दार्जिलिंग भूस्खलन में 18-20 मौतें: राष्ट्रपति मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक
5 अक्तूबर 2025

पश्चिम बंगाल के पहाड़ी शहर दार्जिलिंग में 5 अक्टूबर 2025 को जारी तीव्र वर्षा ने एक विनाशकारी भूस्खलन को जन्म दिया, जिससे 18‑20 लोग मारे गये। इस त्रासदी में कई पहाड़ी गांवों का पूर्णत: संपर्क हट गया, पुल टूटे और कई परिवार अपनी जीवनी के आखिरी क्षण देखे।

स्थिति का विवरण देने वाले प्रथम अधिकारी रिचर्ड लेप्चा, दार्जिलिंग उप‑मंडल अधिकारी (एसडीओ), ने कहा, "भारी बारिश के कारण कल रात से चल रहे भूस्खलन ने सात लोगों की जान ले ली, बचाव कार्य अब भी जारी है।" साथ ही एनडीआरएफ ने पुष्टि की कि मिरिक में अकेले 11 मौतें हुईं, जबकि दार्जिलिंग में छह।

इतिहास और पूर्वस्थिति

हिमालयी पश्चिम बंगाल का मौसम हमेशा से चंचल रहा है, पर 2025 की मानसूनी बारिश ने रेकॉर्ड‑तोड़ पैमाना छापा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने 6 अक्टूबर तक इस क्षेत्र के लिए ‘रेड अलर्ट’ जारी किया था, जिससे स्थानीय प्रशासन को सतर्क रहने का निर्देश मिला था। फिर भी बाढ़‑प्रवण पहाड़ी बंधन में बुनियादी चेतावनी संकेत अक्सर अनदेखे रह जाते हैं।

पिछले दो दशकों में दार्जिलिंग में दो‑तीन छोटे‑बड़े भूस्खलन हुए थे, पर इस बार मिट्टी की स्थिरता, अतिवृष्टि और पर्यटन के बढ़ते दबाव ने मिलकर यह आपदा को तेज़ कर दिया।

भूस्खलन के तथ्य और बचाव अभियान

  • कुल मृतकों की संख्या: 18‑20 (मिरिक 11, दार्जिलिंग 7‑9)
  • बचे हुए घायल: 7 (सभी को तुरंत प्राथमिक उपचार मिला)
  • प्रभावित गाँव: सरसली, जसबीरगांव, मिरिक बस्ती, धारा (मेची), नागराकाटा, मिरिक झील
  • आईएमडी के रेड अलर्ट की वैधता: 5 अक्टूबर से 6 अक्टूबर तक
  • नग़राकाटा के धारा गांव में 40 लोग मलबे से बचाए गए

भूस्खलन के बाद वेस्ट बंगाल सरकार ने वेधक टीमों को तैनात किया, जबकि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) ने पहाड़ी इलाकों में हेलीकोप्टर‑ड्रॉप्स शुरू किए। स्थानीय पुलिस और स्वयंसेवक भी बचाव में जुटे। कई गाँवों में यातायात की पूरी तरह कटौती के कारण, बचावकर्ता ट्रैक्टर‑लोडर्स और रसेस का उपयोग करके मलबा हटाते रहे।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और शोक संदेश

राजनीतिक प्रतिक्रिया और शोक संदेश

घटना पर द्रौपदी मुर्मू, राष्ट्रपति, ने एक वैधी‑ट्वीट में कहा, "इन अनाथों की कष्ट में मेरा दिल बहुत दुखी है। हम पूरी शक्ति से राहत कार्यों को तेज़ करेंगे।" समानांतर में नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री, ने एक सार्वजनिक सभा में उल्लेख किया, "भारी बारिश और भूस्खलन की स्थिति को कड़ी नजर से देखते हुए, केंद्र सरकार ने तत्काल सहायता पैकेज की तैयारी की है।"

राज्य स्तर पर, ममता बनर्जी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री, ने पीड़ितों को आर्थिक राहत देने की घोषणा की, हालांकि राशि का उल्लेख नहीं किया गया। वह 6 अक्टूबर को क्षेत्र का दौरा कर स्थितियों का व्यक्तिगत जाँच करेंगे। वेतन‑भत्ता के अलावा, सरकार ने जल्द ही पुनर्वास केंद्र स्थापित करने का इरादा जताया।

