ऋषभ पंत के संघर्षपूर्ण जीवन की कहानी
भारतीय क्रिकेट टीम के उभरते सितारे ऋषभ पंत ने हाल ही में एक टॉक शो 'धवन के साथ' में अपनी कार दुर्घटना के बाद के संघर्षों और चुनौतियों के बारे में विस्तार से चर्चा की। पंत ने बताया कि दुर्घटना के बाद की स्थिति कितनी भयानक थी और वह कैसे इस कठिन समय से बाहर निकले।
कार दुर्घटना और उसका प्रभाव
ऋषभ पंत ने बताया कि दुर्घटना के समय की दर्दनाक यादें आज भी उनका पीछा करती हैं। उन्होंने कहा कि वह दो महीनों तक अपने दांत भी नहीं ब्रश कर पाए और आठ महीनों तक उन्होंने लगातार दर्द सहा। इस दौरान उन्हें मानसिक और शारीरिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
पंत ने बताया कि इस समय के दौरान उनकी आत्मविश्वास को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण था। उनकी फिजियोथेरेपिस्ट और परिवार के सदस्यों की मुख्य भूमिका रही, जिन्होंने उन्हें इस कठिन समय से बाहर आने में मदद की।
आत्मविश्वास और समर्थन की महत्ता
ऋषभ पंत ने इस बात पर जोर दिया कि आत्मविश्वास और अपने प्रियजनों का समर्थन किसी भी कठिन परिस्थिति का सामना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता, विशेष रूप से उनके पिता ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया और उनके सपनों को पूरा करने में मदद की।
पंत ने अपने बचपन की एक याद साझा की जब उनके पिता ने उन्हें एक क्रिकेट बैट गिफ्ट किया, जबकि उनकी माँ ने इसे अस्वीकार कर दिया था। यही वह क्षण था जिसने उनके क्रिकेट करियर की शुरुआत की।
वापसी और आगामी चुनौतियाँ
ऋषभ पंत ने बताया कि उनके लिए क्रिकेट में वापसी करना किसी चमत्कार से कम नहीं था। उन्होंने भारतीय प्रीमियर लीग (IPL) और अन्य प्रतियोगिताओं में भाग लिया और बेहतरीन प्रदर्शन किया। अब वह T20 विश्व कप के लिए तैयार हो रहे हैं और उम्मीद है कि उनका प्रदर्शन भारतीय क्रिकेट टीम को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
आपत्तिजनक समय और पंत की प्रतिक्रिया
दुर्घटना के बाद के समय को याद करते हुए, पंत ने बताया कि उन्हें असहनीय दर्द का सामना करना पड़ा था। चोटों के परिणामस्वरूप उन्हें लंबे समय तक क्रिकेट से दूर रहना पड़ा लेकिन इस दौर में उन्होंने मानसिक और शारीरिक दृष्टिकोण से मजबूत बने रहने की कोशिश की।
ऋषभ के संघर्षों से यह साबित होता है कि कठिनाइयों का सामना करने का जज्बा और आत्मविश्वास किसी भी बाधा को पार कर सकता है। उन्होंने युवा क्रिकेटरों को भी संदेश दिया कि किसी भी बाधा को पार करने के लिए आत्मविश्वास और परिवार का समर्थन महत्वपूर्ण हैं।
आशाओं का संदेश
ऋषभ पंत की कहानी सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है। उनके संघर्ष और लगन ने साबित किया है कि किसी भी संकट से उभरने के लिए आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प महत्वपूर्ण होते हैं। उनके प्रशंसक और सभी युवा क्रिकेटर उनसे सीख सकते हैं कि कैसे उदासी और निराशा के पलों में भी आशा की किरण खोजी जा सकती है।
8 टिप्पणि
Shriya Prasad
मई 30, 2024 AT 10:56 पूर्वाह्नये आदमी तो असली लड़ाकू है। बस देखो कैसे उठा और वापस आया।
sandhya jain
