जून को, विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में JW मैरियट कोलकाता ने एक अद्वितीय 'प्लैनेट पलेट ब्रंच' का आयोजन किया। इस विशेष आयोजन का प्रमुख उद्देश्य पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पारिस्थितिक अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देना था। आयोजन में एक विशेष रूप से क्यूरेटेड मेनू प्रस्तुत किया गया, जिसमें स्थानीय रूप से sourced और जैविक सामग्री का उपयोग किया गया था। इसका उद्देश्य खाद्य उत्पादन की कार्बन फुटप्रिंट को कम करना था।
स्थानीय और जैविक सामग्री का उपयोग
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण FOOD थीम पर आधारित भोजन था, जिसे होटल के कार्यकारी शेफ रोहन दास और उनकी टीम ने तैयार किया था। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने स्थानीय और जैविक सामग्री का उपयोग करके व्यंजन तैयार किए, जिससे पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सके। यह मेनू न केवल स्वादिष्ट था, बल्कि पारिस्थितिक संतुलन को बनाये रखने में भी सहायक था।
वेस्ट कम करने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की पहल
इस ब्रंच आयोजन में व्यंजनों की तैयारी के समय कूड़े-कचरे को न्यूनतम करने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया। आयोजन का उद्देश्य स्थानीय समुदाय को यह संदेश देना था कि भौतिक संसानों का बुद्धिमान उपयोग करने से हम पर्यावरण को बचा सकते हैं। शेफ रोहन दास इस प्रयास में सबसे आगे थे और उनकी टीम ने यह सुनिश्चित किया कि भोजन की तैयारी के दौरान जितना संभव हो सके, कम से कम वेस्ट उत्पन्न हो।
पेड़ रोपण अभियान
खास बातें यहीं समाप्त नहीं हुईं। होटल ने इसी अवसर पर एक वृक्षारोपण अभियान भी आयोजित किया और उपस्थित मेहमानों को पौधों का वितरण किया। इस पहल के माध्यम से व्यक्तिगत योगदान के महत्व को उजागर किया गया और सभी को पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित किया गया। यह वृक्षारोपण अभियान होटल के प्रयासों का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा था, जिससे पर्यावरणीय स्थिरता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा।
समुदाय और होटल स्टाफ का सहयोग
इस आयोजन में मेहमान, स्थानीय निवासी और होटल स्टाफ सभी जुड़े रहे। सभी ने मिलकर पर्यावरणीय जिम्मेदारी को बढ़ावा देने का संकल्प लिया। JW मैरियट कोलकाता का 'प्लैनेट पलेट ब्रंच' होटल उद्योग के लिए एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है कि कैसे स्थिरता की दिशा में छोटे-छोटे कदम उठाकर बड़ी परिवर्तन लाए जा सकते हैं।
होटल उद्योग के लिए एक प्रेरणास्त्रोत
इस प्रकार का आयोजन केवल एक भोजन कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण संदेश था कि हम सभी को पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति सचेत रहना चाहिए। JW मैरियट कोलकाता का यह प्रयास यह दर्शाता है कि पारंपरिक हॉस्पिटैलिटी के दायरे को पार करते हुए, होटल और आतिथ्य क्षेत्र भी पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। यह आयोजन भविष्य के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल है जो हमें सिखाता है कि छोटे-छोटे प्रयास मिलकर एक बड़े बदलाव की दिशा में ले जा सकते हैं।
11 टिप्पणि
Himanshu Tyagi
जून 4, 2024 AT 03:26 पूर्वाह्नइस तरह के ब्रंच का असली मतलब है कि भोजन केवल टेस्ट नहीं, बल्कि ट्रांसफॉर्मेशन हो। स्थानीय खेतों से सीधे आने वाली सामग्री, कम कचरा, और जैविक प्राथमिकता - ये सब एक असली स्थिरता की ओर कदम हैं। होटल इंडस्ट्री में ऐसा करने वाले कम हैं।
Shailendra Soni
जून 5, 2024 AT 18:41 अपराह्नअरे भाई, ये सब तो बहुत अच्छा लगा... पर असल में कितने लोग इसे समझ पाए? मैंने देखा कि बहुत से लोग फोटो खींचकर इंस्टाग्राम पर डाल दिए, और फिर घर जाकर प्लास्टिक के डिशेज़ खाने लगे। जागरूकता का एक झूठा फैशन बन गया है।
Sujit Ghosh
जून 6, 2024 AT 21:37 अपराह्नअरे ये सब तो बहुत अच्छा है... पर भारत में इतना खर्च करने की क्या जरूरत? हमारे गांव में तो बच्चे भूखे रहते हैं और यहां प्लेनेट पलेट के नाम पर 5000 रुपये का ब्रंच? ये सब शहरी लोगों का फैशन है। असली समस्या तो गरीबी है!
