Blue Origin NS-31: कैटी पेरी के साथ पहली ऑल-वुमन टीम ने रचा अमेरिकी अंतरिक्ष इतिहास
11 मई 2025

ब्लू ओरिजिन के NS-31 मिशन ने रचा इतिहास

अमेरिका में पहली बार, एक ऑल-वुमन क्रू ने अंतरिक्ष की दहलीज को छू लिया। 14 अप्रैल 2025 को ब्लू ओरिजिन की न्यू शेपर्ड रॉकेट (NS-31) टेक्सास के लॉन्च साइट वन से आसमान में रवाना हुई। खास बात—इस मिशन में छह जानी-मानी महिलाएं शामिल थीं: पूर्व NASA रॉकेट साइन्टिस्ट आइशा बोवी, बायोएस्ट्रोनॉटिक्स रिसर्चर और सिविल राइट एक्टिविस्ट अमांडा गुयेन, सीबीएस मॉर्निंग्स की को-होस्ट गायले किंग, पॉप सुपरस्टार कैटी पेरी, फिल्म प्रड्यूसर केरियाने फ्लिन और ब्लू ओरिजिन की मिशन लीडर एवं बेज़ोस अर्थ फंड की वाइस चेयर लॉरेन सांचेज़।

ये टीम इस उड़ान के ठीक पहले, अपने परिवार और दोस्तों से मिली, फिर स्टेजिंग हैंगर से बाहर निकलकर कैप्सूल तक पहुंची। मिशन केवल दस मिनट चला लेकिन उस दौरान वे महिलाएं पृथ्वी के वातावरण की सीमारेखा—कार्मन लाइन (100 किमी ऊँचाई)—के पार पहुंचीं, जहाँ उन्होंने गुरुत्वाकर्षणमुक्ति का अनोखा अहसास किया।

मिशन की खासियत और प्रतीकात्मकता

हर क्रू मेंबर के मिशन पैच पर उनके योगदान के प्रतीक मौजूद थे: बोवी के लिए STEM में उनका रोल तारा, गुयेन की न्याय के तराजू के रूप में सामाजिक अधिकारों को उजागर करता पैच, किंग की कहानी कहने की ताकत दर्शाता माइक्रोफोन, पेरी की ग्लोबल इमेज के लिए आतिशबाजी का चिन्ह, फ्लिन के लिए फिल्म रोल और सांचेज़ की लीडरशिप को सलाम करता खास डिजाइन।

कैटी पेरी ने अपनी फीलिंग शेयर करते हुए कहा, ‘‘ये अनुभव अलौकिक था, मैंने 15 सालों से इसकी कल्पना की थी।’’ लॉरेन सांचेज़ ने अपने डर और उत्सुकता दोनों के बारे में बात की, लेकिन उन्होंने यह साफ किया कि इस मिशन का उद्देश्य एक नई पीढ़ी को प्रेरित करना है—जिसमें अलग-अलग क्षेत्रों से आई महिलाएं STEM और स्पेस एक्सप्लोरेशन में नई कहानी लिख सकें।

गायले किंग जैसे चेहरे, जिनका स्पेस एक्सपीरिएंस पत्रकारिता से बिल्कुल अलग था, उन्होंने इसे एक सपने की तरह बताया—मानो स्कूल की किताबों से बाहर अचानक वो खुद कोई चैप्टर बन गई हों। इसी तरह बाकी महिलाओं ने भी अपनी-अपनी फील्ड से इस सफर को जोड़ते हुए अपना पर्सनल टच दिया।

ब्लू ओरिजिन के लिए यह सिर्फ 11वीं मानवयुक्त उड़ान थी, लेकिन खास इसलिए रही क्योंकि इससे महिलाओं की भागीदारी के नए रास्ते खुले। कंपनी अब स्पेस को वाकई 'सबके लिए' बनाने की दिशा में ठोस कदम बढ़ा रही है।