लोकसभा चुनाव 2024 का छठा चरण: 58 सीटों पर मतदान
आज का दिन भारतीय लोकतंत्र के पर्व के रूप में मना रहा है, क्योंकि 2024 लोकसभा चुनाव के छठे चरण में 58 सीटों पर मतदान हो रहा है। यह चरण छह राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में फैला है, जिसमें दिल्ली की सभी सात सीटें भी शामिल हैं। इस चरण में कुल 889 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, जो इन सीटों पर कब्जा जमाने के लिए मेहनत कर रहे हैं।
मतदान प्रक्रिया का वितरण
आज 11.13 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जिनमें 5.84 करोड़ पुरुष, 5.29 करोड़ महिलाएं और 5,120 तीसरे लिंग के लोग शामिल हैं। मतदान प्रक्रिया को सफ़ल और सुचारू ढंग से संपन्न करने के लिए 11.4 लाख चुनाव कर्मियों को तैनात किया गया है। ये कर्मी 1.14 लाख मतदान केंद्रों पर मतदान प्रक्रिया को संभाल रहे हैं।
राज्यों की भागीदारी
इस चरण में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में मतदान हो रहा है।
- हरियाणा: इस राज्य से कुछ महत्वपूर्ण सीटें शामिल हैं और यहां के मतदाताओं में भारी उत्साह देखा जा रहा है।
- उत्तर प्रदेश: यह राज्य हमेशा से चुनावी दृष्टिकोन से महत्वपूर्ण रहा है और यहाँ की सीटों पर कड़ी टक्कर देखी जा रही है।
- बिहार: बिहार की कुछ महत्वपूर्ण सीटों पर भी आज मतदान हो रहा है। इस राज्य का चुनावी मोहल ज्यादा रोचक है।
- झारखंड: झारखंड की सीटों पर भी आज का मतदान निर्णायक साबित हो सकता है।
- महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल: ये दोनों राज्य भी चुनावी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और वोटिंग के दौरान लोगों की भारी संख्या में भागीदारी देखी जा रही है।
दिल्ली में चुनावी परिदृश्य
दिल्ली की सभी सात सीटों पर इस चरण में मतदान हो रहा है। दिल्ली की राजनीतिक भूमि हमेशा से ही महत्वपूर्ण रही है। इस बार भी यहां पर कई बड़े नाम और उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। दिल्ली के लोग भी बढ़-चढ़कर मतदान कर रहे हैं और मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें देखी जा रही हैं।
चुनावी मशीनरी की तैयारी
चुनाव की तैयारी और सुरक्षा को लेकर प्रशासन ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। जहां एक ओर मतदान केंद्रों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, वहीं दूसरी ओर मतदाताओं की सुरक्षा और सुविधाओं का भी ध्यान रखा गया है।
मतदान का दिन मतदाताओं के लिए एक महत्वपूर्ण दिन होता है। ये वही दिन होता है जब वे अपने भविष्य के नेताओं का चयन करते हैं और देश की दिशा निर्धारित करते हैं। उनके एक-एक वोट से लोकतंत्र की नींव और भी मजबूत होती है।
आज के मतदान के बाद, अब सातवें और अंतिम चरण के लिए 57 सीटें शेष रहेंगी। अंतिम चरण का मतदान 1 जून को होगा, और इसके बाद 4 जून को मतगणना होगी। इस प्रक्रिया के अंतर्गत, संसद की 543 सीटों में से 486 सीटों पर चुनाव संपन्न हो जाएंगे।
चुनाव के बाद की तैयारी
अब वह समय नजदीक आ रहा है जब चुनाव के नतीजे सामने आएंगे। प्रत्याशियों के मन में संशय और आशा दोनों का मंजर है। लोग भी अंततः जानना चाहते हैं कि अगले पांच साल तक उनका नेता कौन होगा।
मतगणना के दिन, सभी राजनीतिक दलों के कार्यालयों पर सुबह से ही हलचल शुरू हो जाती हैं। टेलीविजन न्यूज़ चैनल्स पर हर पल की रिपोर्टिंग चलती रहती है। इस बार की मतगणना का दिन भी ऐसा ही रहेगा। चारों तरफ टेंशन और प्रत्याशा का माहौल होगा।
चुनाव के महत्व पर नजर
लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व मतदान ही होता है। यह वह समय होता है जब जनता अपनी आवाज को बुलंद करती है और अपने अधिकार का प्रयोग करती है। यह हमें याद दिलाता है कि सच्चे लोकतंत्र में जनता ही सबसे महत्वपूर्ण है। आज के मतदान से यह जाहिर होता है कि लोकतंत्र की जड़ें कितनी गहरी और मजबूत हैं।
इस प्रकार से 58 निर्वाचन क्षेत्रों के मतदाता आज अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि देश की भविष्य की दिशा सही हाथों में हो। उनके मतदान का यह महत्व है कि यह देश की दिशा एवं दशा को निर्धारित करने में सहायक होता है। यह विश्वास है कि जो भी नतीजा हो, वह देश की प्रगति और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
14 टिप्पणि
Vikas Rajpurohit
मई 26, 2024 AT 13:43 अपराह्नये तो बस दिखावा है भाई! 889 उम्मीदवार? इतने में से 90% तो बस वोट बांटने के लिए उतरे हुए हैं। असली लड़ाई तो बस 5-6 सीटों पर है। बाकी सब बस नाम लिखवाने का शोहरत का खेल है 😅
Nandini Rawal
मई 26, 2024 AT 18:40 अपराह्नमतदान करने गई थी बहन। कतार देखकर लगा जैसे किसी त्योहार में लगे हो। लोग सच में जाग रहे हैं।
sandhya jain
मई 27, 2024 AT 08:06 पूर्वाह्नलोकतंत्र बस वोट डालने का नहीं होता। ये तो बस एक पल का फैसला है। असली चुनाव तो तब होता है जब वोट डालने के बाद लोग अपने नेताओं को जवाबदेह बनाते हैं। आज का वोट अगले पांच साल की जिम्मेदारी का बोझ है। बस वोट डाल देना काफी नहीं, सोचना भी जरूरी है।
Shriya Prasad
मई 27, 2024 AT 11:17 पूर्वाह्नदिल्ली में कतार लंबी थी देखी। बुजुर्गों ने भी बिना बताए खुद जाकर वोट डाला। ये देश अभी बचा है।
Anupam Sood
मई 27, 2024 AT 19:30 अपराह्नफिर से वो ही गाना... लोकतंत्र की जड़ें गहरी हैं... जनता की आवाज... बस यही बात हर चुनाव में दोहराई जाती है। क्या ये सब सच है या बस टीवी पर चलने वाला ड्रामा? 🤷♂️
Nishu Sharma
मई 29, 2024 AT 10:05 पूर्वाह्नमैं बिहार से हूं और यहां तो बस एक ही नाम बार-बार दिखता है और वोटर्स को लगता है कि अगर वोट नहीं दिया तो लोग बेचारे जान लेंगे। वोट करने की जिम्मेदारी तो है पर असली चुनाव तो वोट डालने के बाद शुरू होता है। कोई नहीं पूछता कि नेता ने क्या किया या क्या नहीं किया।
Priya Kanodia
मई 29, 2024 AT 18:37 अपराह्नक्या आपने कभी सोचा है कि ये सारे मतदान केंद्र... ये ईवीएम... ये तैनाती... क्या ये सब असली है? या फिर ये सब एक बड़ा ऑपरेशन है जिसका मकसद ये है कि लोग भूल जाएं कि वोट का असली नतीजा किसी और जगह तय हो रहा है... ये सब बस एक धोखा है।
Ranjani Sridharan
मई 31, 2024 AT 15:16 अपराह्नमैंने वोट डाला और फिर घर आकर बताया कि आज मैंने अपने देश के लिए कुछ किया... पर अगर मैं वोट नहीं देती तो क्या मैं देश के खिलाफ हो जाती? ये दबाव भी तो एक तरह का टूल है न? 😐
Himanshu Tyagi
जून 2, 2024 AT 00:45 पूर्वाह्नदिल्ली की सातों सीटों पर वोटिंग हो रही है और अभी तक कोई बड़ा घोटाला नहीं दिखा। ये अच्छी खबर है। अगर ईवीएम में दखल दिया जा रहा होता तो आज तक कम से कम एक बार तो लीक हो जाता। अब तक सब शांति से चल रहा है।
Shraddha Tomar
जून 2, 2024 AT 06:40 पूर्वाह्नहर चुनाव में यही बात होती है... लोकतंत्र जीवित है... लेकिन असली सवाल ये है कि जब नतीजे आएंगे तो क्या वोटर्स के लिए वो नेता जिसे उन्होंने चुना है, वो उनकी आवाज बनेगा? या फिर वो बस एक ट्रांसमिटर बन जाएगा जो बस उसी का आदेश चलाएगा जिसके पास पैसा है? ये सवाल तो वोटिंग के बाद भी रहेगा।
Shailendra Soni
जून 2, 2024 AT 14:04 अपराह्नमैं उत्तर प्रदेश से हूं। यहां तो एक बार वोट डालो और फिर जिंदगी भर के लिए चुप रहो। नेता तो बदल जाते हैं पर जनता की स्थिति वही रहती है।
Sujit Ghosh
जून 2, 2024 AT 15:47 अपराह्नअगर आपको लगता है कि ये चुनाव सच में लोकतंत्र है तो आप बहुत नाइव हैं। हर चुनाव में एक ही पार्टी जीतती है। बस नाम बदल देते हैं। ये तो फिल्मों की तरह है - अलग एक्टर, एक ही स्क्रिप्ट। लोग भूल गए कि वोट करना तो अधिकार है, पर जवाबदेही मांगना उसका हिस्सा है।
Darshan kumawat
जून 3, 2024 AT 01:36 पूर्वाह्नक्या कोई जानता है कि इन 889 उम्मीदवारों में से कितने के पास एग्जाम देने का अधिकार है? अरे भाई, ये लोग अपना नाम लिख नहीं पाते पर लोकसभा जीतने का दावा करते हैं।
Balaji T
जून 4, 2024 AT 07:05 पूर्वाह्नमतदान की आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, 11.13 करोड़ मतदाताओं में से केवल 67.3% का वोटिंग रेट रिकॉर्ड किया गया है। इसका अर्थ है कि लगभग 3.65 करोड़ मतदाता अपने संवैधानिक अधिकार का उपयोग नहीं कर रहे हैं। यह एक गंभीर लोकतांत्रिक विफलता है।