sandhya jain
जून 7, 2024 AT 18:20 अपराह्नइस ब्रंच के पीछे का विचार सिर्फ खाना नहीं, बल्कि एक नए संस्कार की शुरुआत है। हम जब अपने खाने के स्रोत के बारे में सोचते हैं - कौन उगाया, कितनी दूर लाया गया, कितना पानी लगा - तो हम खुद को एक जीवन के हिस्से के रूप में देखने लगते हैं, न कि एक उपभोक्ता के रूप में। ये छोटा सा ब्रंच एक नए जीवन शैली का बीज है। ये अभी शुरुआत है, लेकिन इसका प्रभाव दशकों तक रहेगा।
Anupam Sood
जून 8, 2024 AT 06:44 पूर्वाह्नये सब तो बहुत बढ़िया है 😍 लेकिन असल में कितना लोग इसे जानते हैं? अरे यार, बस एक ब्रंच के लिए इतना शोर मचा दिया... अब तो ये सब ट्रेंड हो गया। पर मैंने देखा कि बहुत से लोग अभी भी बोतलें फेंक रहे हैं। अच्छा हुआ तो कुछ हुआ, पर असली बदलाव तो घरों से शुरू होगा 🌱
Shriya Prasad
जून 8, 2024 AT 21:22 अपराह्नप्लास्टिक नहीं, बल्कि पेड़। ये सही दिशा है।
Balaji T
जून 9, 2024 AT 15:22 अपराह्नइस प्रयास की अवधारणा उच्च स्तरीय है, तथापि व्यावहारिक लागत-प्रभावशीलता के संदर्भ में इसकी वैधता संदिग्ध है। एक अत्यधिक विकसित आतिथ्य संस्थान द्वारा इस प्रकार के सांस्कृतिक अभियान का संचालन, एक अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर निर्देशक रूप ले सकता है, लेकिन यह एक सामाजिक विसंगति का भी प्रतिनिधित्व करता है।
Nishu Sharma
जून 11, 2024 AT 05:39 पूर्वाह्नमैंने भी एक बार एक होटल में काम किया था और वहां भी हम लोग बहुत सारी चीजें बचाते थे जैसे बचे हुए खाने को रेस्टोरेंट में नहीं फेंकते थे बल्कि गरीबों को दे देते थे और अक्सर बाजार से सीधे सब्जियां लाते थे न कि डिस्ट्रीब्यूटर से और वहां भी कम प्लास्टिक इस्तेमाल होता था लेकिन किसी ने उसे नहीं बताया अब ये सब बड़े होटल बना रहे हैं तो लोग इसे ट्रेंड बना रहे हैं असली बात तो ये है कि हर छोटा होटल भी ऐसा करे तो असली अंतर आएगा
Shraddha Tomar
जून 11, 2024 AT 10:49 पूर्वाह्नलोग अभी भी सोच रहे हैं कि स्थिरता एक ट्रेंड है... नहीं भाई, ये एक जीवन शैली है। जब तक हम अपने खाने को एक कॉम्मोडिटी नहीं समझेंगे बल्कि एक एक्ट ऑफ केयर के रूप में देखेंगे, तब तक ये सब बस एक फोटो ऑप्शन रहेगा। इस ब्रंच ने एक नया लैंग्वेज शुरू किया है - जो बोलता है न कि सिर्फ बनाता है। 🌍✨
Priya Kanodia
जून 12, 2024 AT 20:07 अपराह्नक्या आपको लगता है कि ये सब असली है? या ये सिर्फ एक गूगल एड्स वाला ट्रेंड है? मैंने सुना है कि इस होटल के मालिक के पास एक बड़ा प्लास्टिक फैक्ट्री है... और ये सब बस एक कॉर्पोरेट वॉशिंग है। आप विश्वास करते हैं? क्या आपने उनके बैलेंस शीट देखे हैं? क्या ये वाकई प्राकृतिक है... या सिर्फ एक ब्रांडिंग स्ट्रैटेजी?
Darshan kumawat
जून 13, 2024 AT 03:01 पूर्वाह्नबहुत अच्छा लगा... पर अब बात करो गांव की। जहां लोग अभी भी लकड़ी जलाते हैं। ये सब शहरी लोगों का खेल है। असली बदलाव तो वहां होगा जहां बिजली नहीं है।