यूट्यूबर के व्लॉग से बोले राज: ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी
हरियाणा के हिसार से 28 साल की यूट्यूबर और ट्रैवल व्लॉगर ज्योति मल्होत्रा को पुलिस ने 18 मई 2025 को हिरासत में लिया। आरोप– पाकिस्तान के लिए खुफिया जानकारी जुटाना और दिल्ली से निकाले गए पाकिस्तानी इंटेलिजेंस अधिकारी दानिश के संपर्क में रहना। सोशल मीडिया पर फेमस 'Travel With Jo' चैनल चलाने वाली ज्योति की जिंदगी अचानक सुर्खियों में है, और इस गिरफ्तारी ने साइबर और जासूसी के नए तरीकों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
जांच में सामने आया कि ज्योति अपने ट्रैवल व्लॉग्स की आड़ में संवेदनशील इलाकों में जाती थी। खास बात– उसकी यात्रा योजनाएं कई बार बिना किसी वाजिब वजह के होती थीं, इन पर खर्च भी सवालों के घेरे में रहा। पुलिस को वित्तीय लेन-देन में भी गड़बड़ी दिखी, जिससे फंडिंग के स्रोतों पर शक गहराया। दूर-दराज के बॉर्डर क्षेत्रों की यात्रा, विदेशी टूर, और अचानक बढ़ी लाइफस्टाइल ने जांच अधिकारियों का ध्यान खींचा।
डिजिटल सबूत, कोडवर्ड और साइबर जाल
ज्योति के खिलाफ सबसे मजबूत सबूत उसके खुद के व्लॉग बने। पुलिस ने उसके लगाए गए यूट्यूब वीडियो में चौंकाने वाले संकेत और कुछ ऐसे संवाद पकड़े, जिनमें दानिश के साथ बातचीत छिपी थी। वीडियो में एन्क्रिप्टेड मैसेज और कोड वर्ड्स का इस्तेमाल साफ़ नजर आ रहा था। पुलिस के अनुसार, इन वीडियोज से पता चला कि कैसे ज्योति मल्होत्रा ने लगभग अदृश्य तरीके से गुप्त संदेश भेजे और प्राप्त किए। पूंछताछ में भी वह कई बार जानकारी भेजने की बात कबूल कर चुकी है।
कानूनी नजरिए से मामला बेहद गंभीर है। उस पर ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट सहित कई जासूसी व राष्ट्रविरोधी धाराएं लगाई गई हैं। पुलिस सूत्र बताते हैं कि मल्होत्रा की गिरफ्तारी के बाद विदेशी फंडिंग चैनलों को भी रेडार पर लिया गया है। सोशल मीडिया पर छुपे इन जालों से युवा किस कदर फंस सकते हैं, यह केस उसका ताजा उदाहरण है।
पुलिस अफसरों का कहना है कि पहले जिस तरह एजेंट फिजिकल तौर पर भेजे जाते थे, अब यूट्यूबर, इंफ्लुएंसर और डिजिटल प्लेटफॉर्मों का इस्तेमाल जासूसी के लिए हो रहा है। इस मामले ने सुरक्षा एजेंसियों में भी हलचल मचा दी है, क्योंकि पाकिस्तानी एजेंसियों के साइबर और डिजिटल ऑपरेशन्स का ये एक नया तरीका दिखा।
ज्योति के बैंक खातों और ट्रांजेक्शनों की पूरी छानबीन जारी है। वहीं, ज्यादा जानकारी जुटाने के लिए उसके इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज और ऑनलाइन एक्टिविटी की भी डीप एनालिसिस हो रही है।