उत्तरी बंगाल विकास मंत्री उदयन गुहा ने बताया, "यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। प्रारंभिक रिपोर्ट में कुल मृतकों की संख्या 17 बताई गई थी, लेकिन अब तक के आँकड़े 18‑20 तक पहुँच गये हैं।" उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसी आपदाओं को रोकने के लिए भूस्खलन‑रोकथाम योजना जल्द ही लागू की जाएगी।

पर्यटन पर असर और स्थानीय जीवन

हर साल दार्जिलिंग में दुर्गा पूजा के बाद के पर्यटन सीजन में सैकड़ों परिवार पहाड़ी रिसॉर्ट्स की ओर रुख करते हैं। इस साल इनपर भारी वर्षा ने सैलानी समूहों को फँसाया, कुछ तो कोलकाता और अन्य भागों से आए बड़े समूह थे। कई लोगों ने अपने कार्बन-डायऑक्साइड‑मुक्त यात्रा की योजना बनाई थी, पर अचानक आए झटके ने उन्हें बचाव दल की इंतजार में छोड़ दिया।

स्थानीय किसान और व्यापारी अब अपने आवास‑निर्माण योजना को पुनः विचार कर रहे हैं। कई घरों के ढाँचे कमजोर पाये गये हैं, जिससे पुनर्निर्माण के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता की आवश्यकता होगी।

आगे की कार्य योजना और सुधारात्मक कदम

आगे की कार्य योजना और सुधारात्मक कदम

वर्तमान में सरकार दो‑तीन चरण में राहत कार्य कर रही है: (1) तत्काल चिकित्सा सहायता, (2) बाढ़‑प्रवण क्षेत्रों में जल निकासी, (3) दीर्घकालिक पुनर्वास योजना। केंद्र और राज्य ने मिलकर भूस्खलन जोखिम मानचित्रण को अपडेट करने का आदेश दिया है, ताकि भविष्य में ऐसे विस्फोटकों को पहले से ही पहचाना जा सके।

साथ ही, आयीविन में जलवायु‑परिवर्तन के प्रभाव को देखते हुए, विशेषज्ञों ने पहाड़ी क्षेत्रों में हरित‑भवन निर्माण, बायो‑इंजीनियरिंग और सुदृढ़ ढांचा कार्य की सलाह दी है। इस पर चर्चा के लिए एक विशेष टीम ने 10 अक्टूबर को दार्जिलिंग में बैठक बुलाने का इरादा जाहिर किया है।

Frequently Asked Questions

भूस्खलन के कारण किन क्षेत्रों में सबसे अधिक क्षति हुई?

सबसे अधिक नुकसान मिरिक में हुआ, जहाँ 11 लोगों की मृत्यु हुई। दार्जिलिंग के साथ-साथ सरसली, जसबीरगांव और धारा (मेची) में भी बड़े‑बड़े घर ध्वस्त हुए।

सरकार ने पीड़ितों को क्या राहत दी है?

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आर्थिक मुआवजे की घोषणा की, जबकि केंद्रीय सरकार ने आपातकालीन राहत पैकेज, चिकित्सा किट और अस्थायी आश्रय स्थल प्रदान किए हैं। प्रतिदिन दो‑तीन हेलीकोप्टर द्वारा जरूरी वस्तुएँ पहुंचाई जा रही हैं।

भूस्खलन से बचाव में किन संगठनों की भूमिका रही?

एनडीआरएफ ने हेलीकोप्टर‑ड्रॉप और ट्रैक्टर‑लोडर ऑपरेशन किए। स्थानीय पुलिस, स्वयंसेवक समूह और वेस्ट बंगाल सरकार की आपदा प्रतिक्रिया टीम ने मिलकर मलबा हटाया और बंधा लोगों को बचाया।

भविष्य में ऐसी आपदाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

विशेषज्ञों ने पर्वतीय क्षेत्रों में बायो‑इंजीनियरिंग, जल निकासी प्रणाली की मजबूती और भूस्खलन‑रोकथाम नक्शा अपडेट करने की सलाह दी है। साथ ही, बेहतर मौसम‑चेतावनी और स्थानीय स्तर पर जल्दी चेतावनी प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए।