Agni Prime मिसाइल का रेल‑आधारित लॉन्च टेस्ट सफल, भारत ने पहली बार प्रदर्शित किया
26 सितंबर 2025

भारत ने 24 सितंबर 2025 को Agni Prime मिसाइल को रेल‑आधारित मोबाइल लॉन्चर से पहली बार प्रक्षेपित करके रक्षा इतिहास के एक नए अध्याय को लिखा। लगभग 2,000 किलोमीटर की प्रभावी दूरी वाला यह बॉलिस्टिक मिसाइल, भारतीय रणनीतिक बलों के लिये एक अतिरिक्त सुरक्षा परत प्रदान करता है। इस परीक्षण ने न केवल मिसाइल की तकनीकी क्षमताओं को साबित किया, बल्कि भारत के वैधता‑जाँच वाले रेल‑मोबाइल सिस्टम को भी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उजागर किया।

रेल‑आधारित लॉन्च प्रणाली की तकनीकी विशिष्टताएँ

नया लॉन्चर एक विशेष रूप से निर्मित रेल‑माउंटेड प्लेटफ़ॉर्म है, जिसे भारत के व्यापक रेलवे नेटवर्क में सहजता से चलाने के लिये डिज़ाइन किया गया है। प्लेटफ़ॉर्म की लम्बी रेशीली रचना, हाइड्रॉलिक लोडिंग मैकेनिज्म और जलवायु‑संचालित कंट्रोल मॉड्यूल्स मिलकर मिसाइल को सुरक्षित, तेज़ और कम दृश्यता में लॉन्च करने की सुविधा देती हैं। परीक्षण में शाम के समय लॉन्च किया गया, जिससे रात की परिस्थितियों में सटीकता और नियंत्रण का परीक्षण हुआ।

Agni Prime की मार्गदर्शन प्रणाली में नवीनतम इनर्शियल नेविगेशन और इन्फ्रारेड टार्गेटिंग घटक शामिल हैं, जो इसे पिछले पीढ़ी के Agni‑V या Agni‑IV की तुलना में अधिक सटीक बनाते हैं। अतिरिक्त रूप से, रिवेटेड फ्यूल सिस्टम और सुधारित थर्मल शील्डिंग ने विश्वसनीयता को बढ़ाया, जिससे मिसाइल का व्यावहारिक उपयोग समय में कमी आई।

रणनीतिक प्रभाव और भविष्य की संभावनाएँ

रणनीतिक प्रभाव और भविष्य की संभावनाएँ

रेल‑मोबाइल प्रणाली का प्रमुख लाभ भारत की रणनीतिक संपत्तियों की जीवित रहने की क्षमता को बढ़ाना है। रेल नेटवर्क की विशालता और जननैतिक ट्रैफ़िक में मिसाइल को छिपाकर रखिए तो विरोधी को लक्ष्य बनाना बेहद कठिन हो जाता है। विसरणीय तैनाती से पहले‑हस्तक्षेप करने वाले हमलों की संभावना कम हो जाती है, जिससे द्वितीय‑प्रहार क्षमताओं की विश्वसनीयता में इज़ाफ़ा होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत को ‘न्यू‑ट्रेड’ के तहत एक नई पैराडाइम में ले जाएगा, जहाँ जमीन, समुद्र और हवा से परे रेल भी एक प्रहार मंच बन जाएगा।

भविष्य में इस प्रणाली को अन्य बॉलिस्टिक मिसाइलों, जैसे Agni‑V और संभावित Hypersonic प्रोजेक्ट्स, के साथ एकीकृत करने की संभावना पर विचार किया जा रहा है। इस एकीकरण से भारतीय रणनीतिक बलों की लचीलापन और आधरितावाद बढ़ेगा, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को और सुदृढ़ करेगा। साथ ही, रेल‑आधारित लॉन्चर की निर्मिती में घरेलू उद्योगों को नई आयामिक विकास मिलेगा, जिससे रोजगार और तकनीकी उन्नति दोनों को बढ़ावा मिलेगा।

सारांश रूप में, इस सफल परीक्षण ने भारत को सीमित कुछ देशों में जोड़ दिया है जिन्होंने रेल‑आधारित बॉलिस्टिक मिसाइल प्रणाली विकसित की है। यह न केवल भारत की रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत बनाता है, बल्कि भविष्य में विविध डिलीवरी प्लेटफ़ॉर्म्स के विकास के लिये एक ठोस आधार भी प्रदान करता है।