मई 31, 2024 AT 03:41 पूर्वाह्नमुझे लगता है कि ऋषभ की कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की वापसी नहीं, बल्कि मानव आत्मा की अदम्य शक्ति का प्रमाण है। हम सब जीवन में किसी न किसी रूप में टूटते हैं, लेकिन जो लोग अपने भीतर के आध्यात्मिक आधार पर खड़े होते हैं, वो ही वास्तविक विजेता होते हैं। उनके पिता का वह क्रिकेट बैट देने का फैसला, जिसे माँ ने अस्वीकार किया, वो सिर्फ एक उपहार नहीं, बल्कि एक विरासत थी - एक ऐसी विरासत जिसमें प्यार और विश्वास का बीज छिपा था। आज जब हम उन्हें बैट घुमाते देखते हैं, तो हम देख रहे हैं एक बच्चे के सपने को जो दर्द, अकेलापन और असहनीय घंटों के बाद भी जिंदा रहा। ये वो बात है जो हमें याद दिलाती है कि बाहरी सफलता कभी असली नहीं होती, बल्कि अंदर की लड़ाई ही असली जीत होती है।
Anupam Sood
मई 31, 2024 AT 07:50 पूर्वाह्नबस एक दुर्घटना और बहुत सारे इंटरव्यू 😴 और फिर भी वो बैट देखकर आँखें भर आती हैं 🥲
Darshan kumawat
जून 1, 2024 AT 03:31 पूर्वाह्नअरे ये तो सब बहुत अच्छा बोल रहे हैं, पर क्या ये इंटरव्यू असली था? क्या कोई जानता है कि इसके पीछे कौन सा प्रमोशनल एजेंसी वाला फैक्टर है?
Nishu Sharma
जून 1, 2024 AT 16:31 अपराह्नमैंने अपने एक मरीज को इसी तरह रिकवर करते देखा था जिसकी गर्दन की हड्डी टूट गई थी और वो दो साल तक फिजियोथेरेपी कर रहा था बिना एक दिन छोड़े। जब उसने पहली बार अपना बच्चा उठाया तो उसकी आँखों में वो चमक थी जो किसी भी सर्जरी या दवा से नहीं मिलती। ऋषभ की कहानी भी वही है - बस उसका बैट बच्चा था। फिजियोथेरेपी का काम नहीं बल्कि दिमाग का जिस्म को बचाना होता है और वो जिस्म जब दिमाग के साथ चलने लगता है तो वो चमत्कार हो जाता है। अगर कोई युवा खिलाड़ी इसे समझे तो उसकी करियर लंबी होगी।
Shraddha Tomar
जून 1, 2024 AT 18:35 अपराह्नलोग बोल रहे हैं आत्मविश्वास और परिवार का सपोर्ट लेकिन असली बात तो ये है कि उसने अपने दर्द को एक स्टोरी में बदल दिया। ये जो हम देख रहे हैं वो एक नैरेटिव एल्केमी है - दर्द को प्रेरणा में बदलना। और जब एक खिलाड़ी अपने ट्रॉमा को पब्लिक फोरम पर डाल देता है, तो वो सिर्फ रिकवर नहीं हो रहा बल्कि दूसरों के लिए एक रिसोर्स बन रहा है। ये न्यू एज स्पोर्ट्स मेडिसिन है।
Priya Kanodia
जून 1, 2024 AT 23:09 अपराह्नलेकिन क्या आपने कभी सोचा कि ये सब फेक हो सकता है? क्या दुर्घटना के बाद वो असल में इतना बीमार थे? क्या कोई ने उनके एक्स-रे देखे? क्या ये सब टीवी प्रोडक्शन के लिए बनाया गया है? मैंने एक डॉक्टर को बताया था जो कहता है कि ऐसी गंभीर चोटों में दांत ब्रश करने में दो महीने लगना असंभव है... और फिर वो IPL में वापस आ गए? ये तो बहुत जल्दी है। क्या ये सब एक बड़ा ड्रामा है?
Balaji T
जून 3, 2024 AT 18:02 अपराह्नएक व्यक्ति के व्यक्तिगत संघर्ष को जनसाधारण के समक्ष लाने का यह तरीका, अत्यधिक अनुचित और व्यावसायिक रूप से लाभप्रद है। यह एक नियमित खिलाड़ी के जीवन के वास्तविक अनुभवों को एक व्यापारिक उत्पाद में परिवर्तित कर देता है, जिसका उद्देश्य व्यापारिक लाभ और लोकप्रियता प्राप्त करना है। ऐसे अभिनय और नाटकीय व्यवहार खेल की आत्मा को नष्ट करते हैं।