दिल्ली में प्रदूषण के कारण एयर प्यूरीफायर और मास्क की बिक्री में तेजी
19 नवंबर 2024

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का कहर

दिल्ली में हर साल जैसे-जैसे सर्दी का मौसम शुरू होता है, वायु प्रदूषण की समस्या भी बढ़ जाती है। इस बार भी कुछ ज्यादा ही गहराई तक यह समस्या जमी है, और इसका प्रभाव आम जनता पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के 484 तक पहुंच जाने के कारण नागरिकों को अपनी सुरक्षा के लिए एयर प्यूरीफायर और मास्क का सहारा लेना पड़ रहा है। यह 'गंभीर प्लस' श्रेणी में आ चुका है, जो प्रदूषण की एक खतरनाक स्थिति को इंगित करता है।

एयर प्यूरीफायर की मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी

प्रदूषण की इस विकराल स्थिति में एयर प्यूरीफायर की मांग ने अचानक रफ्तार पकड़ ली है। इंदिरापुरम में एयर एक्सपर्ट इंडिया के मालिक विजेंद्र मोहन बताते हैं कि पहले जहां वे प्रतिदिन लगभग 20 प्यूरीफायर बेचा करते थे, अब यह संख्या 40 तक पहुंच गई है।

वहीं, पुष्प विहार में ब्लूएयर एयर प्यूरीफायर डीलरशिप के मालिक राकेश सिंह बताते हैं कि पिछले महीने प्रतिदिन 10 से 12 प्यूरीफायर बिकते थे, लेकिन अब यह संख्या प्रतिदिन 25 यूनिट तक पहुंच रही है।

स्वास्थ्य सुरक्षा की आवश्यकता बढ़ी

विकासपुरी स्थित एयरथ एयर प्यूरीफायर कंपनी के मालिक रवि कौशिक के अनुसार, अक्टूबर के अंत से बिक्री में 70% की वृद्धि हुई है। उनका मानना है कि लोग अब एयर प्यूरीफायर को स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से अनिवार्य मानने लगे हैं।

उधर, पूर्व दिल्ली के एक केमिस्ट बताते हैं कि नवंबर में बाल चिकित्सा नेबुलाइजर्स और लो-डोज इनहेलर्स की बिक्री बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि कई अभिभावक अपनी औलादों के लिए सांस लेने में सहायक दवाएं तलाश रहे हैं।

मास्क की मांग में भी उछाल

इस बीच, अपोलो फार्मेसी के विक्रेता राजीव कुमार ने बताया कि मास्क की मांग भी आसमान छू रही है। पूर्व की तुलना में अब प्रतिदिन 40 से 45 मास्क बेचे जा रहे हैं।

अवैध रूप से बढ़ते वायु प्रदूषण ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में जीवन को और अधिक कठिन बना दिया है। अब, आयोग द्वारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आस-पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए चरण-IV प्रतिबंध लागू किए गए हैं।

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP)

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP)

जैसे ही AQI 450 से अधिक हो गया, नेशनल कैपिटल रीजन और उसके आस-पास के इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए चरण-IV प्रतिबंध लागू कर दिए गए हैं। इसके अंतर्गत जनता को अनावश्यक रूप से बाहर न जाने की सलाह दी गई है, और वाहनों के उपयोग को भी नियंत्रित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

अब सवाल यह उठता है कि क्या एयर प्यूरीफायर और मास्क ही प्रदूषण से मुकाबले का एकमात्र उपाय हैं, या सरकार को दीर्घकालिक समाधान की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। लंबे समय तक हमारी सांसों पर मंडराने वाले इस खतरे से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग और ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है।